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भारत छोड़ो आंदोलन नोट्स ( Quit india movement notes )

भारत छोड़ो आंदोलन नोट्स

*वर्धा में 6-14 जुलाई, 1942 में हुई कांग्रेस की समिति की बैठक में मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरोजिनी नायडू, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल, डॉ.राजेंद्र प्रसाद, सीतारमैया, जी.बी. पंत, प्रफुल्ल चंद्र घोष, सैयद महमूद, आसफ अली, जे.बी. कृपलानी, महात्मा गांधी इत्यादि ने भाग लिया तथा ‘भारत छोड़ो’ नामक प्रस्ताव पास किया। *इसकी अध्यक्षता तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष अबुल कलाम आजाद ने ही की थी। *7-8 अगस्त, 1942 को बंबई के ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की वार्षिक बैठक हुई, जिसमें वर्धा प्रस्ताव (भारत छोड़ो) की पुष्टि हुई। * थोड़े-बहुत संशोधनों ने के बाद 8 अगस्त, 1942 को यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया और भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के तहत अंग्रेजों के विरुद्ध ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ प्रारंभ करने की घोषणा की गई। * इस आंदोलन के प्रारंभ होने के एक दिन पूर्व महात्मा गांधी ने निम्नलिखित बयान दिए थे1. सरकारी कर्मचारी नौकरी न छोड़ें लेकिन कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा

की घोषणा कर दें, 2. सैनिक अपने देशवासियों पर गोली चलाने से इंकार कर दें, 3. छात्र तभी पढ़ाई छोड़ें जब आजादी प्राप्त हो जाने तक अपने इस

निर्णय पर दृढ़ रह सकें. 4. राजा-महाराजा भारतीय जनता की प्रभुसत्ता स्वीकार करें और उनकी रियासतों में रहने वाली जनता अपने को भारतीय राष्ट्र का अंग घोषित कर दे तथा राजाओं का नेतृत्व तभी मंजूर करें जब वे अपना भविष्य जनता के साथ जोड़ लें।

*इसमें गांधीजी द्वारा दिया गया यह वक्तव्य विशेष महत्वपूर्ण है, कि “संपूर्ण आजादी से कम किसी भी चीज से मैं संतुष्ट होने वाला नहीं, हो सकता है नमक टैक्स, शराबखोरी आदि को खत्म करने का प्रस्ताव

अंग्रेज सरकार दे किंतु मेरे शब्द होंगे आजादी से कम कुछ भी नहीं। *मैं आपको एक मंत्र देता हूं-‘करो या मरो’। * इस मंत्र का आशय है या तो हम भारत को आजाद कराएंगे या आजादी के प्रयास में दिवंगत होंगे।” * 8 अगस्त, 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा ‘भारत छोड़ो प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसका सरदार वल्लभभाई पटेल ने समर्थन किया था। * इस प्रस्ताव का आलेख स्वयं महात्मा गांधी ने नेहरू और आजाद के सहयोग से बनाया था। *हिंदू महासभा, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, यूनियनिस्ट पार्टी ऑफ पंजाब एवं मुस्लिम लीग ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का समर्थन नहीं किया था। *9 अगस्त, 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ हुआ। *आंदोलन आरंभ होते ही ऑपरेशन जीरो ऑवर के तहत गांधीजी तथा प्रमुख कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। * गांधीजी को गिरफ्तार कर सरोजिनी नायडू सहित पूना के आगा खां पैलेस में रखा गया और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों (नेहरू, अबुल कलाम आजाद, गोविंद बल्लभ पंत, डॉ. प्रफुल्ल चंद्र घोष, डॉ. पट्टाभि सीतारमैया, डॉ. सैयद महमूद, आचार्य कृपलानी) को अहमदनगर किले में रखा गया। *कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य राजेंद्र प्रसाद बंबई नहीं आए थे। अतः उन्हें पटना में ही गिरफ्तार कर पटना (बांकीपर) जेल में नजरबंद रखा गया। *शिवकुमार और रामानंद को हजारीबाग में गिरफ्तार किया गया। *वर्ष 1942 के आंदोलन का सर्वाधिक प्रभाव बंबई, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, यू.पी. एवं मद्रास में था लेकिन समूचे देश की हिस्सेदारी इसमें अवश्य थी। *आंदोलन के पूर्व ही अधिकांश शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी के कारण यह आंदोलन एक प्रकार का स्वतः स्फूर्त आंदोलन बन गया। * भारत छोड़ो

आंदोलन (1942) के समय भारत का प्रधान सेनापति (Commander in Chief) लॉर्ड वेवेल था जो कि बाद में वर्ष 1943 से 1947 तक भारत का वायसराय और गवर्नर जनरल भी रहा। इस आंदोलन के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री चर्चिल थे। *कांग्रेस द्वारा ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का प्रस्ताव पारित करते समय कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आजाद थे। *उल्लेखनीय है कि वे वर्ष 1940 के रामगढ़ अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे तथा वर्ष 1941-45 के मध्य पांच वर्षों तक कांग्रेस का कोई वार्षिक अधिवेशन न हो सका, इन 6 वर्षों में अबुल कलाम आजाद कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहे। * वे स्वतंत्रता-पूर्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे लंबे समय तक और सबसे नाजुक दौर में अध्यक्ष रहे। *भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बंबई के विभिन्न भागों से कांग्रेस का गुप्त रेडियो प्रसारित किया जाता था, जिसे मद्रास तक सुना जा सकता था। * राम मनोहर लोहिया नियमित रूप से इस रेडियो पर प्रसारण करते थे। * उषा मेहता कांग्रेस के भूमिगत रेडियो का संचालन करने वाले छोटे से दल की एक महत्वपूर्ण सदस्या थीं। *महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अमेरिकी पत्रकार लुई फिशर (महात्मा गांधी के जीवनीकार) उनके साथ थे। * अमेरिकी बुद्धिजीवी पर्लबक, एडगरस्नो, एम.एल. सूर्मेन, नॉर्मन थॉमस के साथ लुई फिशर ने भारतीय स्वतंत्रता की मांग की थी। *भारत छोड़ो आंदोलन (1942) से उत्पन्न दंगे बिहार और यू.पी.

(संयुक्त प्रांत) में सबसे अधिक व्यापक रहे। * यहां विद्रोह जैसा माहौल बन गया। * पूर्वी यू.पी. में आजमगढ़, बलिया और गोरखपुर तथा बिहार में गया, भागलपुर, सारण, पूर्णिया, शाहाबाद, मुजफ्फरपुर और चंपारण स्वतः स्फूर्त जन-विद्रोह के मुख्य केंद्र रहे।

___ * 1942 का ‘अगस्त आंदोलन’ किसानों के बीच काफी व्यापक हो गया था। * किसानों के अंशकालिक जत्थे दिन में खेती करते और रात को तोड़-फोड़ की कार्यवाही में भाग लेते थे। * उनकी उग्रता की प्रबलता इस कदर थी कि वह कई अर्थों में 1857 का स्मरण कराती थी। * इसीलिए तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल को भेजे गए एक तार में तत्कालीन वायसराय लिनलिथगो द्वारा इस आंदोलन को ‘1857 के बाद का सबसे गंभीर विद्रोह’ कहना पड़ा। *भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने हजारीबाग के सेंट्रल जेल से फरार होकर भूमिगत गतिविधियों को संगठित किया था। *योगेंद्र शुक्ल, जयप्रकाश नारायण के साथ ही 9 नवंबर, 1942 को हजारीबाग जेल से भागे, किंतु मुजफ्फरपुर में गिरफ्तार कर लिए गए तथा पटना लाए गए। *भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौरान बंबई में कांग्रेस सम्मेलन को संबोधित करते हुए गांधीजी ने जो भाषण दिया था उसके बारे में पट्टाभि सीतारमैया ने लिखा है कि “वास्तव में गांधीजी उस दिन अवतार एवं पैगंबर की प्रेरक शक्ति से प्रेरित होकर भाषण दे रहे थे।”* राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से पृथक रहा। *वर्ष 1940 से लेकर विदेशी सत्ता के 1947 में समाप्त होने तक के किसी भी राष्ट्रीय आंदोलन में संघ की कोई भूमिका नहीं थी। *अरुणा आसफ अली प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। *उन्हें वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में कांग्रेस का झंडा फहराने के लिए हमेशा याद किया जाता है। * अरुणा आसफ अली, उषा मेहता, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया आदि ने कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बाद भूमिगत रहकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया था। *भारत छोड़ो आंदोलन की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी- देश के कई स्थानों पर समानांतर सरकार की स्थापना। *1942 के दौरान देश में तीन प्रमुख स्थानों (1) बलिया – अगस्त, 1942 चित्तू पांडेय के नेतृत्व में, (II) तामलुक (मिदनापुर), बंगाल-दिसंबर, 1942 से अगस्त, 1944 तक यहां की जातीय सरकार ने तूफान पीड़ितों की सहायता के लिए कार्यक्रम प्रारंभ किया और (III) सतारा (महाराष्ट्र) अगस्त, 1943 से मई, 1946 तक; यह सबसे लंबे समय तक चलने वाली सरकार थी, यहां पर प्रति सरकार के नाम से समानांतर सरकार स्थापित की गई; इसके प्रमुख नेता वाई. वी. चह्वाण एवं नाना पाटिल थे। * इसके अतिरिक्त उड़ीसा के तलचर में भी कुछ समय तक समानांतर सरकार रही थी। *बीमारी के आधार पर गांधीजी को 6 मई, 1944 को रिहा कर दिया गया। *विस्टन चर्चिल ने गांधीजी के रिहाई के संबंध में कहा कि “जब हम हर जगह जीत रहे हैं, ऐसे वक्त में हम एक कमबख्त बुड्डे के सामने कैसे झुक सकते हैं, जो हमेशा हमारा दुश्मन रहा है।”

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Abhishek Dubey

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