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राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अधिकारों एवं शक्तियों की तुलना ( Comparisons between President and Governor’s Powers )

राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अधिकारों एवं शक्तियों की तुलना ( Comparisons between President and Governor's Powers )
Written by Abhishek Dubey

नमस्कार दोस्तो , मैं अभिषेक दुबे ( ABHISHEK DUBEY ) एक बार फिर से OnlineGkTrick.com  पर आपका स्वागत करता हूँ , दोस्तों इस पोस्ट मे  हम आपको राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अधिकारों एवं शक्तियों की तुलना ( Comparisons between President and Governor’s Powers ) की जानकारी उपलब्ध करा रहे है ! जो आपके आगामी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए बहुत Important है , तो दोस्तों उम्मीद है यह जानकारी आपके आने वाले लगभग सभी Compatitive Exams लिए काफी Helfull साबित होगी .

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राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अधिकारों एवं शक्तियों की तुलना ( Comparisons between President and Governor’s Rights )

  राष्ट्रपति ( President ) राज्यपाल ( Governor)
1. वह किसी अध्यादेश को तभी जारी कर सकता है जब वह देखें कि ऐसी परिस्थितियां बन गई है कि त्वरित कदम उठाना आवश्यक है | जब राज्यपाल इस बात से संतुष्ट हो कि अब ऐसी परिस्थिति बन गई है कि तुरंत कदम उठाया जाना जरूरी है तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है |
2. किसी अध्यादेश को तभी जारी कर सकता है जब संसद के दोनों या कोई एक सदन सत्र में ना हो | वह किसी अध्यादेश को तभी जारी कर सकता है जब विधानमंडल के दोनों अथवा एक सदन सत्र में ना हो |
3. अध्यादेश निर्माण शक्ति के मामले में उसे संसद के सहअस्तित्व के समान शक्ति है | अध्यादेश निर्माण की उसकी शक्ति राज्य विधान परिषद के सह-अस्तित्व के रूप में है |
4. उसके द्वारा जारी अध्यादेश संसद द्वारा निर्मित अधिनियम की तरह ही प्रभावी है | उसके द्वारा जारी अध्यादेश भी राज्य विधान मंडल द्वारा निर्मित अधिनियम की तरह ही प्रभावी है |
5. उसे अध्यादेश बनाने में किसी निर्देश की आवश्यकता नहीं होती | यह बिना राष्ट्रपति से निर्देश के निम्न तीन मामलों में अध्यादेश नहीं बना सकता है –

  1. यदि वह सामान उपबंधों वाले विधेयक को राष्ट्रपति के विचारर्थ आवश्यक माने |
  2. यदि राज्य विधानमंडल का अधिनियम ऐसा हो कि राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना यह अवैध हो जाए |
  3. राज्य विधानमंडल में इसकी प्रस्तुति के लिए राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है |
6. राष्ट्रपति केंद्रीय विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसके प्रतिलंबन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश को निलंबन, परिहार या लघुकरण कर सकता है | राज्यपाल राज्य विधि के अधीन किसी अपराध में सजा प्राप्त व्यक्ति को क्षमादान दे सकता है या दंड को स्थगित कर सकता है |
7. राष्ट्रपति सजा-ए-मौत को क्षमा कर सकता है कम कर सकता है या स्थगित कर सकता है या बदल सकता है एकमात्र उसे ही अधिकार है कि वह मृत्युदंड की सजा को माफ कर सकता है | राज्यपाल मृत्युदंड की सजा को माफ नहीं कर सकता है चाहे किसी को राज्य विधि के तहत मौत की सजा मिली भी हो, तो भी उसे राज्यपाल की वजाय राष्ट्रपति से क्षमा की याचना करनी होगी लेकिन राज्यपाल इसे स्थगित कर सकता है या पुनर्विचार के लिए कह सकता है |
8. राष्ट्रपति कोर्ट मार्शल (सैन्य अदालत) के तहत सजा प्राप्त व्यक्ति की सजा माफ कर सकता है, कम कर सकता है या बदल सकता है | राज्यपाल को कोर्ट मार्शल के तहत प्राप्त सजा को माफ करने की कोई शक्ति प्राप्त नहीं है |

राष्ट्रपति एवं राज्यपाल की वीटो शक्ति की तुलना ( Comparisons between President and Governor’s Powers )

 

राष्ट्रपति ( President )

राज्यपाल ( Governor )

1. संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित को अनुमति न देने की घोषणा कर सकता है ऐसी स्थिति में वह विधेयक अधिनियम नहीं बन सकता  | राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक पर अपनी अनुमति देने से इंकार कर सकता है इस स्थिति में वह विधेयक अधिनियम नहीं बनेगा |
2 . संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक को अनुमति प्रदान कर सकता है | राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक को अनुमति प्रदान कर सकता है |
3. धन विधेयक को छोड़कर अन्य पारित विधेयकों को संसद के दोनों सदनों को संदेश के साथ पुनर्विचार के लिए वापस लौटा सकता है लेकिन यदि उस विधेयक को पुनः दोनों सदन पारित कर के राष्ट्रपति अनुमति के लिए भेजते हैं तो राष्ट्रपति को उस पर अनुमति देना अनिवार्य होता है | धन विधेयक को छोड़कर अन्य विधेयक को राज्यपाल विधान मंडल को संदेश के साथ पुनर्विचार के लिए वापस लौटा सकता है यदि विधान मंडल उस विधेयक को पुनः पारित कर देता है तो राज्यपाल को उस पर अनुमति देना अनिवार्य है |
4. राज्यपाल द्वारा आरक्षित विधेयक पर राष्ट्रपति

    • यदि वह धन विधेयक है तो राष्ट्रपति उस पर अनुमति दे भी सकता है या अनुमति नहीं भी दे सकता है |
    • यदि वह धन विधेयक नहीं है तो वह विधेयक को राज्य विधानमंडल को पुनर्विचार के लिए वापस कर सकता है यदि वह विधेयक पुनः राज्य विधान मंडल द्वारा पारित करके राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तो राष्ट्रपति द्वारा अनुमति देना अनिवार्य नहीं है वह उस पर अनुमति दे भी सकता है और अनुमति देने से मना भी कर सकता है |
    • संविधान में कोई निश्चित अवधि नहीं बताई गई है जिसके भीतर अनुमति देने या न देने की घोषणा आवश्यक है राष्ट्रपति किसी विधेयक को लंबित रख सकता है |
राज्यपाल राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक को वापस ना लौटा कर या अनुमति न देकर उसे राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करके रख सकता है राज्यपाल का स्वविवेक का अधिकार है जब किसी विधेयक को राज्यपाल राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित कर लेता है तो राज्यपाल के उस विधेयक पर सभी अधिकार समाप्त हो जाते हैं तथा उस पर राष्ट्रपति का अधिकार हो जाता है |
5. राष्ट्रपति को संविधान में मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना कार्य करना मना है | अनुच्छेद 163 में स्पष्ट रुप से वर्णन है कि कुछ क्षेत्र क्षेत्र में राज्यपाल को अपने विवेक अनुसार कार्य करना है और इस पर उसका निर्णय अंतिम होगा |
6. राष्ट्रपति किसी राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक को अपने स्वयं के विचार द्वारा आरक्षित नहीं कर सकता | राज्यपाल राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित कर सकता है | (अनुच्छेद 200)
7. राष्ट्रपति संघ की कार्यपालिका शक्ति किसी भी परिस्थिति में अपने हाथ में नहीं ले सकता | अनुच्छेद 356 के तहत राज्य की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित हो जाती है किंतु वास्तव में शक्तियों का प्रयोग राज्यपाल द्वारा किया जाता है, इस प्रकार राज्यपाल मंत्रिपरिषद के बिना कार्य करता है |
8. संविधान में कोई भी ऐसा उपबंध नहीं है जो राष्ट्रपति को व्यक्तिगत निर्णय लेकर कार्य करने की अनुमति दें | राज्यपाल को अनुच्छेद 371, 371(A) के अधीन कुछ राज्यों में विशेष उत्तरदायित्व सौंपे गए हैं जिन्हें वह विवेकानुसार निभाता है | राज्यपाल के इस व्यक्तिगत निर्णय को रख न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है |

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About the author

Abhishek Dubey

नमस्कार दोस्तों , मैं अभिषेक दुबे, Onlinegktrick.com पर आप सभी का स्वागत करता हूँ । मै उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का रहने वाला हूँ ,मैं एक upsc Aspirant हूँ और मै पिछले दो साल से upsc की तैयारी कर रहा हूँ ।

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