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Lucknow session of Congress (कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन)

कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन

नोट्स

___ *दिसंबर, 1916 में इंडियन नेशनल कांग्रेस तथा इंडियन मुस्लिम लीग ने लखनऊ में एक ही समय अपने अधिवेशन आयोजित किए थे। * दोनों दलों ने पृथक-पृथक रूप से संवैधानिक सुधारों की संयुक्त योजना के संबंध में प्रस्ताव पारित किए और संयुक्त कार्यक्रम के आधार पर राजनीतिक क्षेत्र में एक-दूसरे के साथ सहयोग करने के संबंध में एक समझौता किया। * यह समझौता सामान्यतया ‘लखनऊ समझौता’ या ‘कांग्रेस-लीग योजना’ के नाम से प्रसिद्ध है। *वर्ष 1916 में कांग्रेस और मुस्लिम लीग में समझौता हो गया, ताकि संवैधानिक सुधारों की एक ही योजना अपनाई जा सके। * इसके फलस्वरूप जारी ’19 स्मरण-पत्र’ में दोनों दलों के समकालीन राजनैतिक विचारों को साकार रूप दिया गया। *वर्ष 1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन, जिसकी अध्यक्षता अंबिका चरण मजूमदार ने की थी, दो दृष्टियों से स्मरणीय था। * प्रथम-उग्रवादियों, जिन्हें नौ वर्ष पर्व (1907) कांग्रेस से निष्कासित किया गया था, का कांग्रेस में पुनर्प्रवेश हुआ था। *द्वितीय-कांग्रेस और मुस्लिम लीग के मध्य समझौता हुआ था। *अतिवादियों एवं उदारवादियों के पुनर्मिलन की प्रक्रिया में एनी बेसेंट एवं तिलक ने महती भूमिका निभाई, जबकि मुहम्मद अली जिन्ना और तिलक कांग्रेस-लीग समझौते के मुख्य शिल्पी थे। *वर्ष 1916 से 1922 तक का काल इंडियन नेशनल कांग्रेस

और मुस्लिम लीग के बीच मतैक्य का काल था। * लखनऊ समझौता केवल एक अस्थायी समझौता था। * मुस्लिम लीग ने इस समझौते के बावजूद पृथक अस्तित्व बनाए रखा तथा वह मुसलमानों के लिए पृथक राजनीतिक अधिकारों की वकालत करती रही। *वर्ष 1922 तक दोनों इस समझौते के अनुरूप मिलकर कार्य करते रहे। * किंतु असहयोग आंदोलन के साथ ही यह समझौता भंग हो गया और लीग ने पुनः अपना पुराना रास्ता पकड़ लिया।

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Abhishek Dubey

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