History Notes

बौद्ध धर्म का इतिहास – बौद्ध धर्म और गौतम बुद्ध के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

Written by Abhishek Dubey

नमस्कार दोस्तो , मैं अभिषेक दुबे ( ABHISHEK DUBEY ) एक बार फिर से OnlineGkTrick.com  पर आपका स्वागत करता हूँ , दोस्तों इस पोस्ट मे  हम आपको बौद्ध धर्म का इतिहास – बौद्ध धर्म और गौतम बुद्ध के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य की जानकारी उपलब्ध करा रहे है ! जो आपके आगामी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए बहुत Important है , तो दोस्तों उम्मीद है यह जानकारी आपके आने वाले लगभग सभी Compatitive Exams लिए काफी Helfull साबित होगा .

बौद्ध धर्म – 

बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध थे। उनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बचपन में ही उनकी माता महामाया (कोसल राजवंश) का देहांत हो जाने के कारण मौसी गौतमी ने पालन पोषण किया अतः वे गौतम कहलाये। उनका जन्म 563 ईसा पू. में लुम्बिनी में शाक्य वंश के क्षत्रिय राजा सुद्धोधन के यहाँ हुआ।

16 वर्ष की आयु में यशोधरा से उनका विवाह हुआ। 28 वें वर्ष पुत्र राहुल का जन्म हुआ। सिद्धार्थ को दिखाई देने वाले चार महादुख – वृद्ध, रोगी, मृत्यु और सन्यासी चार महाचिन्ह माने गए हैं। इन्हें देखकर सिद्धार्थ के मनमें सन्यास की भावना जगी।

बचपन का नाम सिद्धार्थ
जन्म 563 ईसा पूर्वलुम्बिनी में
माता महामाया 
मौसी गौतमी 
पिता सुद्धोधन
कुल शाक्य क्षत्रिय
पत्नी यशोधरा
पुत्र राहुल 

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29 वें वर्ष में गृहत्याग किया (महाभिनिष्क्रमण)। इनके प्रथम गुरु आलार कालम और उद्दक रामपुत्र थे। 7 वर्ष तक भटकने के बाद 35 वर्ष की आयु में गया (बिहार) के उरुवेला नामक स्थान पर पीपल वृक्ष के नीचे समाधि के 49 वें दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ और वे बुद्ध कहलाये।

बनारस के निकट सारनाथ के ऋषिपत्तन के मृगवन में पांच ब्राह्मण शिष्यों को प्रथम उपदेश पाली भाषा में दिये (धर्मचक्रप्रवर्तन)। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती (कोसल) में दिया। मगध के बिम्बिसार, कोसल के प्रसेनजित तथा कौशाम्बी के उदयन आदि तत्कालीन शासक बुद्ध के अनुयायी बने। गौतम बुद्ध का निधन 483 ईसा पू. में कुशीनारा में हुआ (महापरिनिर्वाण)।

बौद्ध धर्म महत्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएं

  • जन्म-563 ई० में कपिलवस्तु में (नेपाल की तराई में स्थित)
  • मृत्यु-483 ई० में कुशीनारा में (देवरिया उ० प्र०)
  • ज्ञान प्राप्ति -बोध गया।
  • प्रथम उपदेश-सारनाथ स्थित मृगदाव में

महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं के चिह्न या प्रतीक घटनाओं के चिह्न या प्रतीक 

  • जन्म – कमल या सांड
  • गर्भ में आना – हाथी
  • समृद्धि – शेर
  • गृहत्याग – अश्व
  • ज्ञान – बोधिवृक्ष
  • निर्वाण – पद चिह्न
  • मृत्यु – स्तूप

महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी शब्दावली

  • गृहत्याग – महाभिनिष्क्रमण
  • ज्ञानप्राप्ति – सम्बोधि
  • प्रथम उपदेश – धर्मचक्रप्रवर्तन
  • मृत्यु – महापरिनिर्वाण
  • संघ में प्रविष्ट होना – उपसम्पदा

चार आर्य सत्य:

गौतम बुद्ध के उपदेश का सार चार आर्य सत्य में समाहित है –

  1. दुःख – जीवन दुःखमय है,
  2. दुःखसमुदय – तृष्णा, मोह, लालसा दुःख के कारण हैं,
  3. दुःखनिरोध – दुःख से छुटकारा पाया जा सकता है,
  4. दुःखनिरोधगामिनी प्रतिपदा – इसके लिए सत्य मार्ग का ज्ञान और आष्टांगिक मार्ग का आचरण आवश्यक है।

आष्टांगिक मार्ग:

  1. सम्यक दृष्टि : चार आर्य सत्य में विश्वास करना,
  2. सम्यक संकल्प : मानसिक और नैतिक विकास की प्रतिज्ञा करना,
  3. सम्यक वाक : हानिकारक बातें और झूठ न बोलना,
  4. सम्यक कर्म : हानिकारक कर्म न करना,
  5. सम्यक जीविका : कोई भी स्पष्टतः या अस्पष्टतः हानिकारक व्यापार न करना,
  6. सम्यक प्रयास : अपने आप सुधरने की कोशिश करना,
  7. सम्यक स्मृति : स्पष्ट ज्ञान से देखने की मानसिक योग्यता पाने की कोशिश करना,
  8. सम्यक समाधि : निर्वाण पाना और स्वयं का गायब होना।

बुद्ध के अनुसार इन 8 नियमों का अनुसरण करने से मुक्ति (निर्वाण) प्राप्त हो सकती है। उन्होंने इसे मध्यमा प्रतिपदा (मध्यममार्ग) कहा है।

बुद्ध का दर्शन व्यावहारिक था। उन्होंने तत्वमीमंसीय प्रश्नों में रूचि नहीं लिया। ईश्वर का अस्तित्व, अनश्वर आत्मा आदि से सम्बंधित प्रश्न को ऐसे अनावश्यक प्रश्न माना है जिसका समाधान ढूँढना अव्यवहारिक है (अव्यक्त प्रश्नानि)। बुद्ध की रूचि दुनिया को दुःख से मुक्ति दिलाने में थी।

प्रतीत्यसमुत्पाद

कारण कार्य से सम्बंधित बौद्ध सिद्धांत है जिसमे दुःख के अविद्या आदि 12 कारणों का उल्लेख किया गया है (द्वादशनिदान)।

क्षण भंग वाद

दुनिया की समस्त वस्तुएं अनित्य एवं नाशवान है।

नैरात्मवाद

कोई नित्य आत्मा नहीं है। आत्मा चेतना का अनवरत प्रवाह है।

बुद्ध ने धर्म प्रचार के लिए पाली भाषा का सहारा लिया। बौद्ध धर्म के त्रिरत्न हैं- बुद्ध, संघ और धम्म। संघ की सदस्यता के लिए न्यूनतम आयु 15 वर्ष निर्धारित थी। जो स्त्री-पुरुष रोग ग्रस्त, अपंग, कर्जदार या दास हो उनके संघ प्रवेश में मनाही थी।

बौद्ध धर्म के सिद्धांत ‘त्रिपिटक’ में संकलित हैं –

  1. सुत्त पिटक – बुद्ध के धार्मिक उपदेशों का संग्रह,
  2. विनय पिटक – बौद्ध संघ के अनुशासन के नियमों का वर्णन,
  3. अभिधम्म पिटक – बौद्ध दर्शन का वर्णन।

बुद्ध के पूर्व जन्म से सम्बंधित कथायें जातक कथायें कहलाती है। धम्मपद सुत्तपिटक के अंतर्गत आने वाले खुद्दक निकाय का भाग है।

बुद्ध के अनुसार जीवन का चरम लक्ष्य निर्वाण प्राप्ति है जो इसी जन्म में संभव है लेकिन महापरिनिर्वाण मृत्यु के बाद ही सम्भव है। बौद्ध संघ की कार्यप्रणाली गणतांत्रिक पद्धति पर आधारित थी।

कुषाण काल (प्रथम सदी इसवी) में बौध्द मत दो सम्प्रदायों हीनयान और महायान में बंट गया।

सभा समय स्थान अध्यक्ष शासक
प्रथम बौद्ध संगीति 483 ई. पू. राजगृह महाकश्यप अजातशत्रु
द्वितीय बौद्ध संगीति 383 ई. पू. वैशाली शवाकामी कालाशोक
तृतीय बौद्ध संगीति 255 ई. पू. पाटलिपुत्र मोग्गलिपुत्त तिस्स अशोक
चतुर्थ बौद्ध संगीति ईस्वी प्रथम शताब्दी कुण्डलवन वसुमित्र/अश्वघोष कनिष्क

 

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Abhishek Dubey

नमस्कार दोस्तों , मैं अभिषेक दुबे, Onlinegktrick.com पर आप सभी का स्वागत करता हूँ । मै उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का रहने वाला हूँ ,मैं एक upsc Aspirant हूँ और मै पिछले दो साल से upsc की तैयारी कर रहा हूँ ।

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