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Storage Battery : ( Brief Introduction ) HINDI

Storage Battery : ( Brief Introduction ) HINDI

द्वितीयक सेलों का समूहीकरण करके संचायक बैटरियों को तैयार किया जाता है । द्वितीयक सेलों का बाह्य कार्य लगभग प्राथमिक सेलों के समान ही है । केवल आन्तरिक रासायनिक क्रिया में कुछ भिन्नता है । द्वितीयक सेल जब – जब विसर्जित होती है , तब – तब इन्हें पुन : आवेशित किया जा सकता है । जबकि ऐसा प्राथमिक सेलों में सम्भव नहीं है । यद्यपि द्वितीयक सेलों को

बार – बार आवेशित करना पड़ता है । परन्तु इन्हें प्राथमिक सेलों की तरह यांत्रिक रूप से बदलना नहीं पड़ता है । औद्यागगिक क्षेत्रों में प्राथमिक सेलों की अपेक्षा द्वितीयक सेलों अर्थात् संचायक बैटरियों का अत्यधिक उपयोग है ।

विद्युत जनन केन्द्रों , विद्युत उपकेन्द्रों तथा औद्योगिक प्रतिष्ठानों की विद्युत व्यवस्थाओं में परिपथ वियोजकों को बन्द तथा ट्रिपिंग हेतु रिले के रक्षण साधनों हेतु , आपातकालीन प्रकाश के साधनों हेतु तथा स्वचालित नियन्त्रण हेतु आदि के लिए दिष्ट धारा सप्लाई के रूप में संचायक बैटरियों का प्रयोग किया जाता है ।

इसके अतिरिक्त रेल के डिब्बों में प्रकाश हेतु , बसों , कारों टेलीफोन केन्द्रों तथा होइस्ट साधनों विशेषकर ट्रकों , ट्रालियों , इत्यादि में भी संचायक बैटरियों का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाता है । प्रस्तुत अध्याय में संचायक बैटरियों का ही विस्तृत वर्णन किया गया है ।

Working Principle of Storage Battery संचायक बैटरी एक रासायनिक स्रोत है , जिसे द्वितीयक सेलों के समूहीकरण से बनाया जाता है जो वैद्युत परिपथ में दिष्ट धारा सप्लाई प्रदान करती है ।

संचायक बैटरी आधान प्रात्र ( container ) में रखी होती है जिसमें विद्युत अपघट्य ( electroyte भरा होता है । जिसमें धनात्मक एवं ऋणात्मक प्लेटें रहती हैं । संचायक बैटरी का कार्य सिद्धान्त प्रतिवर्ती विद्युत रासायनिक क्रिया ( Reversible electro – chemical reaction ) पर आधारित है ।

बैटरी के धनात्मक सिरे को किसी दिष्टधारा जनित्र या दिष्टकारी के ऋणात्मक सिरे से तथा ऋणात्मक सिरे को दिष्टधारा जनित्र या दिष्टकारी के ऋणात्मक सिरे से संयोजित करने पर बैटरी आवेशित हो जाती है । पूर्ण आवेशन के पश्चात् बैटरी के सिरों को बाह्य लोड से जोड़ने पर बैटरी में उपस्थित रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होकर लोड को प्रदान होने लगती है । इस प्रकार बैटरी विसर्जित होने लगती है ।

इस प्रकार से बैटरी को अनेक बार आवेशित तथा विसर्जित किया जा सकता है जब तक कि उसकी प्लेंटें खराब न हो जाये । इसलिए संचायक बैटरी को धारा का बहुक्रिया वाला रासायनिक स्रोत ( multiple – action chemical source of current ) भी कहा जाता है । विद्युत अपघट्य तथा प्लेटों के आधारा पर संचायक बैटरियाँ दो प्रकार की होती हैं

1. सीसा अम्ल संचायक बैटरी ( Lead acid storage battery )

2. क्षारीय संचायक बैटरर ( Alkaline storage battery )

Classification of Lead Acid Storage Battery संरचना , कार्य तथा सेवा के आधार पर सीसा अम्ल संचायक बैटरियों को निम्नलिखित दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है ।

( i ) Portable Batteries- इस प्रकार की बैटरियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सरलता से लाया जा सकता है । इनका प्रयोग अन्त – दहन इन्जनों के सड़क वाहनों के प्रवर्तन ( Starting ) , प्रकाशन ( Lighting ) , स्फुलन ( Ignition ) आदि के लिए पावर सप्लाई देने हेतु किया जाता है । इसलिए इन्हें ( SLI ) बैटरी भी कहते हैं । इसके अतिरिक्त इनका प्रयोग रेलवे में भी किया जाता है ।

( ii ) Stationary Batteries- इन बैटरियों को एक बार किसी स्थान पर लगाने के पश्चात् वहाँ से सेवा के दौरान नहीं हटाया जाता है । इनका प्रयोग स्टैण्ड – बाई सिस्टम को पावर सप्लाई देने के लिए किया जाता है । प्राय : इनका प्रयोग शक्ति केन्द्रों उपकेन्द्रों तथा टेलीफोन केन्द्रों पर किया जाता है । इसके अतिरिक्त इनका प्रयोग हूटर , हॉर्न , बज़र , इमरजेन्सी लाइटिंग उपस्करों को विद्युत सप्लाई देने के लिए किया जाता है ।

Basic Principle of Electrolysis Description- निम्न चित्र में प्रदर्शित विद्युत – विश्लेषण का मूल सिद्धन्त पदार्थों का विद्युत – निक्षेपण ( electro deposition ) है । यौगिक पदार्थों का विद्युत विश्लेषण , एक विशेष प्रकार के बर्तन में किया जाता है । जिसे विद्युत – विश्लेषी

कुण्ड या वोल्टामीटर कहते हैं । इसमें विद्युत – विश्लेष्य का द्रव ( पिघला हुआ या जलीय घोल ) भरा होता है । जिसमें एनोड तथा कैथोड प्ररूपी इलेक्ट्रोड डूबे रहते हैं । इलेक्ट्रोड के बाह्य सिरे तारों द्वारा बैटरी से संयाजित रहते हैं । वैद्युत धारा प्रवाहित होते ही विद्युत – विश्लेष्य के घोल में रासायनिक अभिक्रिया आरम्भ हो जाती है ।

फलस्वरूप विद्युत – विश्लेष्य के अवयव दो प्रकार के आयनों में विभक्त होते हैं । जो आयन , कैथोड की ओर आकर्षित होते हैं , उन्हें कैटायन तथा जो आयन , एनोड की तरफ आकर्षित होते हैं , उन्हें एनायन कहते हैं ।

आयनों के इलेक्ट्रोड पर पहुँचते ही उनका विद्युत – आवेश उदासीन हो जाता है और वे इलेक्ट्रोड पर ही एकत्रित हो जाते हैं । इस प्रकार विद्युत विश्लेष्य के अवयव विच्छेदित होकर निक्षेपित होते हैं । इसे विद्युत – निक्षेपण कहते हैं तथा इस सम्पूर्ण रासायनिक प्रक्रिया को विद्युत विश्लेषण कहते हैं ।

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Abhishek Dubey

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