GK Himachal Pradesh Gk Notes

स्वतंत्रता से पूर्व हिमाचल प्रदेश में आंदोलन ( Movement in Himachal Pradesh before Independence )

Movement in Himachal Pradesh before Independence
Written by Abhishek Dubey

स्वतंत्रता से पूर्व हिमाचल प्रदेश में आंदोलन ( Movement in Himachal Pradesh before Independence )

नमस्कार दोस्तो , मैं अभिषेक दुबे ( ABHISHEK DUBEY ) एक बार फिर से OnlineGkTrick.com  पर आपका स्वागत करता हूँ , दोस्तों इस पोस्ट मे  हम आपको की जानकारी उपलब्ध करा रहे है ! जो आपके आगामी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए बहुत Important है , तो दोस्तों उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगी !

हिमाचल प्रदेश के सभी नोट्स पढ़ने के लिए यहाँ Click करे !

All Gk Tricks यहाँ से पढ़े ।

सभी विषय के हिन्दी नोट्स यहाँ से पढ़े ।

भारतीय राज्यों के सामान्य ज्ञान यहाँ से पढ़े 

हिमाचल के स्वाधीनता संग्राम में ‘धामी गोली काण्ड’ ‘चम्बा विद्रोह’, ‘पझौता विद्रोह’ ‘मण्डी तथा बिलासपुर विद्रोह’ ‘सुकेत आन्दोलन’, आदि प्रमुख घटनाएं हैं। सांमती शासन और विदेशी हस्तक्षेप से ग्रस्त पहाड़ी जनता ने आखिर अपनी सुप्त चेतना को संसार के सामने लाकर स्वाधीनता का बिगुल बजा ही दिया।

1. दूम्ह आन्दोलन (Duma movement):

हिमाचल में ‘दूम्ह‘ के रूप में पहले से ही अहिंसात्मक आन्दोलन की नींव पड़ चुकी थी। ‘दूम्ह’ का अर्थ असहयोग था। यह राजाओं के शासन काल में बेगार भूमिकर, भ्रष्ट अधिकारियों को हटाने हेतु किया जाता था। 

रामपुर में पहाड़ी रियासतो में प्रजा ने प्रशासन के आर्थिक शोषण के विरूद्ध आवाज उठाई । सन् 1859 में किसानों ने नकदी भूमि लगान के विरोध में आन्दोलन किया। आर्थिक कानून के विरोध में अहिंसात्मक असहयोग आन्दोलन (Non-violent non-cooperation movement) किया। किसान,  राजा को फसल का 5 वां हिस्सा देते थे और पुरानी प्रथा के अनुसार घी , तेल , दूध ,ऊन ,बकरी आदि राजा को देते थे। किसान नकद लगान देने में असमर्थ थे इसलिए यह आंदोलन हुआ था।  इसका केंद्र रोहड़ू (बुशहर) था। लोग अपने परिवारों तथा पशु धन के साथ जंगलों में चले गए। फसलें बर्बाद हो गई। राज्य की आय का मुख्य स्त्रोत भूमि लगान थी जो बंद हो गई थी। दूम्ह आन्दोलन को समाप्त करने के लिए ब्रिटिश सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक था।
शिमला हिल स्टेट्स के सुपरिन्टेन्डेंट, जी. सी.बार्नस (G. C. Barnes) बुशहर गए। राजा शमशेर सिंह से विचार-विमर्श किया। आन्दोलनकारी किसानों  ने आन्दोलन समाप्त करने के लिए लगान व्यवस्था को समाप्त करने, लगान की वसूली परम्परागत ढंग से उपज और वस्तुओं के माध्यम से करने और खानदानी वजीरों को पुराने रिवाज के अनुसार सत्ता सौंपने की मांग रखी। आन्दोलन को देखते हुए मांगें मान ली गई और असहयोग आन्दोलन समाप्त हो गया।

2. नालागढ़ आन्दोलन (Nalagadh Movement):

नालागढ़ में 1877 ई. में प्रजा ने प्रशासन के विरूद्ध आन्दोलन किया। ईशरी सिंह नालागर रियासत के राजा थे। उन्होंने अपने पिता उग्र सिंह के समय के कैदियों को रिहा कर राज्य के भ्रष्ट अधिकारियों को पदच्चुत किया। अपने पुराने वजीर गुलाम कादिर खान को रियासत का वजीर नियुक्त किया। वजीर ने कर लगाए और भूमि लगान बढ़ा दिया। जनता में रोष और असन्तोष था। प्रजा ने कर और लगान देना बन्द कर दिया। आन्दोलित प्रजा ने रियासत के कर्मचारियों के काम में बाधा डालना शुरू किया। गड़बड़ी की हालत में ब्रिटिश सरकार ने हस्तक्षेप किया। शिमला से सुपरन्टेिन्डेंट शिमला हिल स्टेटस पुलिस दल को लेकर नालागढ़ पहुंचे। आन्दोलनकारियों का पुलिस ने दमन किया। प्रमुख नेताओं को हिरासत में लिया। अन्त में राजा और अंग्रेज अफसरों को झुकना पड़ा। वजीर गुलाम कादिर खान को रियासत से निकाल दिया गया। कर और लगान में कमी की गई। आन्दोलनकारियों को रिहा कर उनके विरूद्ध मुकद्दमें वापिस लिए गए। अन्ततः रियासत में शान्ति स्थापित हुई।

3. सिरमौर में भूमि आंदोलन (Land movement in Sirmaur):

1878 में सिरमौर में हुआ। यह आंदोलन राजा शमशेर प्रकाश की भूमि बंदोबस्त व्यवस्था के खिलाफ किया गया।

4. झुग्गा सत्याग्रह आंदोलन (Jhuga Satyagraha movement):

1883 ई. में बिलासपुर रियासत में हुए हृदय विदारक और अहिसांत्मक सत्याग्रह का उद्देश्य आत्मोत्पीड़न और आत्मदाह द्वारा राजा और उसके प्रशासन के अत्याचारों और तानाशाही के प्रति विरोध करना था। राजा अमरचन्द कुशल प्रशासक नहीं था। वजीर और कर्मचारी अत्याचारी और भ्रष्ट थे। प्रशासन अस्त-व्यस्त था। मनमाने ढंग से भूमि लगान में प्रशासन परिवर्तन करता था। प्रजा ने आन्दोलन का मार्ग  पनाया। रियासत के ब्राह्मणों और पुरोहितों ने प्रजा से प्रशासन के विरूद्ध आवाज उठाने का अनुरोध “किशोरी लाल” किया और आन्दोलन की योजना बनाई। कोट, लुलहाण, नाड़ा, गेहड़वी और पंडतेहड़ा। जनता की  सहायता से झुग्गे (घास-फूस की झोपडियां) बनाए । झुग्गो के ऊपर अपने कुलदेव के झण्डे लगाए और झुग्गों में रहने लगे। यह एक सत्याग्रह आन्दोलन था। देवी-देवता की धार्मिक शक्ति से प्रशासन में न्याय और सदाचार की भावना जगाना सत्याग्रह का उद्देश्य था।
राजा अमर चन्द
 ने तहसीलदार निरंजन सिंह को पुलिस गार्द के साथ गेहडवीं भेजकर सत्याग्रहियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। पुलिस गार्द के आने की सूचना मिलते ही सत्याग्रहियों ने झुग्गों में आग लगा दी। देखते-देखते कुछ आन्दोलनकारी उसमें जल गए। एकत्रित आन्दोलनकारी प्रजा भड़क उठी, शान्तिप्रिय सत्याग्रह ने उग्र रूप ले लिया। मुठभेड़ में अनेक आन्दोलनकारी शहीद हुए । प्रजा के नेता गुलाबा राम नड्डा ने गार्द के कमाण्डर निरंजन सिंह को गोली मार दी। लोगों ने घायल निरंजन सिंह को जलते हुए झुग्गों में फेंक दिया। राजा ने ब्रिटिश सरकार से सहायता लेकर विद्रोह को दबा दिया। काफी संख्या में ब्राह्मण परिवार रियायत छोड़कर कांगड़ा चले गए। विद्रोह के नेता गुलाबा राम को छह साल की सजा देकर सरीऊन किले में बन्दी बना दिया गया। राजा ने बाद में भूमि लगान कर तथा बेगार प्रथा भी हटा दी। रियासत में शान्ति स्थापित हुई। इस तरह इस अद्भुत आन्दोलन का अन्त हुआ।

5. चम्बा आन्दोलन (Chamba movement):

1895 ई. में चम्बा रियासत में किसान आन्दोलन हुआ। राजा शाम सिंह और वजीर गोविन्द राम के प्रशासन में किसानों पर लगान का बोझ था। ब्रिटिश अफसरों के आदेश पर (बेगार) श्रमदान की मांग की गई। हर परिवार से एक व्यक्ति वर्ष में छह महीने रियासत का काम करता था। श्रमिकों को रियासती सरकार राज्य के कार्यों में लगाती थी। वे अंग्रेज अफसरों का बोझ ढोते, घरों में नौकारी करते और राजा के महलों में काम करते थे। बेगारियों को मजदूरी और भोजन नहीं मिलता था। विवश होकर किसानों ने आन्दोलन की राह अपना ली। भटियात वजीरी के किसानों ने इस आर्थिक शोषण के विरूद्ध आन्दोलन किया। भूमि-लगान देने से इन्कार किया। लगान वसूल करने वाले अधिकारियों को वजीरी में घुसने नहीं दिया। बगार-सेवा देनी बन्द कर दी। सार्वजनिक कार्य और सभा–सम्मेलनों का बहिष्कार किया। चम्बा की रियासती सरकार की मांग पर ब्रिटिश सरकार ने आयोग स्थापित किया। आयोग ने किसानों को न्याय देने का आश्वासन दिया। आन्दोलन से थके किसानों ने आन्दोलन स्थगित कर दिया| आन्दोलन कम होने पर ब्रिटिश सरकार ने रियासती प्रशासन को आन्दोलन के नेताओ और  आन्दोलनकारियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। आन्दोलन को दबा दिया गया। चम्बा में रियासत के विरूद्ध अनेक स्वतन्त्रता सेनानियों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

6. ठियोग आन्दोलन (Thiyog movement):

1898 में ठियोग में बन्दोबस्त में गड़बड़ी के विरोध में किसानों ने बेगार देने से इन्कार किया। रियासती सरकार ने ब्रिटिश सरकार की मदद से आन्दोलन दबा दिया। ठियोग रियासत में प्रजामण्डल आन्दोलन ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ठियोग के शासक ने देवी राम केवला को स्वतन्त्रता संग्राम में शामिल होने के लिए एक वर्ष की कारावास की सजा दी।

7. मंडी जन आंदोलन (Mandi Jan Movement):

1909 ई में 20000 लोगों ने मंडी में प्रदर्शन किया बजीर जीवानंद के खिलाफ और राजा को अंग्रेजो की सहायता से बजीर जीवानंद को हटाना पड़ा था और आंदोलन शांत हो कर समाप्त हो गया। 

8. कुनिहार आंदोलन (Kunihar movement):

1920  में राजा के विरुद्ध आवाज उठाई गई। लोगों को कारावास में डाला गया। पर बाद में राणा हरदेव ने लोगों की माँगे मान ली। लगान में 25 % की कमी की गई , बंदी कार्यकर्ताओं को छोड़ दिया गया , प्रजामंडल से प्रतिबंध हटा दिया गया , एक शाशक सुधार कमेटी बनाई गई।  इस तरह से कुनिहार आंदोलन शांत हुआ।

9. पझौता किसान आन्दोलन (Pazhota Kisan Movement):

अक्तूबर, 1942 ई. में सिरमौर रियासत में जागरूक किसानों ने गांव जदोल-टपरोली में किसान सभा की स्थापना की। इस सभा के लक्ष्मी सिंह प्रधान, गांव टपरोली के गुलाब सिंह, जदोल के चूचू मियां, पैण-कुफ्फर के मेहर सिंह, धामला के मदन सिंह, टपरोली के अत्तर सिंह, कटोगड़ा के वैद्य सूरत सिंह, बघोल के जालम सिंह, लेऊ के मही राम, नेरी के कली राम और पंचड़ के पदमा राम कार्यकारिणी के सदस्य बने। वैद्य सूरत सिंह को किसान सभा का सचिव बनाया गया। सभा के सदस्य ने लौटे में नमकीन पानी बनाकर सहयोग एवं दायित्व की शपथ ली। पझौता आन्दोलन में भाग लेने के कारण आन्दोलनकारी घणू राम को किसान तथा प्रजामण्डल आन्दोलन में भी भागेदारी के कारण 15 मास के कारावास की सजा दी गई।

किसान सभा ने रियासती सरकार से ये मांगें रखी:

  • प्रजा द्वारा निर्वाचित मन्त्रिमण्डल की स्थापना।
  • महिला रीत टैक्स की समाप्ति।
  • आलू के खुले व्यापार का कानून तथा भ्रष्ट कर्मचारियों का तबादला।
  • जबरन बेगार की समाप्ति। 
  • गिरी नदी पर पुल।
  • नये स्कूल, डाकघर, अस्पताल आदि का निर्माण।

किसान सभा का आन्दोलन फैल गया। सरकार के आदेशों का उल्लंघन होने लगा। सिरमौर के महाराजा राजेन्द्र प्रकाश एवं अकुशल और आराम-परस्त शासक थे। रियासत में नौकरशाही का शासन था।

10. बिलासपुर आंदोलन (Bilaspur Movement):

1930 ई. में रियासत में भूमि बंदोबस्त अभियान चलाया गया बिलासपुर में इसमें 19 नेताओं को जेल हुई । सरकार ने अनेक टैक्स लगा रखे थे। प्रजा का आर्थिक शोषण हो रहा था। रियासत के भ्रष्ट कर्मचारी रिश्वत लेते थे। करों का बोझ असहनीय था। बन्दोबस्त के विरोध में रियासती सरकार आन्दोलन को न दबा सकी।जिन गांवों ने इस आंदोलन में भाग लिया था उन गांवों को सामूहिक 2500 रुपये का जुर्माना लगाया गया।

11. धामी गोली काण्ड (Dhami golikand):

16 जुलाई, 1939 ई. को  प्रजा मंडल के नेता भागमल सोठा के नेतृत्व में राणा से मिलने राजधानी हलोग (धामी) गया। प्रजा मंडल के नेता भागमल सोठाहीरा सिंह पालमनशा राम चौहानपं. सीता राम, बाबू नारायण दास, भगतराम और गौरी सिंह सम्मिलित थे। जब प्रजा मंडल घणाहट्टी पहुंचा तो पुलिस ने भागमल सोठा को हिरासत में ले लिया। महात्मा गांधी जिन्दाबाद और कांग्रेस जिन्दाबाद के नारे लगाते हुए प्रजा मंडल के सदस्य आगे बढ़ते रहे। जलूस पर पुलिस ने गोलियां चलाई। शान्तिपूर्ण जलूस पर गोली से गांव मन्देआ के दुर्गादास और गांव टंगोया के उमादत्त शहीद हो गए। 80-90 व्यक्ति घायल हुए । महात्मा गाँधी की आज्ञा पर नेहरू ने दुनीचंद वकील को इस घटना की जांच के लिए नियुक्त किया।

सभी Exams के Free PDF यहाँ से Download करें ।

सभी विषय के Free PDF यहाँ से Download करें ।

Lucent – सामान्य ज्ञान सभी विषय के MP3 Audio में यहाँ से Download करें।

सभी विषय के प्रश्न-उत्तर Download करें

Download Previpus Year Paper PDF

Download NCERT Books Free PDF for All Subjects in Hindi & English

दोस्तों , हमारे website- OnlineGkTrick.com पर 200+ Gk Tricks in Hindi उपलब्ध है 200+ Gk Tricks in Hindi पढ़ने के लिए यहाँ Click करें। दोस्तों नीचे दिये गए Comment Box में Comment करके हमे जरूर बताये कि आपको यह ट्रिक कैसी लगी ? और किसी और ट्रिक की जानकारी के लिए भी बताये, हम आपको जरूर उपलब्ध करायेंगे

सभी महान व्यक्तियों की जीवनी या जीवन परिचय (Biography) यहाँ से पढ़े !

Gk Tricks in Hindi यहाँ से पढ़े । – 

दोस्तों आप मुझे ( अभिषेक दुबे ) Abhishek Dubey को Facebook पर Follow कर सकते है । दोस्तों अगर आपको यह पोस्ट पसन्द  हो तो इसे Facebook तथा Whatsapp पर Share अवश्य करें । Please कमेंट के द्वारा हमें जरूर बताऐं कि ये पोस्ट आपको कैसी लगी आपके सभी सुझावों का स्वागत करते हैं ।  धन्यवाद !

Download Free More Exams & Subjects PDF – 

अब घर बैठे करे Online तैयारी और करें Competition Crack with OnlineGkTrick.com । जी हाँ दोस्तों हम आपको Provide कराते है। Free Study Materials For Upsc , Ssc , Bank Railway & Many More Competitive Examinations .

About the author

Abhishek Dubey

नमस्कार दोस्तों , मैं अभिषेक दुबे, Onlinegktrick.com पर आप सभी का स्वागत करता हूँ । मै उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का रहने वाला हूँ ,मैं एक upsc Aspirant हूँ और मै पिछले दो साल से upsc की तैयारी कर रहा हूँ ।

यह website उन सभी students को समर्पित है, जो Students गाव , देहात या पिछड़े क्षेत्र से है या आर्थिक व सामाजिक रूप से फिछड़े है

Thankyou

Leave a Comment