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मुगल साम्राज्य का विघटन नोट्स (Disintegration of the Mughal Empire Notes)

Disintegration of the Mughal Empire Notes (मुगल साम्राज्य का विघटन नोट्स)

1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके 63 वर्षीय पुत्र मुअज्जम (शाह आलम) ने ‘बहादुर शाह’ (प्रथम) के नाम से सत्ता संभाली। उसने 1707-1712 ई. की अवधि में शासन किया। खफी खां द्वारा इसे ‘शाहे-बेखबर’ की उपाधि दी गई थी।

जहांदार शाह (1712-13 ई.) मुगल राजवंश में ऐसा प्रथम बादशाह था, जो शासन कार्य के नितांत अयोग्य सिद्ध हआ। उसने तत्कालीन शक्तिशाली अमीर जुल्फिकार खां की सहायता से गद्दी प्राप्त की थी। वह एक युद्ध में अपने भतीजे फर्रुखसियर द्वारा पराजित हुआ और 1713 ई. में उसकी हत्या कर दी गई। 1717 ई. में फर्रुखसियर ने एक फरमान जारी किया, जिसमें अंग्रेजों को तीन हजार वार्षिक कर देकर बंगाल में बिना अतिरिक्त चुंगी दिए व्यापार करने के अधिकार की पुष्टि की गई।

शाहजहां द्वारा बनवाए गए प्रसिद्ध मयूर सिंहासन पर बैठने वाला अंतिम मुगल शासक मुहम्मद शाह (1719-1748 ई.) था। इसके काल में ही नादिरशाह ने 1739 ई. में भारत पर आक्रमण किया और करनाल युद्ध में मुगल सेना को पराजित किया था। समकालीन लेखक आनंद राम मुखलिस के अनुसार, “नादिरशाह अपने साथ साठ हजार रुपये, कई हजार अशर्फियां, एक करोड़ रुपये का सोना, पचास करोड़ के जवाहरात, कोहिनूर तथा तख्ताउस (मयूर सिंहासन) भी ईरान ले गया।”

मुहम्मद शाह (1719-48 ई.) अपना अधिकतर समय पशु युद्धों को देखने में व्यतीत करता था। उसकी प्रशासन के प्रति उदासीनता तथा मदिरा और सुंदरी के प्रति रुचि के कारण लोग उसे ‘रंगीला’ कहा करते थे। उसके शासनकाल में मुगल दरबार में हिजड़ों तथा महिलाओं के एक वर्ग का प्रभुत्व स्थापित हो गया था।

शाह आलम द्वितीय का कार्यकाल 1759 से 1806 ई. तक था। उसका वास्तविक नाम अली गौहर था। उसे वजीर गाजीउद्दीन ने दिल्ली में दाखिल नहीं होने दिया था। शाह आलम द्वितीय के समय में ही दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार (1803 ई.) हो गया। अंतिम मुगल सम्राट वहादुर शाह द्वितीय अथवा बहादुर शाह जफर (1837-57ई.) के पिता का नाम अकबर द्वितीय (1806-1837 ई.) था।

वह बिना साम्राज्य का सम्राट था। इब्राहिम जौक और असद उल्लाह खां गालिब उसके कविता के शिक्षक थे। हसन अस्करी उसके आध्यात्मिक निर्देशक थे। बहादुर शाह जफर को ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से प्रतिमाह 1 लाख रु. पेंशन, 15 लाख रु. उनकी अन्य परिसंपत्तियों के लिए किराए के तौर पर और एक हजार रु. पारिवारिक खर्च के तौर पर मिलते थे। 1862 ई. में उसकी मृत्यु हो गई थी।

हैदराबाद के स्वतंत्र राज्य की स्थापना 1724 ई. में चिनकिलिच खां उर्फ निजामलमल्क ने की थी। अक्टूबर, 1724 में शकरखेड़ा के युद्ध में दक्कन के मुगल गवर्नर मुबारिज खां के मारे जाने के बाद निजामुलमुल्क दक्कन का वास्तविक शासक बन गया था।

18वीं शताब्दी का सबसे श्रेष्ठ राजपूत राजा आमेर का सवाई जयसिंह था। उसने जयपुर शहर की स्थापना की तथा उसे विज्ञान और कला का केंद्र बनाया। जयसिंह एक महान खगोलशास्त्री भी था। उसने दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, बनारस और मथुरा में आधुनिक उपकरणों से युक्त पर्यवेक्षण शालाएं बनवाईं। लोगों को खगोलशास्त्र संबंधी पर्यवेक्षण में सहायता देने के लिए जयसिंह ने ‘जिज मुहम्मदशाही’ नामक सारणियों का सेट तैयार किया था। उसने यूक्लिड की कृति रेखागणित के तत्व का संस्कृत में अनुवाद कराया था। जयसिंह ने अपने शासनकाल में दो अश्वमेध यज्ञ कराए थे।

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Abhishek Dubey

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