Indian Polity Notes

राज्यपाल की परिस्थिति जन्य विवेकाधिकार शक्तियां

Written by Abhishek Dubey

राज्यपाल की परिस्थिति जन्य विवेकाधिकार शक्तियां

नमस्कार दोस्तो , मैं अभिषेक दुबे ( ABHISHEK DUBEY ) एक बार फिर से OnlineGkTrick.com  पर आपका स्वागत करता हूँ , दोस्तों इस पोस्ट मे  हम आपको की जानकारी उपलब्ध करा रहे है ! जो आपके आगामी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए बहुत Important है , तो दोस्तों उम्मीद है यह जानकारी आपके आने वाले लगभग सभी Compatitive Exams लिए काफी Helfull साबित होगा .

मुख्यमंत्री की नियुक्ति

राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है [अनुच्छेद 164(1)] एक संवैधानिक उपबंधनों के अनुसार राज्यपाल बहुमत दल के नेताओं को मुख्यमंत्री नियुक्त करेगा| परंतु जब किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ हो तो राज्यपाल ने मनमाने तरीके से मुख्यमंत्री की नियुक्ति की है| अनेक बातों राज्यपाल ने बहुमत प्राप्त दल की उपेक्षा करते हुए अनुमति प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त कर विवेकाधिकार शक्ति का दुरुपयोग किया है उदाहरण –

  • वर्ष 1967 में राजस्थान के राज्यपाल संपूर्णानंद ने संयुक्त मोर्चा के कांग्रेस से अधिक सीटें प्राप्त होने के बावजूद कांग्रेस को आमंत्रित किया |
  • वर्ष 1982 में हरियाणा में बहुमत दल की उपेक्षा करते हुए राज्यपाल ने अल्पमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई |
  • वर्ष 2005 में बिहार विधानसभा के चुनावों के बाद बूटा से ने सबसे बड़े दल राजग की उपेक्षा कर राज्य में जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई जो विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध नहीं कर पाए |

मुख्यमंत्री की पदच्युति

    • वर्ष 1997 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भण्डारी ने बहुमत प्राप्त मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को हटाकर  अल्पमत प्राप्त जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई |
    • इसी प्रकार गोवा के राज्यपाल एस सी जमीर ने 2 फरवरी 2005 को मुख्यमंत्री मनोहर पारिकर भाजपा की सरकार को बर्खास्त कर कांग्रेस के प्रताप सिंह राणे को मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई |
 

विश्वास मत के लिए समय देना वह कहना

  • झारखंड के राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन को लंबा समय दिया जिसकी आलोचना उच्चतम न्यायालय ने की |
  • अनेक बार राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को अचानक 24 घंटे के अंदर बहुमत सिद्ध करने के लिए कहा, यह भी उचित प्रतीत नहीं होता है |इस प्रकार राज्यपाल ने अपनी इस विवेकाधिकार शक्ति का दुरुपयोग किया है |

विधानसभा को भंग करने का अधिकार

  • संविधान के अनुच्छेद 174(2) के अनुसार राज्यपाल समय-समय पर किसी सदन का सत्रावसान कर सकेगा अथवा विधानसभा का विघटन कर सकेगा किंतु इस संबंध में स्वविवेेक के प्रयोग का अवसर प्राप्त होता है|
  • जब दल बदल के कारण या अन्य किसी कारण से सरकार अल्पमत में रह गई हो भारतीय राजनीति में ऐसे अनेक अवसर आए हो जब राज्यपाल ने इस परिस्थिति का लाभ लेकर मुख्यमंत्री की सिफारिश के बिना विधानसभा को भंग किया है |
  • जैसे वर्ष 1976 में मुख्यमंत्री से परामर्श के राज्यपाल ने तमिलनाडु की विधानसभा को भंग कर दिया था वर्ष 1989 में कर्नाटक के राज्यपाल वैकट सुवैया ने मुख्यमंत्री बोम्मई की सलाह के बिना विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन लागू करने में अपने इस अधिकार का दुरुपयोग किया |

राष्ट्रपति शासन की सिफारिश

  • अनुच्छेद 356 के अनुसार यदि राज्य सरकार संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलती है तो राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है जैसे – मई 2005 में बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह ने राजग (NDA) जोकि सबसे बड़ा दल था, को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया अपितु लालू यादव (RJD) को किया  |

राष्ट्रपति के लिए विधायकों को आरक्षित करना

  • राज्यपाल को केंद्र राज्य संबंधों को प्रभावित करने वाले विधायकों को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित रख सकता है (अनुच्छेद 200)| परंतु इस विवेकाधिकार का प्रयोग अनेक बार राज्यपाल ने केंद्र सरकार के इशारों पर राज्य सरकार के कार्यों को प्रभावित करने के लिए किया है |

मुख्यमंत्री के विरुद्ध मुकदमा दायर करने की अनुमति देना

  • संविधान के अनुसार राज्यपाल की अनुमति के बिना मुख्यमंत्री के विरुद्ध मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता है| वर्ष 1995 में ‘जयललिता प्रकरण’ से यह स्पष्ट हो गया कि जब कोई पक्ष भ्रष्टाचार या किन्हीं आरोपों के आधार पर इस संबंध में निर्णय ले सकता है अर्थात अनुमति दे भी सकता है और नहीं भी दे सकता है |
  • वर्तमान समय में जब अनेक मुख्यमंत्रियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप है, तब राज्यपाल की यह शक्ति व्यवहारिक राजनीति में बहुत अधिक महत्व प्राप्त कर लेती है| लेकिन राज्यपाल के स्वविवेक के आधार पर लिए गए निर्णय को उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है राज्यपाल ने अपनी इस विवेकाधिकार शक्ति का भी अनेकों बार दुरूपयोग किया है |

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Abhishek Dubey

नमस्कार दोस्तों , मैं अभिषेक दुबे, Onlinegktrick.com पर आप सभी का स्वागत करता हूँ । मै उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का रहने वाला हूँ ,मैं एक upsc Aspirant हूँ और मै पिछले दो साल से upsc की तैयारी कर रहा हूँ ।

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