History Notes History PDF

ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब नोट्स ( East India Company and Nawab of Bengal Notes)

ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब नोट्स (East India Company and Nawab of Bengal Notes)

मुगल सम्राट द्वारा स्वतंत्र रूप से नियुक्त बंगाल का अंतिम गवर्नर मुर्शीद कुली खान (1717-1727 ई.) था। इसने अपनी राजधानी ढाका से मकसूदाबाद बनाया और नगर का नाम मुर्शिदाबाद रख दिया। इसने भूमि बंदोबस्त में इजारा व्यवस्था आरंभ की। अलीवर्दी खां (1740-1756 ई.) ने यूरोपियों की तुलना मधुमक्खियों से की तथा कहा कि यदि उन्हें न छेड़ा जाए तो वे शहद देंगी और यदि छेड़ा जाए तो वे काट-काट कर मार डालेंगी।

इसकी मृत्यु के पश्चात उसका दौहित्र सिराजुद्दौला उत्तराधिकारी बना। ब्लैक होल की कथित घटना 20 जून, 1756 को सिराजुद्दौला के समय में हुई थी। जे.जेड. हॉलवेल, जो शेष जीवित रहने वालों में से एक था, के अनुसार 18 फीट लंबे तथा 14 फीट 10 इंच चौड़े कक्ष में 146 अंग्रेज बंदी बंद कर दिए गए और अगले दिन उनमें से केवल 23 व्यक्ति ही बच पाए।

यह घटना ब्लैक होल के नाम से प्रसिद्ध है। समकालीन मुस्लिम इतिहासकार गुलाम हुसैन ने अपनी पुस्तक सियार-उल-मुत्खैरीन में इसका कोई उल्लेख नहीं किया है। भारतवर्ष में ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक लॉर्ड रॉबर्ट क्लाइव को माना जाता है, जिसने प्लासी के युद्ध (23 जून, 1757) में बंगाल के नवाब सिराजद्दौला को पराजित कर पहली बार भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व की नींव रखी थी।

प्लासी (वर्तमान नाम-पलाशी) का युद्ध मैदान प. बंगाल राज्य के नदिया जिले में भागीरथी नदी के किनारे स्थित है। क्लाइव भारत में बंगाल के गवर्नर के पद पर 1757-60 ई. तथा 1765-1767 ई. तक रहा। इस दौरान उसने अवध के नवाब शुजाउद्दौला के साथ इलाहाबाद की संधि की। *अंग्रेज सैनिकों का एक श्वेत विद्रोह उसके समय में हुआ था।

क्लाइव द्वारा बंगाल में सफलतापूर्वक एक ‘लुटेरा राज्य की स्थापना की गई। क्लाइव एक सैनिक के रूप में जननेता था। विलियम पिट का यह कथन है कि “वह स्वर्ग से उत्पन्न सेनानायक (A Heaven Born General) था।” अलीवर्दी खां के उत्तराधिकारी नवाबों में मीर कासिम (1760-63 ई.) सबसे योग्य था। पूर्णिया तथा रंगपुर के फौजदार के रूप में वह अपनी योग्यता पहले ही दर्शा चुका था। वह अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर ले गया, संभवतः वह मुर्शिदाबाद के षड्यंत्रमय वातावरण तथा कलकत्ता से दूर रहना चाहता था, ताकि अंग्रेजों का हस्तक्षेप अधिक न हो।

मीर कासिम ने सेना का गठन यूरोपीय पद्धति पर करने का निश्चय किया। इसके द्वारा मुंगेर में तोपें तथा तोड़ेदार बंदूकें (Matchlock Gun) बनाने की व्यवस्था की गई। इसके अतिरिक्त मीर कासिम राज्य की आर्थिक स्थिति को भी सुधारने के लिए प्रयत्नशील रहा। जिन अधिकारियों ने गबन किया था, उन पर बड़े-बड़े जुर्माने लगाए गए, कुछ नए कर भी उसने लगाए।

22 अक्टूबर, 1764 को अंग्रेजों ने मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा दिल्ली के मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय की सम्मिलित सेना को बक्सर के युद्ध में परास्त किया। इस युद्ध में अंग्रेजों की कमान मेजर हेक्टर मुनरो के हाथ में थी। इस युद्ध के समय वेन्सिटार्ट बंगाल का गवर्नर था।

इस युद्ध के परिणाम ने प्लासी के निर्णयों पर मुहर लगा दी, भारत में अब अंग्रेजों को चुनौती देने वाला कोई दूसरा नहीं था। इलाहाबाद तक का प्रदेश अंग्रेजों के अधिकार में आ गया तथा दिल्ली विजय का मार्ग खुल गया। बक्सर का युद्ध भारतीय इतिहास में निर्णायक सिद्ध हुआ। बक्सर के युद्ध के समय बंगाल का नवाब मीरजाफर तथा दिल्ली का शासक शाहआलम द्वि तीय था।

इलाहाबाद की दूसरी संधि (16 अगस्त, 1765) के अनुसार, शाहआलम को अंग्रेजी संरक्षण में ले लिया गया तथा उसे इलाहाबाद में रखा गया। इलाहाबाद तथा कड़ा के जो क्षेत्र नवाब ने छोड़ दिए थे, शाहआलम को मिले। 12 अगस्त, 1765 की संधि की अनुसार, मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय ने कंपनी को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी स्थायी रूप से दे दी।

इस समय रॉबर्ट क्लाइव ईस्ट इंडिया कंपनी का बंगाल का गवर्नर था। इसी समय बंगाल में द्वैध शासन की शुरुआत हुई। कंपनी ने दीवानी कार्य के लिए दो उप-दीवान, बंगाल के लिए मुहम्मद रजा खान तथा बिहार के लिए राजा शिताब राय की नियुक्ति की। शाहआलम द्वितीय का संपूर्ण जीवन आपदाओं से ग्रस्त रहा तथा उसे अंधा कर दिया गया।

शाहआलम द्वितीय के समय में 1803 ई. में दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। शाहआलम द्वितीय तथा उसके दो उत्तराधिकारी अकबर द्वितीय (1806-37 ई.) और बहादुरशाह द्वितीय (1837-57 ई.) ईस्ट इंडिया कंपनी के पेंशनभोगी मात्र बनकर रहे। 1765 ई. में अंग्रेजों द्वारा सिलहट की दीवानी प्राप्त की गई तथा बर्मा युद्ध के बाद स्काट द्वारा सिलहट को जयंतिया तथा गारो पहाड़ी क्षेत्रों से जोड़ने के लिए सड़कों का निर्माण किया जाने लगा, जिसके विरोध स्वरूप इन पहाड़ियों पर रहने वाली खासी जनजाति के लोगों ने अपने नेता तीरत सिंह के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया था। *के.एम. पन्निकर ने कहा है कि 1765 से 1772 ई. तक कंपनी ने बंगाल में ‘डाकुओं का राज्य स्थापित कर दिया।

About the author

Abhishek Dubey

नमस्कार दोस्तों , मैं अभिषेक दुबे, Onlinegktrick.com पर आप सभी का स्वागत करता हूँ । मै उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का रहने वाला हूँ ,मैं एक upsc Aspirant हूँ और मै पिछले दो साल से upsc की तैयारी कर रहा हूँ ।

यह website उन सभी students को समर्पित है, जो Students गाव , देहात या पिछड़े क्षेत्र से है या आर्थिक व सामाजिक रूप से फिछड़े है

Thankyou

Leave a Comment