1914 ईस्वी में घटे कामागाटामारू प्रकरण के अंतर्गत कनाडा सरकार ने भारतीय पर कनाडा में घुसने पर प्रतिबंध लगा दिया जो भारत से सीधे कनाडा ना आया हो। उस समय नौ परिवहन इतना विकसित नहीं था कि किसी एक नौका से इतनी दूर की यात्रा बगैर किसी पड़ाव के किया जा सके। परंतु 1913 ईस्वी में कनाडा के उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय के अंतर्गत ऐसे 35 भारतीयों को देश में घुसने का अधिकार दे दिया जो सीधे भारत में नहीं आए थे।
इस निर्णय से उत्साहित होकर भारत के गुरदीप सिंह ने कामागाटामारू नामक एक जहाज को किराए पर लिया तथा उस पर 376 यात्रियों को बैठाकर कनाडा के बंदरगाह वैंकूवर की और प्रस्थान किया। तट पर पहुंचने के बाद कनाडा की पुलिस ने भारतीयों की घेराबंदी कर उन्हें देश में घुसने से मना कर दिया।
हुसैन रहीम सोहनलाल पाठक एवं बलवंत सिंह इन यात्रियों को लड़ाई लड़ने के लिए कोर कमेटी तटीय समिति की स्थापना की। संयुक्त राज्य अमेरिका में भगवान सिंह,बरकतुल्ला,रामचंद्रन एवं सोहन सिंह के नेतृत्व में यह आंदोलन चलाया गया। भारत की ब्रिटिश सरकार ने जहाज को सीधे कोलकाता लाने का आदेश दिया। जहाज के बजबज पहुंचने पर यात्रियों एवं पुलिस के मध्य झड़पे हुए जिनमें 18 यात्री मारे गए और शेष 202 को जेल में डाल दिया गया।