चंद्रगुप्त मौर्य ( Chandragupta Mourya ) Gk Notes in Hindi
नमस्कार दोस्तो , मैं अभिषेक दुबे ( ABHISHEK DUBEY ) एक बार फिर से OnlineGkTrick.com पर आपका स्वागत करता हूँ , दोस्तों इस पोस्ट मे हम आपको की जानकारी उपलब्ध करा रहे है ! जो आपके आगामी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए बहुत Important है , तो दोस्तों उम्मीद है यह जानकारी आपके आने वाले लगभग सभी Compatitive Exams लिए काफी Helfull साबित होगा .
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नमस्कार दोस्तो , मैं अभिषेक दुबे ( ABHISHEK DUBEY ) एक बार फिर से OnlineGkTrick.com पर आपका स्वागत करता हूँ , दोस्तों इस पोस्ट मे हम आपको चन्द्रगुप्त मौर्य ( Chandragupta Mourya ) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी बता रहे है .
चंद्रगुप्त मौर्य Chandra Gupta Mourya (322BC-298BC)-
सन् 320 में चन्द्रगुप्त प्रथम ( Chandragupta Mourya ) अपने पिता घटोत्कच (Ghatotkatch) के निधन के बाद राजा बना। गुप्त साम्राज्य की समृद्धि का युग यहीं से आरंभ होता है। चन्द्र्गुप्त ( Chandragupta Mourya ) के सिंहासनारोहण के अवसर पर (320ई.) में इसने नवीन सम्वत (गुप्त सम्वत) की स्थापना की।
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चन्द्रगुप्त गुप्त ( Chandragupta Mourya ) वंशावली में पहला स्वतन्त्र शासक (king) था। यह विदेशी को विद्रोह द्वारा हटाकर शासक बना। चन्द्रगुप्त प्रथम के शासनकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी। बाद में लिच्छवि को अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया। इसका शासन काल (320 ई. से 350 ई. तक) था।
पुराणों तथा प्रयाग प्रशस्ति से चन्द्रगुप्त प्रथम ( Chandragupta Mourya ) के राज्य के विस्तार के विषय में जानकारी मिलती है। चन्द्रगुप्त ( Chandragupta Mourya ) ने लिच्छवि के सहयोग और समर्थन पाने के लिए उनकी राजकुमारी कुमार देवी के साथ विवाह किया। स्मिथ के अनुसार इस वैवाहिक सम्बन्ध के परिणामस्वरूप चन्द्रगुप्त ने लिच्छवियों का राज्य प्राप्त कर लिया तथा मगध उसके सीमावर्ती क्षेत्र में आ गया। कुमार देवी के साथ विवाह-सम्बन्ध करके चन्द्रगुप्त प्रथम ( Chandragupta Mourya ) ने वैशाली राज्य प्राप्त किया। चन्द्रगुप्त ने जो सिक्के चलाए उसमें चन्द्रगुप्त और कुमारदेवी के चित्र अंकित होते थे। लिच्छवियों के दूसरे राज्य नेपाल के राज्य को उसके पुत्र समुद्रगुप्त ने मिलाया।
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हेमचन्द्र राय चौधरी के अनुसार अपने महान पूर्ववर्ती शासक बिम्बिसार की भाँति चन्द्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवि राजकुमारी कुमार देवी के साथ विवाह कर द्वितीय मगध साम्राज्य की स्थापना की। उसने विवाह की स्मृति में राजा-रानी प्रकार के सिक्कों का चलन करवाया। इस प्रकार स्पष्ट है कि लिच्छवियों के साथ सम्बन्ध स्थापित कर चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने राज्य को राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ तथा आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बना दिया। राय चौधरी के अनुसार चन्द्रगुप्त प्रथम ने कौशाम्बी तथा कौशल के महाराजाओं को जीतकर अपने राज्य में मिलाया तथा साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित की।