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गवर्नर/गवर्नर जनरल/वायसराय नोट्स (Governor / Governor General / Viceroy Notes)

गवर्नर/गवर्नर जनरल/वायसराय नोट्स (Governor / Governor General / Viceroy Notes)

*क्लाइव के समय में असैनिक तथा सैनिक दोनों सुधार हुए। *असैनिक सुधारों के अंतर्गत क्लाइव ने उपहार लेना तथा निजी व्यापार बंद करा दिया। *उसने आंतरिक कर देना अनिवार्य बना दिया। *सैनिक सुधारों के अंतर्गत क्लाइव ने आज्ञा दी कि दोहरा भत्ता बंद कर दिया जाए तथा जनवरी, 1766 से यह भत्ता केवल उन सैनिकों को ही मिलता था, जो बंगाल तथा बिहार की सीमा से बाहर कार्य करते थे।

*अपने प्रशासनिक सुधारों के अंतर्गत हेस्टिंग्स ने सर्वप्रथम 1772 ई. में ‘कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स’ के आदेशानुसार बंगाल में द्वैध शासन की

समाप्ति की घोषणा की और राजकीय कोषागार का स्थानांतरण मुर्शिदाबाद से कलकत्ता कर दिया। *वॉरेन हेस्टिंग्स का विचार था कि समस्त भूमि शासक की है। *राजस्व सुधारों को व्यवस्थित करने के लिए उसने परीक्षण

और अशुद्धि (Trial & Error) के नियम को अपनाया। * रेग्युलेटिंग एक्ट, 1773 के तहत ब्रिटिश संसद के द्वारा बंगाल में पहली बार कॉलेजिस्ट सरकार की व्यवस्था की गई। *इस सरकार में एक अध्यक्ष तथा चार सदस्यों का प्रावधान किया गया। *अध्यक्ष को गवर्नर जनरल का पदनाम दिया गया। *वॉरेन हेस्टिंग्स 1774 ई. में बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल नियुक्त हुआ। ___ *जन प्रशासन की नींव वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा मजबूती से रखी गई थी, जिस पर ऊपरी संरचना कार्नवालिस ने तैयार की। *कार्नवालिस के समय में न्यायिक सुधारों, फौजदारी कानून में सुधारों, पुलिस सुधार, कर संबंधी सुधारों तथा व्यापारिक सुधारों से जन प्रशासन की नींव पड़ी। *15 जनवरी, 1784 को एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना के समय बंगाल का गवर्नर जनरल लॉर्ड वॉरेन हेस्टिंग्स (1774-1785 ई.) था। *”सुरक्षा प्रकोष्ठ’ या घेरे की नीति से वॉरेन हेस्टिंग्स तथा वेलेजली संबंधित थे। *वॉरेन हेस्टिंग्स के अन्यायपूर्ण तथा निरंकुश कार्यों के कारण उस पर महाभियोग का मुकदमा चलाया गया, जो 1788 से 1795 ई. तक चलता रहा, किंतु ब्रिटिश संसद ने उसकी सेवाओं को देखते हुए उसे सभी दोषों से मुक्त कर दिया।

*रियासतों के प्रति प्रमुख ब्रिटिश नीतियां निम्नलिखित थीं1. कंपनी का भारतीय रियासतों से समानता के लिए संघर्ष (1740-1765 ई.) 2. ‘सुरक्षा प्रकोष्ठ’ नीति या घेरे की नीति (1765-1813 ई.) 3. अधीनस्थ पार्थक्य की नीति (1813-1857 ई.) 4. अधीनस्थ संघ की नीति (1858-1935 ई.) 5. बराबर के संघ की नीति (1935-1947 ई.)

दीवानी और फौजदारी कचहरियों के श्रेणीबद्ध संगठन के जरिए न्याय प्रदान करने की एक नई व्यवस्था की नींव अंग्रेजों ने रखी। इस व्यवस्था को वॉरेन हेस्टिंग्स ने आरंभ किया, मगर कार्नवालिस ने इसे और सुदृढ़ बनाया। शक्ति कलेक्टर के हाथों में केंद्रित कर दी गई। *1787 ई. में जिले के प्रभारी कलेक्टरों को दीवानी अदालतों के दीवानी न्यायाधीश भी नियुक्त कर दिया गया तथा इसके अतिरिक्त इन्हें फौजदारी शक्तियां और सीमित मामलों में फौजदारी न्याय करने का भी अधिकार दे दिया गया। *1790-92 ई. के बीच भारतीय न्यायाधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाले न्यायालय-तीन बंगाल हेतु एवं एक बिहार के लिए नियुक्त किए गए। *इन अदालतों की अध्यक्षता यूरोपीय व्यक्ति द्वारा भारतीय काजी एवं मुफ्ती के सहयोग से की जाती थी। *लॉर्ड कार्नवालिस ने ‘कानून की विशिष्टता’ का नियम, जो इससे पूर्व नहीं था, भारत में लागू किया। *कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों को 1793 ई. तक अंतिम रूप देकर उन्हें ‘कार्नवालिस संहिता’ के रूप में प्रस्तुत किया। *यह सुधार प्रसिद्ध सिद्धांत ‘शक्तियों के पृथक्करण’ पर आधारित था। *इसके तहत उसने

कर तथा न्याय प्रशासन को पृथक कर दिया। कलेक्टर की न्यायिक तथा फौजदारी शक्तियां ले ली गईं तथा उसके पास केवल कर संबंधी शक्तियां ही रह गईं। जिला दीवानी न्यायालयों में कार्य के लिए नए अधिकारियों की एक श्रेणी बनाई गई। जिला न्यायाधीशों को फौजदारी तथा पुलिस के कार्य भी किए गए। भारत की प्रसंविदाबद्ध सिविल सेवा या लोक सेवा का प्रारंभ कार्नवालिस द्वारा किया गया था। लॉर्ड कार्नवालिस 1786-1793 ई. एवं 30 जुलाई, 1805 से 5 अक्टूबर, 1805 तक बंगाल का गवर्नर जनरल रहा। *इसकी मृत्यु 5 अक्टूबर, 1805 को गाजीपुर (उ.प्र.) में हुई थी। *यहीं पर इसकी कब्र स्थित है। लॉर्ड वेलेजली (1798-1805 ई.) की सहायक संधि स्वीकार करने वाला पहला राज्य हैदराबाद (1798 ई.) था। * बसीन की संधि’ दिसंबर, 1802 में पेशवा बाजीराव द्वि तीय और अंग्रेजों के मध्य हुई थी। *लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार करने वाला पहला मराठा सरदार पेशवा बाजीराव II था। *इस सहायक संधि के तहत बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों की संरक्षकता स्वीकार कर ली। *इस संधि की शर्तों के अनुसार, अंग्रेजों ने पेशवा को पूना में पुनः स्थापित करने के साथ लगभग 60 हजार सैनिक पेशवा की रक्षा हेतु उसके राज्य में रखने का वादा किया, जबकि इसके बदले में पेशवा ने अंग्रेजों को 26 लाख रुपये वार्षिक आय वाले क्षेत्र प्रदान करने पर सहमति जताई।

*लॉर्ड वेलेजली (1798-1805 ई.) ने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी राजनैतिक परिधि में लाने के लिए सहायक संधि प्रणाली का प्रयोग किया। *उसने सहायक संधि का आविष्कार नहीं किया। *इस प्रणाली का अस्तित्व तो पहले से ही था तथा वह क्रमिक रूप से विकसित हुई थी। *संभवतः डूप्ले प्रथम यूरोपीय था, जिसने अपनी सेना किराए पर भारतीय राजाओं को दी थी। *अंग्रेजों ने भी यह प्रणाली अपनाई। *प्रथम सहायक संधि 1765 ई. में अवध से की गई जब कंपनी ने निश्चित धन के बदले उसकी सीमाओं की रक्षा करने का वचन दिया। * लॉर्ड वेलेजली द्वारा विशिष्ट रूप से प्रवर्तित सहायक संधि को स्वीकार करने वाले राज्य थे-हैदराबाद (1798 ई. तथा 1800 ई.), मैसूर (1799 ई.), तंजौर (अक्टूबर, 1799), अवध (नवंबर, 1801), पेशवा (दिसंबर, 1802), बरार के भोसले (दिसंबर, 1803), सिंधिया (फरवरी, 1804), जोधपुर, जयपुर, मच्छेरी, बूंदी तथा भरतपुर।

___ *लॉर्ड विलियम बेंटिक ने जुलाई, 1828 ई. में गवर्नर जनरल का कार्यभार संभाला। *उसने सती प्रथा, बालिका शिशु वध जैसी सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए प्रभावकारी प्रयत्न किया तथा देश में ठगी समाप्त कर शांति और व्यवस्था स्थापित की। *उसने ‘कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स’ की इच्छाओं के अनुसार भारतीय रियासतों के प्रति यथासंभव तटस्थता की नीति अपनाई। *जयपुर में अव्यवस्था ने ऐसा उग्र रूप धारण कर लिया कि ब्रिटिश रेजीडेंट पर ही प्रहार कर दिया गया, परंतु इस पर भी बेंटिक ने हस्तक्षेप करना स्वीकार नहीं किया। *इसी प्रकार जोधपुर, बूंदी, कोटा तथा भोपाल में उसने हस्तक्षेप नहीं किया, यद्यपि ऐसा करने के लिए पर्याप्त कारण थे। *परंतु उसने इस

नीति का अनुसरण छोड़कर 1831 ई. में मैसूर तथा 1834 ई. में कुर्ग एवं कछार की रियासतों को अपने प्रदेश में मिला लिया, क्योंकि वहां बहुत अधिक अव्यवस्था थी। *विलियम बेंटिक (1828-35 ई.) के शासन के 7 वर्षों में पुरानी निरंतर युद्धों तथा संयोजन की नीति को तिलांजलि दे दी गई। *भारत के इतिहास में बेंटिक का नाम सामाजिक तथा प्रशासनिक सुधारों के कारण स्मरण किया जाएगा। *1833 के चार्टर एक्ट के द्वारा भारतीय प्रशासन को पूर्णतः केंद्रीकृत करने का प्रयास किया गया। *इस एक्ट के द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया। *1833 ई. में लॉर्ड विलियम बेंटिक को भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया। *लॉर्ड विलियम बेंटिक ने कैप्टन स्लीमैन को ठगों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए नियुक्त किया। *उसने लगभग 1500 ठगों को बंदी बना लिया। *अनेक ठगों को फांसी दी गई। *शेष को आजीवन निर्वासित कर दिया गया। *1837 ई. के पश्चात संगठित रूप से ठगों का अंत हो गया।

*1789 ई. की घोषणा द्वारा बंगाल से दासों का निर्यात बंद कर दिया गया। *1811 ई. एवं 1823 ई. में दासों के संबंध में कानून बनाए गए। *1833 ई. के चार्टर एक्ट में दासता को शीघातिशीघ्र समाप्त करने के लिए गवर्नर से कानून बनाने को कहा गया। *1843 ई. में समस्त ब्रिटिश भारत से दासता को अवैध घोषित कर दिया गया। *1860 ई. में ‘भारतीय दंड संहिता’ के अंतर्गत दासता को अपराध घोषित कर दिया गया। *आंग्ल-नेपाल युद्ध (1814-16 ई.) लॉर्ड हेस्टिंग्स के गवर्नर जनरल काल (1813-23 ई.) में हुआ था, जो कि सुगौली की संधि से समाप्त हुआ था। सुगौली की संधि 2 दिसंबर, 1815 को लेखबद्ध हुई थी, जिसे 4 मार्च, 1816 को अनुमोदित किया गया था।

*1854 ई. में स्लीमैन के स्थान पर जेम्स आउट्रम को अवध का ब्रिटिश रेजीडेंट बनाया गया था। *उसने कहा कि अवध का प्रशासन बहुत दूषित है तथा जनता की अवस्था बहत शोचनीय है। *आउट्रम की रिपोर्ट को ही फरवरी, 1856 में अवध के अधिग्रहण का आधार बनाया गया था। लॉर्ड डलहौजी (1848-56 ई.) ने अवध के नवाब वाजिद अली शाह पर कुशासन का आरोप लगाकर 13 फरवरी, 1856 को उसका अंग्रेजी राज्य में विलय कर लिया। *अवध के अतिरिक्त डलहौजी के व्यपगत के सिद्धांत के अंतर्गत विलय किए गए प्रदेश-सतारा (1848 ई.), जैतपुर एवं संभलपुर (1849 ई.), बघाट (1850 ई.), उदयपुर (1852 ई.), झांसी (1854 ई.), नागपुर (1854 ई.) तथा करौली (1855 ई.) थे। कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स ने करौली के व्यपगत प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

__* भारत में रेल निर्माण की दिशा में प्रथम प्रयास ब्रिटिश गवर्नर लॉर्ड डलहौजी द्वारा किया गया। *प्रथम रेलवे लाइन 1853 ई. में बंबई से थाणे के बीच डलहौजी के समय बिछाई गई। रेल यात्रा का प्रारंभ ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे द्वारा किया गया था। *भारत में रेलवे के विकास का मुख्य उद्देश्य कच्चे माल को देश के आंतरिक भागों से बंदरगाहों तक ले जाना था। *इसका दूसरा उद्देश्य सेना को दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाना भी था, ताकि ब्रिटिश शासकों के प्रति होने वाले किसी भी विद्रोह को सरलता से

कुचला जा सके। *रेलवे का सर्वाधिक विस्तार 1900 ई. के आस-पास लॉर्ड कर्जन के समय हुआ था। *ब्रिटिश भारतीय राज्य क्षेत्र का अंतिम प्रमुख विस्तार लॉर्ड डफरिन के समय में हुआ, जब 1885 ई. में तृतीय

आंग्ल-बर्मा युद्ध के बाद 1 जनवरी, 1886 को बर्मा को ब्रिटिश भारत में मिला लिया गया।

*डलहौजी से पूर्व सार्वजनिक निर्माण का कार्य एक सैनिक बोर्ड पर था। *इसके कार्यकाल में पहली बार एक अलग सार्वजनिक निर्माण विभाग बनाया गया और सार्वजनिक उपयोग के कार्य के लिए बहुत-सा धन व्यय किया जाने लगा। * ईश्वरचंद्र विद्यासागर के अथक प्रयासों के फलस्वरूप लॉर्ड कैनिंग के समय ‘विधवा पुनर्विवाह अधिनियम’ 1856 पारित हुआ। *इस अधिनियम के नियम 15 (XV) के तहत विधवा विवाह को वैध मान लिया गया और उस विवाह से उत्पन्न हुए बालक वैध घोषित किए गए। *विधवाओं के कल्याण से जुड़े अन्य नेता थेपश्चिमी भारत में विष्णुशास्त्री और धोंदो केशव कर्वे। *धोंदो केशव कर्वे ने 1899 ई. में पूना में विधवा आश्रम की स्थापना की। *1857 ई. की महान क्रांति का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम था-महारानी की उद्घोषणा। *यह उद्घोषणा 1 नवंबर, 1858 को इलाहाबाद में हुए दरबार में लॉर्ड कैनिंग द्वारा उद्घोषित की गई। *इसमें ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की समाप्ति और भारत के शासन को सीधे ब्रिटिश शाही ताज के अंतर्गत लाए जाने की घोषणा की गई। *इसके तहत लॉर्ड कैनिंग ब्रिटिश भारत का प्रथम वायसराय बना। *महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी, 1877 ई. में नियुक्त किया गया; जनवरी, 1877 में आयोजित किए गए दिल्ली दरबार में इन्हें कैसर-ए-हिंद की उपाधि प्रदान की गई। *प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध 1839-1842 ई. के मध्य हुआ था। *इस दौरान भारत के गवर्नर जनरल ऑकलैंड थे। *लॉर्ड लिटन के समय द्वितीय आंग्ल-अफगान युद्ध (1878-1880 ई.) हुआ था। *1843 के एक्ट-V के द्वारा भारत में तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड एलेनबरो ने दास प्रथा का उन्मूलन किया था। इसके काल (1842-1844 ई.) के दौरान अगस्त, 1843 में सिंध को पूर्ण रूप से ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। *’चतुराईपूर्ण निष्क्रियता’ या ‘कुशल अकर्मण्यता’ की नीति (Policy of Masterly Inactivity) आंग्ल-अफगान संबंधों के संदर्भ में लॉर्ड एलेनबरो के काल से प्रारंभ होकर लॉर्ड नार्थब्रुक के काल तक चलती रही। *इस काल को कुशल अकर्मण्यता की नीति का काल कहा जाता है। *इस नीति को प्रायः जॉन लॉरेंस के नाम से विशिष्ट रूप से संबंधित किया जाता है, क्योंकि उसके वायसराय काल में इस नीति का अनुसरण करने का स्पष्ट अवसर मिला और इस नीति की रूपरेखा स्पष्ट रूप से निश्चित की गई। *कुशल अकर्मण्यता (Masterly Inactivity) शब्द का जे.डब्ल्यू.एस. वाईली ने एडिनबरा रिव्यू के एक लेख में प्रयोग किया था। * भारत में अंग्रेजों के समय में प्रथम जनगणना लॉर्ड मेयो (1869-72 ई.) के काल में 1872 ई. में प्रारंभ हई, किंतु लॉर्ड रिपन के काल में नियमित जनगणना 1881 ई. में शुरू हुई। *लॉर्ड मेयो (1869-72 ई.) की हत्या अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के भ्रमण के दौरान शेर अली अफरीदी नामक एक कैदी द्वारा की गई थी। *मेयो प्रथम गवर्नर जनरल था, जिसकी हत्या उसके कार्यकाल में की गई। *1876 ई. में लिटन के

वायसराय बनकर आने पर अफगानिस्तान के प्रति अपनाई गई नीति में परिवर्तन आया। *कुशल अकर्मण्यता की नीति के स्थान पर अग्रगामी नीति का अनुसरण होने लगा। *मेजर सेन्डेमन की बलूचिस्तान में गवर्नर जनरल के एजेंट के रूप में नियुक्ति के साथ ही बलूचिस्तान में हस्तक्षेप न करने के स्थान पर हस्तक्षेप की नीति अपनाई गई थी।

*वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट या भारतीय भाषा समाचार-पत्र अधिनियम 1878 ई. में लॉर्ड लिटन के काल में पारित किया गया। *इस अधिनियम को ‘मुंह बंद करने वाला अधिनियम’ भी कहा गया। *अर्सकिन पेरी ने इस अधिनियम को ‘विपरीतगामी और असंगत’ तथा भारत की भावी प्रगति के लिए ‘घातक पग’ बताया। * श्री एस.एन. बनर्जी ने इसे ‘आकाश से वज्रपात’ कहा है।

*सर पी.सी. इल्बर्ट वायसराय की परिषद के विधि सदस्य थे। *इन्होंने 2 फरवरी, 1883 को विधान परिषद में एक विधेयक प्रस्तुत किया, जिसे इल्बर्ट बिल की संज्ञा दी जाती है। *इस विधेयक का उद्देश्य था कि “जाति भेद पर आधारित सभी न्यायिक अयोग्यताएं तुरंत समाप्त कर दी जाएं और भारतीय तथा यूरोपीय न्यायाधीशों की शक्तियां समान कर दी जाएं”। *जैसे ही यह विधेयक प्रस्तुत किया गया, एक बवंडर खड़ा हो गया। *यूरोपीय लोगों ने इसे अपने विशेषाधिकारों पर कुठाराघात बताया।

*लॉर्ड रिपन को ब्रिटिश भारत के वायसरायों में सबसे अधिक उदारवादी माना जाता है। उन्होंने सौ या उससे अधिक कार्यरत मजदूरों वाली फैक्टरियों में काम करने वाली महिलाओं तथा बच्चों के संबंध में कुछ उदारवादी नियम बनाए, जिन्हें प्रथम फैक्ट्री अधिनियम, 1881 के नाम से जाना जाता है। *इस अधिनियम के तहत 7 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के फैक्टरियों में काम करने पर रोक एवं 7 से 12 वर्ष के बच्चों की कार्यावधि प्रतिदिन 9 घंटे तथा इन्हें महीने में चार दिन की छुट्टी का प्रावधान किया गया। दूसरा फैक्टरी अधिनियम, 1891 में बनाया गया। इसमें सभी मजदूरों के लिए साप्ताहिक छुट्टी की व्यवस्था थी। *लॉर्ड मेयो के समय में सृजित स्थानीय शासन को वास्तविक स्थानीय शासन बनाने के लिए लॉर्ड रिपन ने उन्हें आवश्यक नियम प्रदान किए। * इस कार्य के कारण लॉर्ड रिपन को आधुनिक भारत में स्थानीय शासन का जनक माना जाता है। *चार्ल्स मेटकॉफ ने प्रेस पर से प्रतिबंध हटाया, इसलिए उसे ‘समाचार-पत्रों का मुक्तिदाता’ कहा जाता है। *भारत में पुरातत्व सर्वेक्षण संबंधी प्रयास 1784 ई. में कलकत्ता में विलियम जोंस द्वारा एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना के साथ प्रारंभ हुए थे। *1861 ई. में लॉर्ड कैनिंग द्वारा एलेक्जेंडर कनिंघम को प्रथम पुरातात्विक सर्वेक्षक नियुक्त किया गया था तथा 1871 ई. में पुरातात्विक सर्वेक्षण को सरकार में अलग विभाग बनाया गया। *लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल (1899-1905 ई.) के दौरान, वर्ष 1901 में भारतीय परातत्व सर्वेक्षण (ASI) को एकीकत एवं केंद्रीकृत स्वरूप देते हुए जॉन मार्शल को इसका नया महानिदेशक नियुक्त किया गया। *प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के द्वारा लॉर्ड कर्जन ने भारत में पहली बार ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा एवं मरम्मत की ओर ध्यान देते हुए 50000 पौंड की धनराशि का आवंटन किया था। *गोपाल कृष्ण गोखले ने कर्जन के प्रशासन की तुलना मुगल सम्राट औरंगजेब से की थी। *नवंबर, 1905 में लॉर्ड कर्जन के स्थान पर

लॉर्ड मिंटो को भारत का वायसराय नियुक्त किया गया तथा जॉन मार्ले को भारत सचिव नियुक्त किया गया। *इनके द्वारा किए गए सुधारों को मार्ले-मिंटो सुधार (1909 ई.) के नाम से जाना जाता है। *इस अधिनियम के द्वारा मुसलमानों के लिए पृथक मताधिकार तथा पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की स्थापना की गई। * वायसराय लॉर्ड हार्डिंग के समय भारत की राजधानी का कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरण किया गया। *वायसराय लॉर्ड हार्डिंग ने 1911 ई. में जॉर्ज पंचम एवं महारानी मेरी को भारत बुलाया तथा दिल्ली में भव्य दरबार का आयोजन किया, जिसे दिल्ली दरबार (तृतीय) के नाम से जानते हैं। *इसी दरबार में बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया गया तथा राजधानी के स्थानांतरण की घोषणा की गई।

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Abhishek Dubey

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