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हमायूं और शेरशाह नोट्स (Humayun and Shershah Notes)

हमायूं और शेरशाह नोट्स

* हुमायूं, कामरान, अस्करी एवं हिन्दाल बाबर के पुत्र थे। *हुमायूं बाबर का ज्येष्ठ पुत्र था। *हुमायूं 1508 ई. में काबुल में पैदा हुआ था। *उसकी मां माहम बेगम शिया संप्रदाय से संबंधित थीं। *कामरान और अस्करी की मां गुलरुख बेगम तथा हिन्दाल की मां दिलदार बेगम थीं।

*हुमायूं ने चुनार दुर्ग पर प्रथम बार आक्रमण 1532 ई. में किया। *इस किले को उसने चार महीने तक घेरे रखा, जिसके बाद शेर खां ने हमायूं की अधीनता स्वीकार कर ली। *इसके अतिरिक्त 1531 ई. में उसने कालिंजर पर आक्रमण किया और 1532 ई. में रायसीन के महत्वपूर्ण किले को जीत लिया। ___*हुमायूं द्वारा लड़े गए चार प्रमुख युद्धों का क्रम इस प्रकार है-देवरा, चौसा, कन्नौज एवं सरहिंद। *1532 ई. में उसने गोमती के तट पर स्थित दौराह (देवरा) नामक स्थान पर अफगान विद्रोहियों को परास्त किया। *26 जून, 1539 को चौसा के युद्ध में हुमायूं को शेरशाह से पराजित होना पड़ा, इसी युद्ध में निजाम नामक भिश्ती ने हुमायूं की जान बचाई थी। *हुमायूं के विरुद्ध चौसा की इस विजय से शेर खां (शेरशाह) की शक्ति एवं प्रतिष्ठा दोनों में वृद्धि हुई। *उसने शेरशाह की पदवी धारण कर अपने नाम का खुतबा पढ़वाया तथा सिक्के पर भी अंकित करवाया। *17 मई, 1540 को कन्नौज या बिलग्राम के युद्ध में भी हुमायूं को शेरशाह से पराजित होना पड़ा और विवश होकर एक निर्वासित की भांति इधर-उधर भटकना पड़ा। *22 जून, 1555 को सरहिंद युद्ध की विजय ने हुमायूं को एक बार पुनः उसका खोया राज्य वापस दिला दिया।

*फरीद, जो बाद में शेरशाह सूरी बना, ने अपनी शिक्षा जौनपुर से प्राप्त की थी। *1494 ई. में फरीद ने घर छोड़ दिया तथा विद्याध्ययन के लिए जौनपुर चला आया, जो ‘पूर्व के सिराज’ नाम से प्रसिद्ध था।

*शेरशाह सूरी द्वारा किए गए सुधारों में राजस्व सुधार, प्रशासनिक सुधार, सैनिक सुधार, करेंसी प्रणाली में सुधार सम्मिलित थे। *शेरशाह ने बंगाल को सरकारों (जिलों) में बांट दिया। *इनमें से प्रत्येक को एक छोटी सेना के साथ शिकदारों के नियंत्रण में दे दिया। *आमीन-ए-बंगला’ अथवा ‘अमीर-ए-बंगाल’ नामक असैनिक अधिकारी को शिकदारों की देखभाल के लिए नियुक्त किया। *सर्वप्रथम काजी फजीलात नामक व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त किया गया।

*शेरशाह ने पुराने घिसे-पिटे सिक्कों के स्थान पर शुद्ध सोने, चांदी एवं तांबे के सिक्कों का प्रचलन किया। *उसने शुद्ध चांदी का रुपया (178 ग्रेन) तथा तांबे का दाम (380 ग्रेन) चलाया। *रुपया और दाम की विनिमय दर 1:64 थी। *इसके समय में 23 टकसालें थीं।

*दिल्ली सल्तनत के पराभव के उपरांत हमायुं द्वारा सर्वप्रथम स्वर्ण मुद्रा का प्रचलन किया गया था।

*हाजी बेगम ने अपने पति हमायूं के मकबरे का निर्माण दिल्ली (दीन पनाह) में 1560 के दशक में करवाया था। *इस मकबरे का नक्शा मीरक मिर्जा गियास (ईरानी वास्तुकार) ने तैयार किया था। *श्वेत संगमरमर से बना यह भारत का प्रथम दोहरा गुंबद वाला मकबरा है।

*कालिंजर विजय (1545 ई.) के दौरान, जब शेरशाह के सैनिक उक्का (गोले) फेंकने में व्यस्त थे, तो बारूद से भरा हुआ एक गोला दुर्ग की दीवार से टकरा कर वहां गिरा जहां बारूद से भरे हुए बहुत से गोले रखे हुए थे, जिससे गोलों में आग लग गई और वे फट-फट कर सभी दिशाओं में विध्वंस करने लगे। *शेरशाह वहां से अधजला बाहर निकला, यद्यपि दुर्ग जीत लिया गया, किंतु यही जीत शेरशाह के लिए अंतिम हो गई। *13 मई, 1545 को वह (कालिंजर में ही) मर गया। *कालिंजर का अभियान शेरशाह का अंतिम अभियान था। *उस समय वहां का राजा कीरत सिंह था। *शेरशाह सूरी ने मारवाड़ के युद्ध में राजपूतों के शौर्य पराक्रम से प्रभावित होकर कहा कि “मात्र एक मुट्ठी बाजरे के चक्कर में मैंने अपना साम्राज्य खो दिया होता।”

*शेरशाह का मकबरा, बिहार के सासाराम नामक स्थान पर एक तालाब के बीच ऊंचे चबूतरे पर बना है। *दिल्ली स्थित पुराना किला के भवनों का निर्माण शेरशाह सूरी ने करवाया था। *यहां किला-ए-कुहना मस्जिद, शेर मंडल आदि भवन शेरशाह द्वारा बनवाए गए थे।

*कृषकों की मदद के लिए शेरशाह ने ‘पट्टा’ एवं ‘कबूलियत’ की व्यवस्था प्रारंभ की थी। *किसानों को सरकार की ओर से ‘पट्टे’ दिए जाते थे, जिनमें स्पष्ट किया गया होता था कि उस वर्ष उन्हें कितना लगान देना है। *किसान ‘कबलियत-पत्र’ के द्वारा इन्हें स्वीकार करते थे।

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Abhishek Dubey

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