देशी रियासतें नोट्स
*वटलर समिति का गठन वर्ष 1927 में किया गया था. इसे ‘भारतीय रियासत समिति’ भी कहते हैं। * इसका उद्देश्य भारत सरकार तथा भारतीय रियासतों के बीच संबंधों की जांच करना तथा ब्रिटिश भारत और भारतीय रियासतों के बीच आर्थिक एवं वित्तीय संबंधों को सुधारने हेतु सिफारिशें करना था। * भारतीय नरेशों ने एक सुप्रसिद्ध वकील सर लेजली स्काट को कमेटी के सम्मुख उनका दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए नियुक्त किया। *दिसंबर, 1927 में अखिल भारतीय राज्य जन कॉन्फ्रेंस (ऑल इंडिया स्टेट्स पीपुल्स कॉन्फ्रेंस) का आयोजन किया गया। * इसमें विभिन्न रियासतों से आए 700 से अधिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। * बलवंत राय मेहता, मणिलाल कोठारी और जी.आर. अभ्यंकर ने इसके आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। *ब्रिटिश भारत तथा रजवाड़ों के राजनीतिक संघर्षों के साझे राष्ट्रीय लक्ष्यों को सामने रखने के लिए जवाहरलाल नेहरू को वर्ष 1939 में ‘भारत प्रजा मंडल’ (ऑल इंडिया स्टेट्स पीपुल्स कॉन्फ्रेंस) का अध्यक्ष चुना गया था। *भारतीय संघ में अधिकांश रजवाड़ों का विलय वर्ष 1947 में हुआ। * 15 अगस्त, 1947 तक सिवाय जूनागढ़, जम्मू एवं कश्मीर तथा हैदरावाद को छोड़कर सभी रजवाड़े भारत में शामिल हो गए तथा वर्ष 1948 के अंत तक इन तीनों रियासतों को भी इसके लिए बाध्य होना पड़ा। * अंग्रेजी हुकूमत ने इन रियासतों को स्वाधीनता का दर्जा देकर बड़ी पेंचीदी समस्या खड़ी कर दी थी किंतु राष्ट्रीय नेतृत्व ने, विशेषकर सरदार वल्लभभाई पटेल ने बड़ी समझदारी एवं सूझबूझ से इस समस्या को सुलझा दिया। *26 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय के लिए हस्ताक्षर-पत्र प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपे। * जवाहरलाल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को तत्कालीन
जम्मू एवं कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त करवाया तथा भारतीय सेना ने 27 अक्टूबर, 1947 से पाकिस्तान के कबाइली आक्रांताओं को भगाना आरंभ किया। * यथावत (Stand-Still) समझौता 29 नवंबर, 1947 को हैदराबाद रियासत एवं डोमिनियन ऑफ इंडिया के मध्य हस्ताक्षरित हुआ था। * इस समझौते पर हैदराबाद राज्य के प्रधानमंत्री मीर लईक अली तथा डोमिनियन ऑफ इंडिया के गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने हस्ताक्षर किए।