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आधुनिक भारत में प्रेस का विकास (Development of Press in Modern India in Hindi)

आधुनिक भारत में प्रेस का विकास (Development of Press in Modern India in Hindi)

भारत का पहला समाचार-पत्र “बंगाल गजट’ था। प्रारंभ में विलियम बोल्ट्स द्वारा एक समाचार-पत्र के प्रकाशन का प्रयास किया गया था। परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनको इंग्लैंड भेज दिया। 1780 ई. में जे.ए. हिक्की ने ‘बंगाल गजट’ नामक समाचार-पत्र प्रकाशित करना आरंभ किया था। लॉर्ड वेलेजली ने 1799 ई. में सभी समाचार-पत्रों पर सेंसर बैठा दिया।

उसने 1799 ई. में समाचार-पत्रों का पत्रेक्षण अधिनियम पारित कर दिया और समाचार-पत्रों पर यद्धकालीन सेंसर लागू कर दिया। 1807 ई. में यह अधिनियम पत्रिकाओं, पैम्पलेट तथा पुस्तकों सभी पर लागू कर दिया गया। लॉर्ड हेस्टिंग्स ने 1818 ई. में इस अधिनियम को रद्द कर दिया था। लॉर्ड रिपन ने 1882 ई. में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट अथवा देशी भाषा प्रेस अधिनियम को रद्द कर दिया और भारतीय भाषाओं के समाचार-पत्रों को अंग्रेजी भाषा के समाचार-पत्रों के समान ही स्वतंत्रता दे दी।

ज्ञातव्य है कि वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, 1878 में लॉर्ड लिटन के कार्यकाल (1876-1880 ई.) में पारित हुआ था। इस अधिनियम को ‘मुंह बंद करने वाला अधिनियम’ कहा गया। इस एक्ट के तहत जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार था कि वह किसी भी भारतीय भाषा के समाचार-पत्र से बांड पेपर (Bond Paper) पर हस्ताक्षर करवा ले कि वह कोई भी ऐसी सामग्री नहीं छापेगा जो सरकार विरोधी हो।

कानून का विरोध करने वाले मुद्रणालयों की जमानत को मजिस्ट्रेट रद्द कर सकता था। इस अधिनियम के अधीन-‘सोम प्रकाश’, ‘भारत मिहिर’, ‘ढाका प्रकाश’, ‘सहचर’ इत्यादि समाचार-पत्रों के विरुद्ध मामले दर्ज किए गए। पत्रकारिता के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा सजा पाने वाले पहले भारतीय बाल गंगाधर तिलक थे। 1882 ई. में उन्हें सरकार ने 4 मास का कारावास दिया, क्योंकि उन्होंने अंग्रेजों द्वारा कोल्हापुर के महाराजा के प्रति धृष्टता करने पर कड़े शब्दों में निंदा की थी।

1897 ई. में उन्हें दो अंग्रेजों की हत्या के लिए, चापेकर बंधुओं को उत्तेजित करने (शिवाजी द्वारा अफजल खां के वध संबंधी लेख के आधार पर) के लिए 18 मास के कड़े कारावास का दंड दिया गया। उत्तरी अमेरिका महादीप (वैकवर) में ‘फ्री हिंदस्तान’ अखबार तारकनाथ दास ने शरू किया। राजा राममोहन राय ने अपने विचारों को प्रेस के माध्यम से प्रचारित एवं प्रसारित किया।

दिसंबर, 1821 में उन्होंने बांग्ला साप्ताहिक ‘संवाद कौमुदी’ अथवा ‘प्रज्ञा का चांद’ का प्रकाशन प्रारंभ किया। इसके एक वर्ष पश्चात इन्होंने फारसी भाषा में एक अन्य साप्ताहिक समाचार-पत्र ‘मिरातुल अखवार’ या ‘बुद्धि दर्पण’ का प्रकाशन प्रारंभ किया। “इंडियन मिरर’ अखबार का प्रकाशन कलकत्ता (बंगाल) से होता था। ” इंडियन मिरर’ की स्थापना (1861 ई.) का श्रेय देवेंद्रनाथ टैगोर तथा मनमोहन घोष को है।

भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने हेतु संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में लाला हरदयाल, सोहन सिंह भाकना और करतार सिंह सराभा आदि ने मिलकर गदर आंदोलन की स्थापना की थी। इस पार्टी का मुखपत्र ‘गदर’ एक साप्ताहिक पत्र था, जिसके प्रथम संस्करण का प्रकाशन 1 नवंबर, 1913 को सैनफ्रांसिस्को से किया गया था। यह ‘उर्दू’ में था। 9 दिसंबर, 1913 से यह गुरुमुखी में भी छपने लगा।

यह पत्र मराठी, हिंदी, अंग्रेजी एवं गुजराती में भी प्रकाशित हुआ। इसका एक अंक पख्तूनी भाषा में भी छपा था। ‘अमृत बाजार पत्रिका’ की स्थापना शिशिर कुमार घोष ने 1868 ई. में कलकत्ता में की। प्रारंभ में यह बंगाली भाषा में प्रकाशित होती थी। 1878 ई. में देशी भाषा (वर्नाक्यूलर) प्रेस अधिनियम से बचने के लिए यह रातों-रात अंग्रेजी भाषा में रूपांतरित हो गई।

गिरीशचंद्र घोष ने ‘बंगाली’ का प्रकाशन 1862 ई. में शुरू किया, जिसे 1879 ई. में एस.एन. बनर्जी ने ले लिया। “हिंदू पैट्रियाट’ की स्थापना भी गिरीशचंद्र घोष ने की थी। बाद में हरीशचंद्र मुखर्जी इसके संपादक बने। 1881 ई. में बंबई से ‘केसरी’ और ‘मराठा’ नामक दो महत्वपूर्ण समाचार-पत्र प्रारंभ किए गए थे। * मराठी भाषा में प्रकाशित ‘केसरी’ को तिलक ने होमरूल आंदोलन का मुख्य पत्र बनाया था। “मराठा’ अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होता था। प्रारंभ में ‘ केसरी’ के संपादक आगरकर थे।

बाद में ‘केसरी’ और ‘मराठा’ पत्रों का संपादन तिलक द्वारा किया गया। वंगवासी, काल एवं केसरी आदि पत्रिकाएं क्रांतिकारी आंदोलन की समर्थक और कांग्रेस की उदारवादी नीतियों की आलोचक थीं। संध्या’, ‘युगांतर’ एवं ‘काल’ इन तीनों समाचार-पत्रों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारी आतंकवाद की वकालत की थी। बांग्ला साप्ताहिक ‘सोम प्रकाश’ (Som Prakash) समाचार-पत्र का प्रकाशन 1858 ई. में ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने प्रारंभ किया था। इस समाचार-पत्र ने नील आंदोलन के किसानों के हितों का समर्थन किया था। ‘फ्री प्रेस जनरल’ एक न्यूज एजेंसी थी।

“इंडियन ओपीनियन’ महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका से वर्ष 1903 में प्रारंभ की गई पत्रिका थी, जिसके प्रथम संपादक मनसुखलाल नज़र थे, जो नटाल कांग्रेस के सचिव थे। यह पत्र गुजराती, हिंदी, तमिल और अंग्रेजी में निकलता था। ‘यंग इंडिया’7 मई 1919 से महात्मा गांधी के पर्यवेक्षण में बंबई से द्विसाप्ताहिक के रूप में प्रकाशित होता था। यहां के प्रारंभिक संस्करणों में जमनादास द्वारकादास तथा शंकरलाल बैंकर इसके संपादक रहे। 8 अक्टूबर, 1919 से यंग इंडिया के संपादक महात्मा गांधी बने और यह अहमदाबाद से साप्ताहिक रूप में प्रकाशित होने लगा। * जमनादास द्वारकादास तथा शंकरलाल बैंकर, एनी बेसेंट की होमरूल लीग के सदस्य थे।

बंगाल का नील विद्रोह शोषण के विरुद्ध किसानों की सीधी लड़ाई थी। “हिंदू पैट्रियाट’ के संपादक हरिश्चंद्र मुखर्जी ने तो इस आंदोलन में काफी काम किया। हिंदू पैट्रियाट के पहले दो वर्षों (1853-55 ई.) में गिरीशचंद्र घोष संपादक थे। 1855 ई. में हरिश्चंद्र मुखर्जी इसके संपादक हो गए।

वह निर्भीकता से बागान-मालिकों के अत्याचारों की पोल खोलने तथा सताए हुए किसानों की सहायता में लगे रहे। 1861 ई. में क्रिस्टोदास पाल इसके संपादक बने। अंग्रेजी साप्ताहिक ‘वंदे मातरम्’ के साथ अरविंद घोष संपादक के रूप में जुड़े थे। वर्ष 1931 में दरभंगा के महाराज कामेश्वर सिंह ने ‘दि इंडियन नेशन’ की स्थापना की। इसका प्रकाशन पटना से होता था। * स्वदेशवाहिनी’ अथवा ‘स्वदेशाभिमानी’ के संपादक रामकृष्ण पिल्लै थे।

रामकृष्ण पिल्लै का जन्म 1878 ई. में तत्कालीन ट्रावनकोर राज्य के नेयात्तीनकारा के नायर परिवार में हुआ था। गांधीजी ने साप्ताहिक समाचार-पत्रों के रूप में ‘हरिजन’ अंग्रेजी में, ‘हरिजन बंधु’ गुजराती में तथा ‘हरिजन सेवक’ हिंदी में प्रारंभ किए थे। ‘हरिजन’ का प्रथम अंक 11 फरवरी, 1933 को पूना (वर्तमान पुणे, महाराष्ट्र) से प्रकाशित किया गया। जुलाई, 1924 में भीमराव अम्बेडकर ने बंबई में एक संस्था ‘वहिष्कृत हितकारिणी सभा’ बनाई, जिसका उद्देश्य अस्पृश्य लोगों की नैतिक तथा भौतिक उन्नति करना था।

उन्होंने ही मराठी पाक्षिक ‘बहिष्कृत भारत’ आरंभ किया। अबुल कलाम आजाद ने वर्ष 1912 में उर्दू साप्ताहिक अल-हिलाल का प्रकाशन प्रारंभ किया था। अल बलाग का प्रारंभ इन्होंने 12 नवंबर, 1915 को किया। वर्ष 1914 में अल-हिलाल पर प्रेस एक्ट के तहत प्रतिबंध लगा दिया गया था। लाला लाजपत राय ने लाहौर से एक उर्दू दैनिक ‘वंदे मातरम्’ और एक अंग्रेजी साप्ताहिक ‘दि पीपुल’ निकाला। इसके पहले वह संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘यंग इंडिया’ का प्रकाशन कर चुके थे।

‘द पायनियर’ समाचार-पत्र का प्रारंभ 1865 ई. में इलाहाबाद से जॉर्ज एलेन ने किया था। * कौमी आवाज’ नामक उर्दू अखबार का प्रकाशन वर्ष 1945 में जवाहरलाल नेहरू तथा रफी अहमद किदवई द्वारा लखनऊ से प्रारंभ किया गया था। रास्त गोफ्तार’ नामक पत्र दादाभाई नौरोजी से संबंधित है। भारत के लिए स्वशासन की मांग करते हुए मोतीलाल नेहरू ने ‘इंडिपेंडेंट’ नामक समाचार-पत्र निकाला था। ‘कॉमनवील’ मद्रास से प्रकाशित अंग्रेजी पत्र था, जिसकी संपादिका एनी बेसेंट थीं।

 

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Abhishek Dubey

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