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तुगलक वंश नोट्स ( Tughlaq Dynasty Notes)

तुगलक वंश नोट्स

*अलाउद्दीन के सेनापतियों में गयासुद्दीन तुगलक या गाजी मलिक तुगलक वंश का प्रथम शासक था। *उसने तुगलक वंश की स्थापना की। *उसकी माता हिंदू जाट महिला थी तथा पिता एक करौना तुर्क था, जो बलबन का दास था। *गयासुद्दीन तुगलक अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में कई महत्वपूर्ण अभियानों का अध्यक्ष था तथा उसे दीपालपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। *29 अवसरों पर उसने मंगोलों के विरुद्ध युद्ध किया, उन्हें भारत से बाहर खदेड़ा, इसलिए वह ‘मलिक-उल-गाजी’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। *खुसरो शाह को समाप्त करके उसने दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार कर लिया तथा 8 सितंबर, 1320 को सुल्तान बना। *इसका एक नाम गाजी वेग तुगलक या गाजी तुगलक भी था, इसी कारण इतिहास में उसके उत्तराधिकारियों को भी ‘तुगलक’ पुकारा जाने लगा और उसका वंश तुगलक वंश कहलाया। __*गयासुद्दीन तुगलक के समय में लगान किसानों से पहले की तरह पैदावार का 1/5 से 1/3 भाग वसूल किया जाने लगा। *आवश्यकतानुसार अकाल की स्थिति में भूमि कर को माफ किया गया। राजस्व वसूली में सरकारी कर्मचारियों को हिस्सा न देकर कर मुक्त जागीरें दी गईं। *गयासुद्दीन तुगलक के समय ‘नस्ल’ एवं ‘बटाई’ की प्रथा प्रचलन में रही। *अलाउद्दीन के समय की कठोर दण्ड व्यवस्था समाप्त कर दी गई, परंतु कर न देने वालों, सरकारी धन की बेईमानी करने वालों और चोरों को कठोर दण्ड दिए गए। *बरनी के अनुसार, तुगलकशाह के न्याय से भेड़िए को भी इस बात का साहस नहीं होता था कि वह किसी भेड़ की ओर देखे।

*दिल्ली सल्तनत के सभी सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक (13251351 ई.) सर्वाधिक विद्वान एवं शिक्षित शासक था। *वह खगोलशास्त्र, गणित एवं आयुर्विज्ञान सहित अनेक विधाओं में निपुण था। ____ *मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि की उन्नति के लिए एक नए विभाग ‘दीवान-ए-अमीर-ए-कोही’ की स्थापना की। *इस विभाग का मुख्य कार्य कृषकों को प्रत्यक्ष सहायता देकर अधिक भूमि कृषि कार्य के अधीन लाना था। *60 वर्ग मील की भूमि का एक लंबा टुकड़ा इस कार्य के लिए चुना गया। *भूमि पर कृषि सुधार किए गए और फसल चक्र के अनुरूप हेर-फेर के साथ विभिन्न फसलों की खेती की गई। ___ *मुहम्मद तुगलक के प्रयोगों में एक सबसे महत्वपूर्ण था, राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरि) ले जाना। * इब्नबतूता के अनुसार, सुल्तान को दिल्ली के नागरिक असम्मानपूर्ण पत्र लिखते थे, इसलिए उन्हें दण्ड देने के लिए उसने देवगिरि को राजधानी बनाने का निर्णय लिया। *डॉ. के.ए. निजामी के अनुसार, सुल्तान कतबद्दीन मबारक खिलजी ने देवगिरि का नाम कुतबाबाद रखा तथा मुहम्मद तुगलक ने दौलताबाद। *देवगिरि को कुव्वत-उल इस्लाम भी कहा गया।

*मुहम्मद बिन तुगलक ने अपने सिक्कों पर ‘अल सुल्तान जिल्ली अल्लाह’ (सुल्तान ईश्वर की छाया है), ‘ईश्वर सुल्तान का समर्थक है’ आदि वाक्य अंकित करवाया। *मुहम्मद विन तुगलक के द्वारा जारी स्वर्ण सिक्कों को इब्नबतूता द्वारा ‘दीनार’ की संज्ञा दी गई थी। *बरनी, मुहम्मद तुगलक की पांच मुख्य योजनाओं का विशेष रूप से उल्लेख करता है-(1) दोआब में कर की वृद्धि, (2) देवगिरि को राजधानी बनाना, (3) सांकेतिक मुद्रा जारी करना, (4) खुरासान पर आक्रमण और (5) कराचिल की ओर अभियान।

*इन्नबतूता (1333-1347) मोरक्को मूल का अफ्रीकी यात्री था। *यह मुहम्मद बिन तुगलक के कार्यकाल (1325-51) में भारत आया। *मुहम्मद बिन तुगलक ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया था। *बाद में 1342 ई. में उसे सुल्तान का राजदूत बनाकर चीन भेजा गया। *इन्नबतूता ने किताव- उल-रेहला नामक अपनी पुस्तक में अपनी यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया है। *सल्तनत काल में डाक व्यवस्था का विस्तृत विवरण हमें इब्नवतूता के यात्रा वृत्तांत द्वारा प्राप्त होता है।

*दिल्ली के सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक प्रथम सुल्तान था, जो हिंदुओं के त्यौहारों, मुख्यतया होली में भाग लेता था। *उसने गैर-तुर्को

और भारतीय मुसलमानों को भी सरकारी पदों पर नियक्त किया था। *जिसके कारण बरनी ने उसकी कटु आलोचना की और ऐसे व्यक्तियों को छिछोरा, माली, जुलाहा, नाई, रसोइया आदि कहा। *20 मार्च, 1351 को मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु हो गई। *उसके निधन पर बदायूंनी ने लिखा है, “सुल्तान को उसकी प्रजा से और प्रजा को अपने सुल्तान से मुक्ति मिल गई।”

*फिरोज शाह तुगलक ने सामान्य लोगों की भलाई के लिए कुछ उपकार के कार्य किए। *नियुक्ति के लिए एक दफ्तर (रोजगार दफ्तर) खोलकर तथा प्रत्येक मनुष्य के गुण एवं योग्यता की पूरी जांच-पड़ताल के बाद यथासंभव अधिक-से-अधिक लोगों को नियुक्ति देकर उसने बेकारी (बेरोजगरी) की समस्या को हल करने का प्रयास किया। *फिरोज शाह तुगलक संतों एवं धार्मिक व्यक्तियों को जागीर एवं संपत्ति दान करता था। *उसने एक विभाग ‘दीवान-ए-खैरात’ स्थापित किया था, जो गरीब मुसलमानों, अनाथ स्त्रियों एवं विधवाओं को आर्थिक सहायता देता था

और निर्धन मुसलमान लड़कियों के विवाह की व्यवस्था करता था। *राज्य के खर्च पर हज की व्यवस्था करने वाला पहला भारतीय शासक फिरोज तगलक था। *उसने ‘दारुल-शफा’ नामक एक खैराती अस्पताल की स्थापना भी की और उसमें कुशल हकीम रखे। *फिरोज शाह तुगलक को दासों का बहुत शौक था। *उसके दासों की संख्या संभवतः एक लाख अस्सी हजार तक पहुंच गई थी। *उनकी देखभाल के लिए एक पृथक विभाग (‘दीवान-ए-बंदगान’) का गठन किया गया था।

*सल्तनत काल में सर्वप्रथम फिरोज शाह तुगलक ने ही लोक निर्माण विभाग की स्थापना की थी। *कहा जाता है कि फिरोज ने 300

नवीन नगरों का निर्माण कराया। *उसके द्वारा बसाए नगरों में फतेहाबाद, हिसार, फिरोजपुर, जौनपुर और फिरोजाबाद प्रमुख थे। *फरिश्ता के अनुसार फिरोज ने 40 मस्जिदें, 30 विद्यालय, 20 महल, 100 सराएं, 200 नगर, 100 अस्पताल, 5 मकबरे, 100 सार्वजनिक स्नानगृह, 10 स्तंभ और 150 पुलों का निर्माण कराया था। *अपने बंगाल अभियान के दौरान उसने इकदला का नया नाम आजादपुर तथा पंडुआ का नया नाम फिरोजाबाद रखा। *उसके राज्य का मुख्य वास्तुकार (Architect) मलिक गाजी शहना था। *प्रत्येक भवन की योजना को उसके व्यय अनुमान के साथ ‘दीवान-ए-विजारत’ के सम्मुख रखा जाता था तभी उस पर धन स्वीकार किया जा सकता था।

*फिरोज तुगलक का शासनकाल भारत में नहरों के सबसे बड़े जाल का निर्माण करने के कारण प्रसिद्ध रहा। *सिंचाई की सुविधा के लिए उसने पांच बड़ी नहरों का निर्माण कराया। (i) प्रथम नहर 150 मील लंबी थी, जो यमुना नदी का पानी हिसार

तक ले जाती थी। (ii) दूसरी 96 मील लंबी थी, जो सतलज से घाघरा तक जाती थी। (ii) तीसरी सिरमौर की पहाड़ियों से निकल कर हांसी तक जाती थी। (iv) चौथी घाघरा से फिरोजाबाद तक थी। (v) पांचवीं यमुना नदी से फिरोजाबाद तक थी। __ *फिरोज तुगलक ने सिंचाई और यात्रियों की सुविधा के लिए 150 कुंए भी खुदवाए। फरिश्ता के अनुसार, फिरोज ने सिंचाई की सुविधा के लिए विभिन्न स्थानों पर 50 बांधों और 30 झीलों अथवा जल को संग्रह करने के लिए तालाबों का निर्माण करवाया। *फिरोज तुगलक उलेमा वर्ग की स्वीकृति के पश्चात ‘हक्क-ए-शर्व’ नामक सिंचाई कर लगाने वाला दिल्ली का प्रथम सुल्तान था। *उन किसानों को, जो सिंचाई के लिए शाही नहरों का पानी प्रयोग में लाते थे, अपनी पैदावार का 1/10 भाग सरकार को देना पड़ता था।

*फिरोज तुगलक द्वारा ब्राह्मणों पर भी जजिया लगाया गया था। *उल्लेखनीय है कि उस समय तक ब्राह्मण इस कर से मुक्त रखे गए थे।

__ *फिरोज शाह तुगलक ने बागवानी में अपनी अभिरुचि के कारण दिल्ली के निकट 1200 नए फलों के बाग लगाए। *उसने अपने बागों में फलों की गुणवत्ता सुधारने के भी उपाय किए थे।

*फिरोज शाह तुगलक द्वारा अशोक के दो स्तंभों को मेरठ एवं टोपरा (अब अम्बाला जिले में) से दिल्ली लाया गया। *टोपरा वाले स्तंभ को महल तथा फिरोजाबाद की मस्जिद के निकट पुनः स्थापित कराया गया। *मेरठ वाले स्तंभ को दिल्ली के वर्तमान बाड़ा हिंदू राव अस्पताल के निकट एक टीले कश्के शिकार या आखेट-स्थान के पास पुनः स्थापित कराया गया।

*दिल्ली के सुल्तान फिरोज तुगलक ने इस उद्देश्य से एक ‘अनुवाद विभाग’ की स्थापना की थी कि उससे हिंद एवं मुस्लिम दोनों संप्रदायों के लोगों में एक-दूसरे के विचारों की समझ बेहतर हो सके। *उसने कुछ संस्कृत ग्रंथों का फारसी में अनुवाद भी करवाया।

*नासिरुद्दीन महमूद (1394-1412 ई.) तुगलक वंश का अंतिम शासक था। *इसके शासनकाल में ख्वाजा जहां ने जौनपर के स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। *पंजाब का सूबेदार खिज्र खां स्वतंत्र होकर दिल्ली को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करने लगा। *फिरोज के एक अन्य पुत्र नुसरत शाह ने नासिरुद्दीन को चुनौती दी। *फलस्वरूप तुगलक वंश दो भागों में विभाजित हो गया और दोनों शासकों ने एक ही साथ दिल्ली के छोटे से राज्य पर शासन किया। *नासिरुद्दीन दिल्ली में रहा और नुसरत शाह फिरोजाबाद में। *नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में मध्य एशिया के महान मंगोल सेनानायक तैमूर ने भारत पर आक्रमण (1398 ई.) किया। *यह कथन इसी शासक के लिए प्रचलित था-‘शहंशाह की सल्तनत दिल्ली से पालम तक फैली हई है।’ *तैमूर के आक्रमण (1398 ई.) ने दिल्ली सल्तनत एवं तुगलक वंश दोनों को ही नष्ट कर दिया। *1412 ई. में नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु के साथ ही तुगलक वंश का अंत हो गया। *1413 ई. में सरदारों ने दौलत खां को दिल्ली का सुल्तान चुना। *परंतु उसे खिज्र खां ने पराजित कर दिया। *वह तैमर द्वारा नियक्त लाहौर का सबेदार था। *तैमर के आक्रमण के बाद 1414 ई. में उसने दिल्ली पर अधिकार कर एक नए वंश सैयद वंश की नींव डाली।

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Abhishek Dubey

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