History Notes History PDF

औरंगजेब (Aurangzeb)

नियुक्त किया गया था, जिस पर वह उत्तराधिकार के युद्ध में विजय और मुगल बादशाह बनने तक रहा। ___ *कंधार राज्य ईरान के शाह और मुगलों के बीच संघर्ष की जड़ था, क्योंकि कंधार को अपने हाथों में रखना मुगल शासक तथा ईरान के शाह के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया था। *शाहजहां के शासनकाल में 1649 ई. में कंधार पर पुनः ईरानी अधिकार हो जाने से मुगल साम्राज्य को सामरिक महत्व के केंद्र के दृष्टिकोण से एक बड़ा धक्का पहुंचा क्योंकि, कंधार के बिना उत्तर-पश्चिमी सीमा पर मुगलों की स्थिति अपेक्षाकृत दुर्बल थी। *शाहजहां के समय में कंधार अंतिम रूप से मुगलों के अधिकार से निकल गया।

*शाहजहां के बल्ख अभियान का उद्देश्य काबुल की सीमा से सटे बल्ख और बदख्शा में एक मित्र शासक को लाना था, ताकि वे ईरान और मुगल साम्राज्य के बीच बफर राज्य बन सकें।

*शाहजहां का काल मुगल काल का स्वर्ण काल माना जाता है, इसके समय में कला, साहित्य, शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त विकास हुआ। *साहित्य के क्षेत्र में शाहजहां के शासनकाल में विशेष उन्नति हुई। इस काल में फारसी भाषा में दो शैलियां प्रचलित थीं। *प्रथम भारतीय फारसी तथा दूसरी ईरानी फारसी। भारतीय फारसी शैली के विद्वानों में अब्दुल हमीद लाहौरी, मोहम्मद वारिस व चंद्रभान ब्राह्मण आदि थे। *ईरानी फारसी शैली के विद्वानों अमीनाई क़ज़वीनी तथा जलालुद्दीन तबातबाई थे। *ईरानी पद्य शैली का इस समय अधिक बोलबाला था। *शाहजहां ने ईरानी फारसी पद्य शैली के कवि कलीम को ‘राजकवि’ भी नियुक्त किया। *कलीम के अतिरिक्त फारसी कवियों में ‘सईदाई गीलानी, कुदसी, मीरमहम्मद काशी. सायब सलीम, मसीह रफी. फारुख. मनीर. शोदा. चंद्रभान ब्राह्मण, हाजिक, दिलेरी आदि थे।

*कवींद्राचार्य शाहजहां के आश्रित कवि थे. इनकी भाषा में ब्रज एवं अवधी का अनुपम समन्वय है। * कवींद्र कल्पलता’ उन्होंने शाहजहां की प्रशस्ति में प्रणीत की थी। * सरस्वती’ उपाधि धारक यह विद्वान संस्कृत का मर्मज्ञ था, इसने बादशाह से निवेदन कर तीर्थयात्रा कर समाप्त करवा दिया था।

*ताजमहल के निर्माण के लिए शाहजहां ने भारत, ईरान एवं मध्य एशिया से डिजाइनरों, इंजीनियरों एवं वास्तुकारों को एकत्र किया था। *ताजमहल की वास्तकला में भारतीय ईरानी एवं मध्य एशियाई वास्तकला का संतुलित समन्वय दिखाई पड़ता है।

*दिल्ली की जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। *शाहजहां द्वारा निर्मित इमारतों में-दीवाने-आम, दीवाने-खास, शीशमहल, मोती मस्जिद, खास महल, मुसम्मन बुर्ज, नगीना मस्जिद, जामा मस्जिद, ताजमहल तथा लाल किला प्रमुख हैं।

*अकबर के फतेहपुर सीकरी की भांति शाहजहां ने दिल्ली में अपने नाम पर ‘शाहजहांनाबाद’ नामक एक नगर की स्थापना की तथा वहां अनेक सुंदर एवं वैभवपूर्ण भवनों का निर्माण कर उसे सुसज्जित करने का प्रयास किया। *शाहजहांनाबाद के भवनों में लाल किला प्रमुख है। *इस

किले के पश्चिमी द्वार का नाम-लाहौरी दरवाजा एवं दक्षिणी द्वार का नाम दिल्ली दरवाजा है। *यह सुंदरता तथा शोभा में अनोखा है।

*उपनिषदों का फारसी अनुवाद शाहजहां के शासनकाल में शहजादे दारा शिकोह ने ‘सिरी-ए-अकबर’ शीर्षक के तहत किया। *इसमें 52 उपनिषदों का अनुवाद किया गया है। *दारा को उसकी सहिष्णुता एवं उदारता के लिए लेनपूल ने “लघु अकबर” की संज्ञा दी है। *यही नहीं शाहजहां ने भी दारा को “शाह बुलंद इकबाल” की उपाधि प्रदान की थी। *”मज्म-उल-बहरीन” दारा की मूल रचना है। ___ *शाहजहां के चारों पुत्रों में ज्येष्ठ दारा शिकोह सर्वाधिक सुशिक्षित, अध्येता तथा लेखक था। *उसने अनेक हिंदू धर्म ग्रंथों का अध्ययन किया एवं उपनिषदों, योग वशिष्ठ, भगवद्गीता आदि हिंदू धर्म ग्रंथों का फारसी में अनुवाद कराया।

*मुगल बादशाह शाहजहां ने बलबन द्वारा प्रारंभ ईरानी दरबारी रिवाज ‘सिजदा’ समाप्त कर दिया था। *1636-37 ई. में सिजदा प्रथा का अंत कर दिया गया। *जमीनबोस की प्रथा भी खत्म कर दी गई और पगड़ी में बादशाह की तस्वीर पहनने की मनाही कर दी गई। _ *डॉ. ए.एल. श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तक ‘मुगलकालीन भारत’ में लिखा है कि “शाहजहां का शासनकाल भारत में मध्यकालीन इतिहास में स्वर्ण युग के नाम से प्रसिद्ध है।” *तथापि यह केवल कला और कला में भी वास्तुकला की दृष्टि से ही सत्य माना जा सकता है। *एल्फिन्सटन ने शाहजहां के काल के बारे में लिखा है कि “शाहजहां का काल भारतीय इतिहास में सर्वाधिक समृद्धि का काल था।”

औरंगजेब

नोट्स

*मुगल गद्दी पर शाहजहां का उत्तराधिकारी औरंगजेब हुआ, किंतु ज्येष्ठ पुत्र के उत्तराधिकार के नियम से नहीं अपितु तलवार के बल से। *मुगलकाल में तलवार ही सत्ता का प्रतीक थी। *तलवार के बल पर ही उत्तराधिकार का निर्णय होता था।

*मुगल बादशाह औरंगजेब का राज्याभिषेक दो यार हुआ था। उसका पहला राज्याभिषेक दिल्ली में 31 जुलाई, 1658 को हुआ था। *उसका दूसरा राज्याभिषेक दिल्ली में ही 15 जून, 1659 को हुआ तथा ‘अब्दुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब बहादुर आलमगीर पादशाह गाजी’ की उपाधि धारण कर वह मुगल बादशाह के सिंहासन पर आसीन हुआ।

*मध्य प्रदेश में स्थित उज्जैन के निकट धरमत नामक स्थान पर 15 अप्रैल, 1658 को औरंगजेब तथा दारा शिकोह के मध्य युद्ध हुआ था। *इस युद्ध में जोधपुर के राजा जसवंत सिंह ने दारा शिकोह की तरफ से तथा मुराद ने औरंगजेब की तरफ से भाग लिया था।

*सामूगढ़ का युद्ध 29 मई, 1658 को औरंगजेब और मुराद की संयुक्त सेनाओं एवं दारा शिकोह के मध्य हुआ था, जिसमें दारा शिकोह पराजित हुआ था।

*उत्तराधिकार के युद्ध में औरंगजेब से पराजित दारा शिकोह के पुत्र शहजादे सुलेमान शिकोह ने श्रीनगर गढ़वाल के शासक पृथ्वीसिंह के यहां शरण ली थी। *किंतु उसके उत्तराधिकारी मेदिनीसिंह ने उसे औरंगजेब को सौंप दिया। *सलेमान शिकोह को ग्वालियर के किले में बंद कर दिया गया और वहां उसको अफीम खिलाकर मार डाला गया।

*1665 ई. के आरंभ में औरंगजेब ने राजा जयसिंह के नेतृत्व में विशाल सेना शिवाजी का दमन करने के लिए भेजी। *जयसिंह कछवाहा शासक थे, जो कि युद्ध और शांति, दोनों कलाओं में निपुण थे। *वह चतुर कूटनीतिज्ञ थे और उसने समझ लिया कि बीजापुर को जीतने के

लिए शिवाजी से मैत्री करना आवश्यक है। *अतः पुरंदर के किले पर मुगलों की विजय और राजगढ़ की घेराबंदी के बावजूद उन्होंने शिवाजी से संधि की। *पुरंदर की यह संधि जून, 1665 में हुई।

___ *औरंगजेब के पुत्र मुहम्मद अकबर ने 1681 ई. में विद्रोह करके राजपूतों के विरुद्ध अपने पिता की स्थिति दुर्बल कर दी थी। *अकबर राजपूतों के विरुद्ध लड़े जाने वाले युद्ध से निराश हो गया था। *उसे अपने पिता की धर्मांधता की नीति की सफलता में विश्वास न था तथा विचारों से वह उदार था। *उसी अवसर पर मेवाड़ के राजा राजसिंह

और राठौर नेता मारवाड़ के दुर्गादास ने उसके सामने प्रस्ताव रखा कि यदि वह अपने को भारत का बादशाह घोषित कर दे, तो मेवाड़ और मारवाड दोनों की सेनाएं उसकी सहायता करेंगी।

*औरंगजेब जो कुछ दूसरों पर लागू करना चाहता था, उसका वह स्वयं अभ्यास करता था। *उसके व्यक्तिगत जीवन का नैतिक स्तर ऊंचा था तथा वह अपने युग के प्रचलित पापों से दृढ़तापूर्वक अलग रहता था। इस प्रकार उसके समकालीन उसे ‘शाही दरवेश’ समझते थे तथा मुसलमान उसे ‘जिंदा पीर’ के रूप में मानते थे।

___ *1652 ई. में जब औरंगजेब दूसरी बार दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया गया, तो उसने गोलकुंडा एवं बीजापुर के विरुद्ध आक्रामक नीति अपनाई थी, संभवतः उसने इन दोनों राज्यों का विध्वंस भी कर दिया होता, किंतु दारा शिकोह के परामर्श पर शाहजहां द्वारा भेजे आदेश के अनुसार 1656 ई. में गोलकुंडा एवं 1657 ई. में बीजापुर के विरुद्ध उसे युद्ध स्थगित कर संधि करनी पड़ी थी। *बादशाह बनने के बाद उसने अपनी इस अधूरी योजना को पूरा किया और बीजापुर (1686 ई.) एवं गोलकुंडा (1687 ई.) पर आधिपत्य स्थापित किया। * औरंगजेय के शासनकाल के दौरान मुगल सेना में सर्वाधिक हिंदू सेनापति थे। *उसके शासनकाल के उत्तरार्द्ध में कुल सेनापतियों में 31.6 प्रतिशत हिंदू थे, जिसमें मराठों की संख्या आधे से अधिक थी। *अकबर के काल में यह अनुपात 22.5 प्रतिशत तथा शाहजहां के काल में 22.4 प्रतिशत था।

*अकबर महान ने अपने साम्राज्य से ‘जजिया कर’ की समाप्ति की घोषणा की थी, किंतु औरंगजेब ने उसे 1679 ई. में पुनर्जीवित कर दिया। *इस कर के लिए हिंदुओं को तीन वर्गों में बांटा गया

(i) जिनकी आय 200 दिरहम प्रतिवर्ष से कम थी, उनको 12 दिरहम प्रतिवर्ष देना था।

(ii) जिनकी आय 200 से 10,000 दिरहम प्रतिवर्ष थी, उनको 24 दिरहम प्रतिवर्ष देना था।

(iii) जिनकी आय 10,000 दिरहम प्रतिवर्ष के ऊपर थी, उनको 48 दिरहम प्रतिवर्ष देना पड़ता था।

*स्त्रियां, गुलाम, 14 वर्ष की आयु से कम के बच्चे, भिखारी और आय रहित व्यक्ति इस कर से मुक्त थे। *अधीनस्थ हिंदू राजाओं एवं ब्राह्मणों को भी इसे देने के लिए बाध्य किया गया।

___ *औरंगजेब सर्वोपरि एक उत्साही सुन्नी मुसलमान था। *उसकी धार्मिक नीति सांसारिक लाभ के किसी विचार से प्रभावित नहीं थी। *उदार दारा के विरुद्ध सुन्नी कट्टरता के समर्थक के रूप में राजसिंहासन प्राप्त करने वाले की हैसियत से उसने कुरान के कानून को कठोरता से लागू करने का प्रयत्न किया। *इस कानून के अनुसार, प्रत्येक धार्मिक मुसलमान को ‘अल्लाह की राह में मेहनत करनी चाहिए या दूसरे शब्दों में तब तक गैर-मुसलमानी देशों (दारूल-हर्ष) के विरुद्ध धर्म-युद्ध (जिहाद) करना चाहिए, जब तक कि वे इस्लाम के राज्य (दारूल-इस्लाम) के रूप में परिवर्तित नहीं हो जाते। ____ *औरंगजेब ने सिक्कों पर कलमा खुदवाना, नौरोज का त्योहार मनाना, तुलादान तथा झरोखा दर्शन बंद कर दिया। *उसने अकबर द्वारा प्रारंभ हिंदू राजाओं के माथे पर अपने हाथ से तिलक लगाना बंद कर दिया। *वेश्याओं को शादी करने अथवा देश छोड़ने का आदेश दिया। *दरबार में बसंत, होली, दीवाली आदि त्योहार मनाने बंद कर दिए।

*औरंगजेब ने औरंगाबाद में अपनी प्रिय पत्नी राबिया-उद-दौरानी के मकवरे का निर्माण (1651-61 ई.) में कराया था। *इसे ‘बीवी का मकबरा’ भी कहा जाता है। *इसकी स्थापत्य कला शैली सुप्रसिद्ध ‘ताजमहल’ पर आधारित थी। *अतः इसे ‘द्वितीय ताजमहल’ भी कहा जाता है। *दिल्ली के लाल किले में औरंगजेब ने मोती मस्जिद का निर्माण करवाया।

*मेहरुन्निसा औरंगजेब की पुत्री थी। *इसके अतिरिक्त जहांआरा, रोशन आरा तथा गौहर आरा औरंगजेब की बहन तथा शाहजहां की पुत्रियां थीं। *औरंगजेब की अन्य पुत्रियां थीं-जेबुन्निसा, जीनतुन्निसा, बदरुन्निसा तथा जुबदतुन्निसा। *औरंगजेब ने जहांआरा को ‘साहिबातउज़-ज़मानी’ की उपाधि प्रदान की थी।

*संत अथवा समर्थ रामदास महाराष्ट्र के महान संत थे। *इनका जन्म 1608 ई. में, जबकि मृत्यु 1681 ई. में हुई थी।

 

 

 

 

About the author

Abhishek Dubey

नमस्कार दोस्तों , मैं अभिषेक दुबे, Onlinegktrick.com पर आप सभी का स्वागत करता हूँ । मै उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का रहने वाला हूँ ,मैं एक upsc Aspirant हूँ और मै पिछले दो साल से upsc की तैयारी कर रहा हूँ ।

यह website उन सभी students को समर्पित है, जो Students गाव , देहात या पिछड़े क्षेत्र से है या आर्थिक व सामाजिक रूप से फिछड़े है

Thankyou

Leave a Comment