गोलमेज सम्मेलन नोट्स
_*10 जून तथा 24 जून, 1930 को साइमन कमीशन की रिपोर्ट प्रकाशित हुई। * राजनीतिक संगठनों ने कमीशन की सिफारिशों को अस्वीकार कर दिया। * कांग्रेस के प्रमुख नेता जेल में थे। * ब्रिटिश सरकार ने निराशा एवं असंतोष के वातावरण में नवंबर, 1930 में लंदन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन बुलाया। * इस सम्मेलन में 89 भारतीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया, किंतु कांग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया। * इस सम्मेलन में भाग लेने वालों में प्रमुख थे-तेज बहादुर सप्रू, श्रीनिवास शास्त्री, मुहम्मद अली, मुहम्मद शफी, आगा खां, फजलुल हक, मुहम्मद अली जिन्ना, होमी मोदी, एम.आर. जयकर, मुंजे, भीमराव अम्बेडकर तथा सुंदर सिंह मजीठिया आदि। * इस सम्मेलन में ईसाइयों का प्रतिनिधित्व के.टी. पॉल ने किया था। * इस सम्मेलन का उद्घाटन ब्रिटिश सम्राट ने किया तथा इसकी अध्यक्षता ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनॉल्ड ने की थी। *7 सितंबर, 1931 से 1 दिसंबर, 1931 तक चले द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गांधी ने कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में हिस्सा लिया, इनके अलावा सरोजिनी नायडू तथा मदन मोहन मालवीय ने भी इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। * एनी बेसेंट ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया था। * गांधीजी ‘एस.एस. राजपूताना’ नामक जलपोत से लंदन पहुंचे तथा वे लंदन के ‘किंग्सले हॉल में ठहरे थे। * गतिरोधों के कारण सम्मेलन 1 दिसंबर को समाप्त घोषित कर दिया गया एवं गांधीजी को लंदन से खाली हाथ वापस आना पड़ा। * स्वदेश पहुंचने पर गांधीजी ने कहा, “यह सच है कि मैं खाली हाथ लौटा हूं किंतु मुझे संतोष है कि जो ध्वज मुझे सौंपा गया था, उसे नीचे नहीं होने दिया और उसके सम्मान के साथ समझौता नहीं किया। ‘* द्वितीय गोलमेज सम्मेलन सांप्रदायिक समस्या पर विवाद के कारण पूरी तरह असफल रहा। * दलित नेता भीमराव अम्बेडकर ने दलितों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की मांग की जिसे गांधीजी ने अस्वीकार कर दिया। *डॉ. भीमराव अम्बेडकर (बी.आर. अम्बेडकर) तीनों गोलमेज सम्मेलनों में भाग लेने वाले भारतीय प्रतिनिधि थे। *लंदन में तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर, 1932 से 24 दिसंबर, 1932 तक चला, कांग्रेस ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया।