होमरूल लीग आंदोलन
नोट्स
*अप्रैल, 1916 में तिलक ने एवं सितंबर, 1916 में एनी बेसेंट ने अपनी-अपनी होमरूल लीग की स्थापना की। * बेसेंट ने ‘कॉमनवील’ और ‘न्यू इंडिया’ तथा तिलक ने ‘मराठा’ और ‘केसरी’ के माध्यम से अपनी-अपनी लीग का प्रचार किया। * तिलक द्वारा स्थापित होमरूल लीग के प्रथम अध्यक्ष जोसेफ वैपटिस्टा तथा सचिव एन.सी. केलकर थे। * जबकि एनी बेसेंट द्वारा स्थापित लीग के सचिव जॉर्ज अरुंडेल थे। तिलक और एनी बेसेंट ने अपने-अपने कार्यक्षेत्रों का बंटवारा भी
कर दिया। *तिलक के लीग के जिम्मे कर्नाटक, महाराष्ट्र (बंबई को छोड़कर), मध्य प्रांत एवं बरार थे। *देश के शेष हिस्से एनी बेसेंट की लीग के जिम्में आए। * दोनों लीगों ने अपना विलय नहीं किया, क्योंकि एनी बेसेंट के शब्दों में, “उनके (तिलक) कुछ समर्थक मुझे पसंद नहीं करते और मेरे कुछ समर्थक उन्हें नापसंद करते थे। लेकिन मेरे और उनके बीच किसी तरह का कोई झगड़ा नहीं था।” “होमरूल आंदोलन के दोनों नेताओं तिलक एवं एनी बेसेंट की निगाह में स्वराज का अर्थ करीब एक जैसा ही था-ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत स्थानीय, प्रांतीय एवं केंद्रीय स्तर पर उत्तरदायी शासन एवं प्रशासन की अधिकाधिक व्यवस्था की जाए, जैसी गोरों द्वारा शासित डोमिनियम दर्जा प्राप्त अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों में थी, यथा-कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया में। *होमरूल आंदोलन की व्याख्या 2 जनवरी, 1914 को अपने पत्र कॉमनवील में एनी बेसेंट ने की थी, जिसमें ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत स्वशासन के उद्देश्य को ध्यान में रखकर धार्मिक स्वतंत्रता, राष्ट्रीय शिक्षा तथा सामाजिक और राजनीतिक सुधारों को आधारभूत कार्यक्रम बनाया गया था। * भारत में यह आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध के दौरान काफी लोकप्रिय रहा। *वर्ष 1916 का लखनऊ अधिवेशन होमरूल लीग के सदस्यों के लिए अपनी ताकत दिखाने का अच्छा मौका था। * उनके समर्थकों ने लखनऊ पहुंचने के लिए एक ट्रेन आरक्षित की, जिसे कुछ लोगों ने ‘कांग्रेस स्पेशल’ का नाम दिया, तो कुछ ने ‘होमरूल स्पेशल’ कहा। * बेसेंट की लीग के संगठन मंत्री जॉर्ज अरंडेल ने लीग के हर सदस्य से कहा था कि वह लखनऊ अधिवेशन में शामिल होने की हर संभव कोशिश करे। *थियोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना 1875 ई. में अमेरिका में मैडम ब्लावेट्स्की तथा कर्नल अल्कॉट ने की थी। * एनी बेसेंट 1889 ई. में इसकी सदस्या बनीं।