संविधान सभा (1946) नोट्स
* संविधान सभा के सिद्धांत का सर्वप्रथम दर्शन 1895 ई. के ‘स्वराज्य विधेयक’ में होता है, जिसे तिलक के निर्देशन में तैयार किया गया था। *20वीं सदी में इस विचार की ओर सर्वप्रथम संकेत महात्मा गांधी ने किया, जब उन्होंने वर्ष 1922 में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ”भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छानुसार ही होगा।” *वर्ष 1924 में मोतीलाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के सम्मुख संविधान सभा के निर्माण की मांग प्रस्तुत की। * इसके बाद औपचारिक रूप से संविधान
सभा के विचार का प्रतिपादन एम.एन. राय ने किया और इस विचार को मूर्त रूप देने का कार्य पं. जवाहरलाल नेहरू ने किया। * इसके बाद दिसंबर, 1936 के कांग्रेस के फैजपुर अधिवेशन में संविधान सभा के अर्थ तथा महत्व की व्याख्या की गई। * कैबिनेट मिशन प्लान के अंतर्गत संविधान सभा का गठन किया गया था। * भारत में कैबिनेट मिशन 24 मार्च, 1946 को नई दिल्ली आया। * मिशन की घोषणा के समय इसके अध्यक्ष सर पैथिक लॉरेंस ने यह स्पष्ट किया था कि इस मिशन का उद्देश्य
स्वतंत्र भारत का संविधान तैयार करने के लिए शीघ्र ही एक कार्यप्रणाली
तैयार करना तथा अंतरिम सरकार के लिए आवश्यक प्रबंध करना था। *कैबिनेट मिशन योजना के तहत यह व्यवस्था थी कि संविधान सभा के
निर्माण के लिए प्रत्येक प्रांत को 10 लाख लोगों के लिए एक प्रतिनिधि
के अनुपात में जनसंख्या के सांप्रदायिक आधार पर स्थान दिए जाएंगे। * मतदाताओं के केवल 3 वर्ग माने गए-आम, मुस्लिम एवं सिख (केवल पंजाब में)। *कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार जुलाई, 1946 में संविधान सभा के चुनाव हुए। * संविधान सभा के प्रांतों के लिए 296 सदस्यों के लिए ही ये चुनाव हुए। * कांग्रेस के 208, मुस्लिम लीग के 73 तथा 15 अन्य दलों और स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए। * मुहम्मद अली जिन्ना भारत की संविधान सभा के सदस्य नहीं थे। *संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर, 1946 को हुआ। * इसके अस्थायी अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा थे। * 11 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा की दूसरी बैठक दिल्ली में हुई, जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। * भारत के संविधान को 26 नवंबर, 1949 को अंगीकृत किया गया था। * अपने गठन के समय संविधान सभा संप्रभ नहीं थी। *14 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि (15 अगस्त को) को संविधान सभा भारतीय अधिराज्य के लिए संप्रभु संविधान सभा घोषित की गई। * उस दिन इसके अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद थे। *ब्रिटिश युग की केंद्रीय लेजिस्लेटिव असेम्बली तथा स्वतंत्र भारत की संसद में अध्यक्ष का पद जी.वी. मावलंकर ने संभाला। * ब्रिटिश युग में मावलंकर वर्ष 1946 से 14 अगस्त, 1947 तक केंद्रीय लेजिस्लेटिव असेम्बली के अध्यक्ष रहे एवं भारत के स्वतंत्र होने के बाद लोक सभा के प्रथम अध्यक्ष के रूप में वर्ष 1952 से 1956 तक रहे। * वे वर्ष 1937-1946 के दौरान बंबई प्रांत की लेजिस्लेटिव असेम्बली के भी अध्यक्ष रहे थे।