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मुगल वंश : बाबर नोट्स (Mughal Dynasty : Babur Notes)

मुगल वंश : बाबर नोट्स

*मुगल शासक वास्तव में तुर्कों की चगताई नामक शाखा के थे। *इस शाखा का नाम प्रसिद्ध मंगोल नेता चंगेज खां के द्वितीय पुत्र के नाम पर पड़ा था, जिसके अधिकार में मध्य एशिया तथा तुर्कों का देश तुर्किस्तान थे। *बाबर का पूरा नाम जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर था, इसका जन्म 14 फरवरी, 1483 को फरगना में उमर शेख मिर्जा एवं कुतलुग निगारखानम के घर हुआ था। *पिता की मृत्यु के बाद लगभग ग्यारह वर्ष की अल्पायु में जून, 1494 में वह फरगना के सिंहासन पर बैठा। शैवानी खां ने 1501 ई. में सर-ए-पल के युद्ध में बाबर को पराजित कर मध्य एशिया से खदेड़ दिया। *इस युद्ध में उजबेगों की युद्ध नीति ‘तुलुगमा’ पद्धति का प्रयोग शबानी खां ने बाबर के विरुद्ध किया था। *1504 ई. में काबुल विजय की एवं 1506 ई. या 1507 ई. में बाबर ने अपने पूर्वजों द्वारा धारण की गई उपाधि ‘मिर्जा’ का त्याग कर नई उपाधि पादशाह’ धारण की।

*आलम खां, इब्राहिम लोदी का चाचा था। *उसने दिल्ली के राजसिंहासन पर अपना अधिकार जताते हुए बाबर को भारत पर आक्रमण के लिए आमंत्रित किया। *1524 ई. में बाबर के चौथी बार भारत अभियान के दौरान दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी तथा पंजाब के गवर्नर दौलत खां के मध्य कटु संबंध हो गए थे। *सुल्तान इब्राहिम लोदी ने दौलत खां को राजधानी आने का आदेश दिया था, जिसका दौलत खां ने उल्लंघन किया था। *दौलत खां ने अपने पुत्र दिलावर खां को बाबर के पास इस संदेश के साथ भेजा कि वह सुल्तान इब्राहिम लोदी को दिल्ली के सिंहासन से अपदस्थ कर उसके स्थान पर उसके चाचा आलम खां को पदस्थ करने में सहायता करे। *बाबर के लिए यह स्वर्णिम अवसर था, क्योंकि उसे मेवाड़ के राजा राणा सांगा का भी निमंत्रण प्राप्त हो चुका था। *अतः बाबर को यह विश्वास हो गया कि भारत विजय का अवसर आ गया है।

*पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 को बाबर तथा इब्राहिम लोदी के बीच हुआ। *बाबर के पास विशिष्ट सुविधाएं थीं। *उसके तोपखाने ने इस युद्ध में आश्चर्यजनक कार्य किया। *इब्राहिम लोदी की सेना संख्या में अधिक होते हए भी पराजित हुई और इब्राहिम लोदी रणक्षेत्र में मारा गया। *फलस्वरूप दिल्ली और आगरा पर बाबर का अधिकार हो गया। *27 अप्रैल, 1526 को वावर ने अपने आप को वादशाह घोषित कर भारत में मुगल साम्राज्य की नींव डाली। *बाबर ने तुलुगमा युद्ध नीति का प्रयोग पानीपत के प्रथम युद्ध में ही किया था।

*इस युद्ध में बाबर की सफलता का सबसे मुख्य कारण उसका विशाल तोपखाना था, जिसका नेतृत्व उस्ताद अली कुली नामक व्यक्ति कर रहा था। *बंदूकचियों का नेतृत्व मुस्तफा कर रहा था। *बाबर की उदारता के कारण लोगों ने उसे ‘कलंदर’ की उपाधि प्रदान की। *वर्तमान भारत में सर्वप्रथम पानीपत की पहली लड़ाई में तोपों का प्रयोग किया गया।

*बाबर ने खानवा के युद्ध में जेहाद की घोषणा की थी। *खानवा का युद्ध 16 मार्च, 1527 को बाबर और राणा सांगा के बीच हुआ था। *इस युद्ध में राणा सांगा पराजित हुआ। *इसी युद्ध में विजयश्री मिलने के उपरांत बाबर ने ‘गाजी’ (काफिरों को मारने वाला) की उपाधि धारण की। _ *1528 ई. में बाबर ने चंदेरी के किले पर अधिकार कर लिया। *युद्ध में मेदनीराय मारा गया। *घाघरा का युद्ध 5 मई, 1529 को बाबर और महमूद लोदी के मध्य हुआ था। इस युद्ध में बाबर विजयी हुआ। *बाबर का यह अंतिम युद्ध था। ___* अपने इस विशाल साम्राज्य की शासन व्यवस्था को सही ढंग से चलाने के लिए बाबर ने एक प्रदेश से दूसरे में अलग-अलग व्यवस्था की थी। *भारत से बाहर बदख्शां का शासन हुमायूं, मीर फन अली, हिन्दाल तथा मिर्जा सुलेमान को प्रदान किया गया। * कामरान को काबुल, कंदहार एवं मुल्तान का प्रशासन दिया गया। *मीर यूसुफ अली को पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया गया, जिसके नियंत्रण में भीरा, लाहौर, दीपालपुर, सियालकोट, सरहिंद तथा हिसार-फिरोजा सम्मिलित थे। *हिसार-फिरोजा से लेकर बलिया तक के प्रदेश तथा बयाना, चंदेरी एवं ग्वालियर तक के प्रदेशों में बाबर ने एक नवीन शासन व्यवस्था कार्यान्वित की। इस प्रकार बाबर का साम्राज्य बदख्शां से बिहार तक फैला था, किंतु आधुनिक राजस्थान का क्षेत्र उसके साम्राज्य में सम्मिलित नहीं था। *यह क्षेत्र उस

समय विभिन्न राजपत शासकों के शासनांतर्गत था।

__ *मुगल साम्राज्य की आधारशिला रखने वाले जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर ने अपने जीवन संबंधी घटनाओं को एक ग्रंथ में स्वयं ही लिखा। इसे ‘तुजुक-ए-वावरी’ या ‘बाबरनामा’ कहते हैं। *बाबर ने अपनी आत्मकथा में जिन दो हिंदू राज्यों का उल्लेख किया है उनमें एक विजयनगर तथा दूसरा मेवाड़ है। *तुर्की भाषा में बाबर द्वारा लिखित यह ग्रंथ संसार की श्रेष्ठतम आत्मकथाओं में स्थान रखता है। *अकबर ने अब्दुल रहीम खानखाना द्वारा ‘बाबरनामा’ का फारसी भाषा में रूपांतरण करवाया। *इसके अतिरिक्त बाबर द्वारा पद्य रचनाओं का संकलन ‘दीवान’ में किया गया, जो तुर्की पद्य में श्रेष्ठ स्थान रखता है। *पद्य में उसने एक नवीन शैली में ‘मुबइयान’ लिखा, जो मुस्लिम कानून की पुस्तक है। *बाबर की एक रचना ‘रिसाल-ए-उसज’ (खत-ए-बावरी) थी, जिसकी शैली नवीन मानी गई थी। *मुगल बादशाह बाबर के सेनानायक मीर बाकी ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था।

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Abhishek Dubey

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