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उत्तराखंड का इतिहास – स्वतंत्रता आन्दोलन में उत्तराखंड की भूमिका फ्री PDF नोट्स ( The Role of Uttarakhand in the Independence Movement Download Free PDF )

The Role of Uttarakhand in the Independence Movement Download Free PDF
Written by Abhishek Dubey

उत्तराखंड का इतिहास – स्वतंत्रता आन्दोलन में उत्तराखंड की भूमिका फ्री PDF नोट्स ( The Role of Uttarakhand in the Independence Movement Download Free PDF )

नमस्कार दोस्तो , मैं अभिषेक दुबे ( ABHISHEK DUBEY ) एक बार फिर से OnlineGkTrick.com  पर आपका स्वागत करता हूँ , दोस्तों इस पोस्ट मे  हम आपको उत्तराखंड का इतिहास – स्वतंत्रता आन्दोलन में उत्तराखंड की भूमिका फ्री PDF नोट्स ( The Role of Uttarakhand in the Independence Movement Download Free PDF ) की जानकारी उपलब्ध करा रहे है ! जो आपके आगामी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए बहुत Important है , तो दोस्तों उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगी !

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उत्तराखंड का इतिहास – स्वतंत्रता आन्दोलन में उत्तराखंड की भूमिका फ्री PDF नोट्स ( The Role of Uttarakhand in the Independence Movement Download Free PDF )

1857 की क्रांति –

  • 1857 में चम्पावत जिले के बिसुंग गाँव के कालू सिंह महरा ने कुमाऊॅ क्षेत्र  में क्रांतिवीर संगठन बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ आन्दोलन चलाया। उन्हें उत्तराखंड का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी  होने का गौरव भी प्राप्त है|
  • कुमाऊॅ क्षेत्र के हल्द्वानी  में 17 सितम्बर 1857 को एक हजार से अधिक क्रांतिकारियों ने अधिकार कर लिया|

1857 के बाद आन्दोलन –

  • 1870 ई. में अल्मोड़ा  में डिबेटिंग क्लब  की स्थापना की और 1871 से अल्मोड़ा अखबार  की शुरुआत हुई|अल्मोड़ा अकबार 1918में  बंद हो गया इसके बाड़ 1918 से बद्रीदत्त पाण्डेय ने शक्ति नामक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया|
  • 1886 में ज्वालादत्त जोशी ने कांग्रेस के कलकत्ता में आयोजित सम्मलेन में भाग लिया|
  • पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त ने 1903 में हैप्पी क्लब नाम की एक संस्था बनायीं |
  • 1912 में अल्मोड़ा कांग्रेस की स्थापना की गयी|
  • तिलक और बेसेंट द्वारा 1914 चलाये गए होम रूल लीग आन्दोलन से प्रेरित होकर विक्टर मोहन जोशी, बद्रीनाथ पाण्डेय , चिरंजीलाल और हेमचंद ने उत्तराखंड में होमरुल लीग आन्दोलन चलाया|
  • 1916 में गोविन्द बल्लभ पन्त, हरगोविंद पन्त , बद्रीदत्त पाण्डेय आदि नेताओ के प्रयास से कुमाऊं परिषद का गठन हुआ, 1926 में कुमाऊं परिषद का विलय कांग्रेस में हो गया|
  • बैरिस्टर मुकुंदीलाल और अनुसूया प्रसाद बहुगुणा के प्रयासों से 1918 में गढ़वाल कांग्रेस कमेटी का गठन हुआ, इन दोनों नेताओ ने 1919 के अमृतसर कांग्रेस में भी भाग लिया|
  • 1920 में गांधीजी   द्वारा शुरू किए गये असहयोग आन्दोलन  में कई लोगो ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया और कुमाऊ मण्डल के हजारों स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा बागेश्वर  के सरयू  नदी के तट पर कुली-बेगार   न करने की शपथ ली और इससे संबंधीत रजिस्ट्री को नदी में बहा दिया गया|
  • 23 अप्रैल 1930 को पेशावर  में 2/18 गढ़वाल रायफल के सैनिक वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली के नेतृत्व में निहत्थे अफगान स्वतंत्रता सेनानियों पर गोली चलने से इंकार कर दिया था, यह घटना ‘पेशावर कांड’ के नाम से प्रसिद्ध है।, पेशावर कांड से प्रभावित होकर मोतीलाल नेहरु ने संपूर्ण देश में गढ़वाल दिवस मानाने की घोषणा की|

भारत छोड़ो आन्दोलन में उत्तराखंड की भूमिका –

  • अल्मोड़ा के धामगो में 25 अगस्त 1942 को सेना व जनता के बीच पत्थर व गोलियों का युद्ध हुआ|
  • अल्मोड़ा के सल्ट में 5 सितम्बर 1942 खुमाड़ नामक स्थान पर सेना ने जनता पर गोलिया चला दी इसमें कई लोग शहीद हुए , इस घटना के कारण महात्मा गाँधी ने सल्ट को कुमाऊं का बारदोली कहा , सल्ट के खुमाड़ में प्रतिवर्ष 5 सितम्बर को शहीद दिवस मनाया जाता है|

स्वंत्रता आन्दोलन में उत्तराखंड की महिलाओ की भूमिका –

  • उत्तराखंड से स्वंत्रता आन्दोलन में भाग लेने वाली प्रमुख महिलाये कुंती वर्मा , पद्मा जोशी , दुर्गावती पन्त ,जानकी देवी ,शकुंतला देवी , भिवेडी देवी, बिशनी देवी शाह  आदि थी

  स्वंत्रता आन्दोलन के दौरान उत्तराखंड में प्रकाशित प्रमुका पत्र- पत्रिकाएं –

  • अल्मोड़ा अकबार-  अल्मोड़ा अकबार 1871 में अल्मोड़ा से प्रकाशित हुआ.
  • शक्ति – 1918 में अल्मोड़ा अकबार के बंद हो जाने के बाद बद्रीदत्त पाण्डेय ने शक्ति पत्रिका का प्रकाशन किया.
  • गढ़वाली – पं गिरिजादत्त नैथानी के सम्पादकत्व में 1905  में देहरादून से प्रकाशित.
  • कर्मभूमि- 1939 में भक्तदर्शन और भैरवदत्त के सम्पादकत्व में लेंसडाउन से प्रकाशित.
  • युगवाणी- 1941 में देहरादून से प्रकाशित.

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About the author

Abhishek Dubey

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