मार्ले-मिंटो सुधार
नोट्स
*वर्ष 1905 में लॉर्ड कर्जन के स्थान पर लॉर्ड मिंटो को भारत का वायसराय नियुक्त किया गया तथा जॉन मार्ले को भारत सचिव। * इनके द्वारा किए गए सुधारों को मार्ले-मिंटो सुधारों के नाम से जाना जाता है। * ब्रिटिश संसद द्वारा पारित संवैधानिक सुधार, जिन्हें औपचारिक रूप से ‘भारतीय परिषद अधिनियम, 1909’ कहा गया, सामान्यतया मार्ले-मिंटो सुधारों के नाम से प्रसिद्ध है। *भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार) का सबसे बड़ा दोष सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की व्यवस्था करना था। * इस व्यवस्था के अंतर्गत परिषदों में मुसलमान सदस्यों का निर्वाचन सामान्य निर्वाचक मंडल द्वारा नहीं, अपितु केवल मुसलमानों के लिए गठित पृथक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता था। * वस्तुतः इसका आशय यह था कि मुसलमान संप्रदाय को भारतीय राष्ट्र से पूर्णतया पृथक वर्ग के रूप में स्वीकार किया गया। * इस व्यवस्था ने भारतीय राजनीति में बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न कर दी। * सदियों से बनाई राष्ट्रीय एकता को एक ही चोट में समाप्त कर दिया। * गांधीजी ने कहा था-“मार्ले-मिंटो सधार (1909 के इंडियन काउंसिल एक्ट) ने हमारा सर्वनाश कर दिया।”
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