भौतिकी क्या है?। Physics in Hindi
विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत द्रव्य तथा ऊर्जा और उनकी परस्पर क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
भौतिक राशियाँ । Physical Quantities In Hindi
यह 2 प्रकार की होती है।
1. अदिश राशि ।
2. सदिश राशि ।
1. अदिश राशि
वे भौतिक राशिया जिनमे केवल परिमाण होता है, दिशा नहीं । अदिश कहलाती है ।
जैसे – द्रव्यमान, चाल, आयतन, कार्य, समय, ऊर्जा, विधुतधारा, ताप, दाब, आदि ।
2. सदिश राशि
वे भौतिक रशिया जिनमे परिमाण के साथ – साथ दिशा भी होती है । सदिश राशि कहलाती है ।
जैसे – वेग, विस्थापन, त्वरण, बल आदि ।
मात्रक
विभवान्तर – बोल्ट
विधुत धारा – ओह्म
विधुत धारिता – फेराडे
चुंबकीय फ्लक्स – लैबर
प्रकाश तरंगदैर्द्य – एंगस्ट्रोम
शक्ति – वाट
ऊर्जा – जूल
कार्य – जूल
1 अश्व शक्ति – 746 वॉट
दुरी किसे कहते है? । Duri kise kahate hain
किसी दिए गए समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय किय गए मार्ग की लम्बाई को दुरी कहते है ।
यह सदैव धनात्मक होती है।
यह एक अदिश राशि है ।
विस्थापन किसे कहते है? । Visthapan kise kahate hain
एक निश्चित दिशा में दो बिंदुओं के बीच की दुरी को विस्थापन कहते है।
यह धनात्मक, ऋणात्मक हो सकता है। यह शून्य भी हो सकता है।
चाल किसे कहते है? । chal kise kahate hain
किसी वस्तु द्वारा प्रति सेकण्ड तय की गयी दुरी को चाल कहते है ।
यह एक अदिश राशि है ।
चाल – दुरी/समय।
वेग किसे कहते है? । Veg kise kahate hain
किसी वस्तु के विस्थापन की दर को या एक निश्चित दिशा में प्रति सेकण्ड वस्तु द्वारा तय की गयी दुरी को वेग कहते है।
यह एक सदिश राशि है।
त्वरण किसे कहते है? । Tvaran kise kahate hain
किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते है ।
यह एक सदिश राशि है।
वृतीय गति क्या है। Vratiya gati kya hai
यदि कोई वस्तु किसी वृताकार मार्ग में गति करती हे तो उसे उसकी वृतीय गति कहते हे।
कोणीय वेग क्या है । Koniya gati kya hai
वृताकार मार्ग पर गतिशील कण के वृत को केन्द्र से मिलाने वाली रेखा 1 सेकण्ड में जितने कोण से घूम जाती है ! उसे उस कोण का कोणीय वेग कहते है।
न्यूटन की गति के नियम । Newton’s laws of motion in hindi
भौतिकी के पिता न्यूटन ने 1687 ई. में अपनी पुस्तक प्रिंसिपिया में सबसे पहले गति के नियम को प्रतिपादित किया था।
न्यूटन ने गति के 3 नियम दिये है।
1. न्यूटन की गति का प्रथम नियम । newton’s first law of motion in hindi
यदि कोई वस्तु विरामावस्था में है तो वह विरामावस्था में ही रहेगी ! जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाये।
प्रथम नियम को गैलीलियो तथा जड़त्व का नियम भी कहते है।
प्रथम नियम से बल की परिभाषा भी मिलती है।
बल – बल वह कारक हे जो किसी वस्तु की प्रारम्भिक अवस्था में परिवर्तन कर देता है।
जड़त्व के उदाहरण
1. ठहरी हुई मोटरगाड़ी के अचानक चल पड़ने पर उसमे बैठे यात्री पीछे की और झुक जाते है।
2. कम्बल को डण्डे से पीटने पर उसमे से झड़कर बाहर निकल जाते है।
2. न्यूटन का गति का द्वितीय नियम । Newton’s second law of motion in hindi
किसी वस्तु में संवेग में परिवर्तन की दर उस वस्तु पर आरोपित बल के समानुपाती होती है तथा संवेग परिवर्तन बल की दिशा में होता है।
न्यूटन के दूसरे नियम से बल का व्यंजक प्राप्त होता है।
उदाहरण –
1. काँच के बर्तन को पैक करने से पहले उसे भूसे अथवा कागज में लपेटा जाता है।
2. क्रिकेट खिलाडी गेंद को केंच करते समय अपने हाथो को थोड़ा पीछे कर लेता है।
3. गाड़ियों में सोकर लगाये जाते है।
3. न्यूटन के गति का तीसरा नियम । Newton’s third law of motion in hindi
प्रत्येक क्रिया के बराबर परंतु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
उदाहरण –
1. बन्दूक से गोली चलाने पर चलाने वाले को पीछे की ओर धक्का लगना।
2. नाव से किनारे पर कूदने पर नाव का पीछे की ओर हट जाना।
3. रॉकेट को उड़ाने में।
4. कुँए से पानी खींचते समय यदि रस्सी टूट जाये तो पीछे की ओर गिरते है।
FAQ SECTION
आइंस्टीन को आधुनिक भौतिक विज्ञान का जनक जाता है।
इलेक्ट्रॉन
बेंजामिन फ्रैंकलिन
यूरेनियम
विद्युत मोटर
वे भौतिक राशियाँ जिनमें केवल परिमाण होता है, दिशा नहीं।
वे भौतिक राशियाँ जिनमें परिमाण के साथ – साथ दिशा भी होती है।
किसी दिए गए समय अंतराल में वस्तु द्वारा तय किए गए मार्ग की लम्बाई।
यदि कोई वस्तु विरामावस्था में है तो वह विरामावस्था में ही रहेगी, जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाये।
प्रत्येक क्रिया के बराबर परंतु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
दोस्तों, आज हमने आपको भौतिकी क्या है?। Physics in hindi परिभाषा के बारे मे बताया, आशा करता हूँ आपको यह Article बहुत पसंद आया होगा और आपको इससे बहुत कुछ सिखने को भी मिला होगा, तो दोस्तों मुझे अपनी राय कमेंट करके बताया, ताकि मुझे और अच्छे-अच्छे आर्टिकल लिखने का सौभग्य प्राप्त हो, मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा ।धन्यवाद् ।