नमस्कार दोस्तो , मैं अभिषेक दुबे ( ABHISHEK DUBEY ) एक बार फिर से OnlineGkTrick.com पर आपका स्वागत करता हूँ , दोस्तों इस पोस्ट मे हम आपको की जानकारी उपलब्ध करा रहे है ! जो आपके आगामी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए बहुत Important है , तो दोस्तों उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगी !
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राजस्थान की प्रमुख हवेलियाँ व छतरियाँ
पटवों की हवेली
यह हवेली जैसलमेर में स्थित हैं। इसे गुमानचन्द पटवा के पुत्रों ने बनवाया। यह भारत, सिन्ध, यहुदी, मुगल स्थापत्य कला का सुन्दर नमुना हैं विश्व की एकमात्र हवेली जिसकी खिड़कीया पत्थर की बनी हुई हैं।
जसवन्त थड़ा
यह जोधपुर में स्थित हैं। इसका निर्माण जसवन्त सिंह की स्मृति में उनके पुत्र सरदार सिंह ने 1906 ई. में इसका निर्माण करवाया। इसे राजस्थान का ताजमहल कहते हैं।
जयसिंह की छतरी
यह छतरी रणथम्भौर दुर्ग (सवाईमाधोपुर) में स्थित हैं। यह छतरी हम्मीरदेव के पिता की स्मृति में बनवायी गयी हैं। यह छतरी 32 खम्भों पर बनी हुई हैं। इसलिए इसे 32 खम्भों की छतरी भी कहते हैं।
चेतक की छतरी
यह राजसमन्द में हल्दीघाटी के नजदिक बलीचा गाँव में बनी हुई हैं। यह छतरी महाराणा प्रताप की प्रिय घोड़े चेतक की याद में बनाई हुई हैं। यहाँ पर बना हुआ स्मारक चबुतरा कहलाता हैं।
मुँसी महारानी की छतरी
यह छतरी अलवर के राजा विनयसिंह ने अपनी रानी के लिए 1815 में बनवाई। यह 80 खम्भों पर बनी हुई हैं। इसलिए इसे 80 खम्भों की छतरी भी कहते हैं।
धाबाई देवी की छतरी
इसका निर्माण बूँदी के देवपुर गाँव में 1883 ई. राजा अनिरूद्व के भाई देव ने करवाया था। यह छतरी शिव भगवान का समर्पित हैं।
पंचकुण्ड की छतरियाँ
जोधपुर के मण्डोर में यह छतरियाँ स्थित हैं। यहाँ राठोड़ों की छतरियाँ बनी हुई हैं। जिसमें रावगाँगा कि छतरी सबसे प्राचीन छतरी हैं। तथा इसके दक्षिण में रानियों कि छतरीयाँ हैं।
सुनहरी कोठी
इसे मुबारक महल भी कहते हैं। यह टोंक में स्थित हैं। यह पुर्णतया इस्लामिक शैली में बनी हुई हैं। नवाब वजीउद्दौला खाँ द्वारा 1824 में शीशमहल के नाम से इसे बनवाया। इसका प्राचीन नाम जरगिनार था।
ईसरलाट
इसे सरगासुली भी कहते हैं। जयपुर में नाहरगढ़ के पास इसका निर्माण राजा ईश्वरीसिंह ने मराठों की विजय के उपलक्ष्य में बनवाया। जिस के ऊपर से कुद कर ईश्वरीसिंह ने आत्महत्या कर ली थी।
कुछ प्रमुख छतरियाँ व हवेलियाँ एवं उनके स्थान
भागोरिया कि हवेली, भगतों कि हवेली, लालधरजी व धरका जी की हवेली व रावल साहब की हवेली =नवलगढ़(झंुझुन्ूा)
रामदेव चैखाणी की हवेली व सागरमल लाड़ियाँ कि हवेली =मण्डावा (झंुझुन्ूा)
सेठ जयदयाल केड़ियाँ कि हवेली, नाथूराम पोदार की हवेली, हीराराम बनारसी कि हवेली व सीताराम सिंगतिया कि हवेली बिड़ला कि हवेली =बिसाऊ (झंुझुन्ूा)
केसरदेव कि हवेली =झंुझुन्ूा
सोने-चाँदी कि हवेली =महनसर (झंुझुन्ूा)
नथमल कि हवेली, सालिमसिंह कि हवेली =जैसलमेर
बच्छावतों कि हवेली, रामपुरिया कि हवेली व कोठारी हवेली =बीकानेर
पुष्य हवेली, बड़े मियाँ कि हवेली, पच्चिसां कि हवेली, राखी हवेली एवं पोकरण हवेली =जोधपुर
बागौर कि हवेली व मोहनसिंह जी की हवेली =उदयपुर
पंसारी की हवेली (श्रीमाधोपुर), बिनाणियां कि हवेली, रोनेड़ी वालों कि हवेली, केड़िया एवं राठी कि हवेली (लक्ष्मणगढ़) खेमका सेठों की हवेली, गोयनका सेठों कि हवेली (रामगढ़) = सीकर
निहाल टाॅवर = धौलपुर
पुरोहीत जी की हवेली, चूरसिंह कि हवेली, रत्नाकर भट्ट पुण्डरिक कि हवेली एवं मथूरा वालों कि हवेली = जयपुर
झाला जी कि एवं बड़ेदेवता कि हवेली कोटादेवीकुण्ड कि छतरियाँ एवं राव कल्याण मल कि छतरियाँ = बीकानेर
एक खम्भे कि छतरि, रानी सुर्य कँवर कि छतरी, प्रधानमंत्री राजसिंह चम्पावत की छतरी एवं अखैराज कि छतरी = जोधपुर
बड़ा बाग कि छतरी एवं महारावल जैतसिंह कि छतरी= जैसलमेर
अमरसिंह राठौड़ कि छतरी एवं लाछा गुजरी कि छतरी = नागौर
गड़रा का शहीद स्मारक = बाड़मेर
रूठी रानी की छतरी, आँतेड कि छतरी एवं पृथ्वीराज स्मारक = अजमेर
पृथ्वीराज सिसोदिया कि छतरी = राजसमंद
कपूर बाबा फकीर की छतरी एवं उदयसिंह कि छतरी = उदयपुर
मीरां के गुरू रैदास कि छतरी, जयमल राठौड़ कि छतरी, कल्ला जी की छतरी एवं बाघसिंह कि छतरी = चितौड़गढ़
गैटोर कि छतरियाँ, अमर जवान ज्योति एवं मानसिंह प्रथम कि छतरी = जयपुर
रावशेखा कि हवेली (नवलगढ़) एवं जोगीदास की छतरी (उदयपुरवाटी) = झुन्झुनू
बीघाजी स्मारक = (सुजानगढ़)
चुरू टहला कि छतरी = अलवर
बंजारों कि छतरी = (लालसोट) दौसा
अकबर की छतरी = भरतपुर
गोपाल सिंह कि छतरी = करौली
कुत्ते कि छतरी = सवाईमाधोपुर
थानेदार नाथूसिंह कि छतरी = बाराँ
क्षारबाग की छतरी = कोटा
महाराणा सांगा कि छतरी, जगदिश कच्छवाहा कि छतरी, जोधसिंह कि छतरी एवं गंगा बाई कि छतरी = भीलवाड़ा
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