History Notes History PDF

अकबर नोट्स (Akbar Notes)

अकबर नोट्स

*अकबर का जन्म 15 अक्टूबर, 1542 को अमरकोट के राजा वीरसाल के महल में हुआ था। *14 फरवरी, 1556 को पंजाब में गुरुदासपुर जिले के निकट कलानौर नामक स्थान पर उसे बादशाह घोषित किया गया। *इस समय उसकी आयु 14 वर्ष से कम थी। *शाह अब्दुल माली ने अकबर के राज्याभिषेक में सम्मिलित होने से इंकार कर दिया था। *हुमायूं इसे ‘फर्जन्द’ (पुत्र) पुकारता था। *बैरम खां अकबर का संरक्षक था। *अकबर

ने उसे अपना ‘वकील’ (वजीर) नियुक्त किया तथा उसे ‘खान-ए-खाना’ की उपाधि से विभूषित किया। *अकबर ने सर्वप्रथम कछवाहा राजपूतों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए थे। *जिस समय अकबर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की यात्रा हेतु जा रहा था, तो सांगानेर नामक स्थान पर 1562 ई. में आमेर का राजा बिहारीमल (भारमल) बादशाह की सेवा में उपस्थित हुआ, उसने अकबर की अधीनता स्वीकार की तथा उससे अपनी ज्येष्ठ पुत्री हरखा बाई (लोक प्रचलित नाम- जोधाबाई) का विवाह करने की इच्छा भी व्यक्त की। *अकबर ने राजा का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया तथा अजमेर से लौटते समय सांभर में उसने राजा बिहारीमल की पुत्री से विवाह किया, यह अकबर का प्रथम राजपूत कन्या से विवाह था। *इस प्रकार बिहारीमल (भारमल) पहला राजपूत राजा था, जिसने स्वेच्छा से अकबर की अधीनता स्वीकार की। *इसी राजपूत राजकुमारी से शहजादे सलीम (जहांगीर) का जन्म हुआ। _ *अकवर ने सूफी मत में अपनी आस्था जताते हुए चिश्तिया संप्रदाय को समर्थन दिया था। *वह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह पर दर्शन हेतु अक्सर जाता था। ___ *अपनी उदार धार्मिक नीति के अंतर्गत उसने 1562 ई. में दास प्रथा, 1563 ई. में तीर्थयात्रा कर तथा 1564 ई. में जजिया कर को समाप्त कर दिया। *अपने सामाजिक सुधार के अंतर्गत उसने बाल विवाह एवं सती प्रथा को रोकने का प्रयत्न किया। *उसने यह आज्ञा दी थी कि आदमी को एक ही स्त्री से विवाह करना चाहिए और वह तभी दूसरा विवाह कर सकता है, जब उसकी पहली पत्नी वन्ध्या हो।

*माहम अनगा के पुत्र अधम खां को 1562 ई. में अकबर ने स्वयं मारा था, क्योंकि उसने अकबर के प्रधानमंत्री अतगा खां की हत्या कर दी थी। __*दुर्गावती गोंडवाना के हिंदू राज्य की योग्य शासिका थीं, अकबर के आक्रमण (1564 ई.) के फलस्वरूप शत्रु से घिर जाने पर इस वीर रानी ने आत्महत्या कर ली थी। ___ *1565 ई. में मारवाड़ के शासक राव चंद्रसेन ने भाद्राजूण में मुगल सेनाओं का सामना किया, लेकिन चारों तरफ से घिर जाने के कारण उसे सिवाना जाना पडा। *राव चंद्रसेन ने 1579 ई. में सोजत पर अधिकार कर लिया। *अतः अकबर ने पुनः सेनाएं भेजकर उस पर आक्रमण करवाया, लेकिन वह पहाड़ी क्षेत्रों में चला गया और 1581 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।

__ *हल्दी घाटी युद्ध के पीछे अकबर का मुख्य उद्देश्य राणा प्रताप को अपने अधीन लाना था। *अकबर ने अप्रैल, 1576 में मानसिंह के नेतृत्व में 5 हजार सैनिकों को राणा प्रताप के विरुद्ध भेजा। *मानसिंह मंडलगढ के मार्ग से होता हुआ गोगुंडा गढ़ से चौदह मील दूर हल्दी घाटी दर्रे के निकट पहुंचा, राणा प्रताप भी मुगल सेना का सामना करने के लिए पहाड़ियों से उतर आए। *फलतः जो युद्ध हुआ, वह हल्दी घाटी युद्ध के नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें राणा पराजित हुए और उन्हें अरावली की पहाड़ियों में शरण लेनी पड़ी।

*मेवाड राज्य ने अकबर की संप्रभुता स्वयं स्वीकार नहीं की थी। *राणा प्रताप ने लंबे समय तक मुगलों से युद्ध लड़ा। *राणा प्रताप की मृत्यु के बाद उनके पुत्र राणा अमर सिंह ने 1615 ई. में जहांगीर से संधि की थी।

*जब शाहजादा सलीम ने विद्रोह कर इलाहाबाद में स्वतंत्र शासक की तरह व्यवहार करना आरंभ कर दिया था, तब अकबर ने 1602 ई. में दक्षिण से अपने मित्र अबुल फजल को बुलाया। *उसी समय सलीम के इशारे से ओरछा के बुंदेला सरदार वीरसिंह देव ने मार्ग में अवुल फजल की हत्या कर दी। ___ *अकबर पहला मुस्लिम शासक था, जिसने इस बात का अनुभव किया कि मुगल साम्राज्य की सुदृढ़ता के लिए भारत की बहुसंख्यक हिंदू जनता का सहयोग प्राप्त करना नितांत आवश्यक है। *उसने हिंदू-मुस्लिम समुदायों को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास किया।

*मुगल शासन व्यवस्था को स्थापित करने का श्रेय अकबर को ही है। *उसकी केंद्रीय शासन व्यवस्था तथा बादशाह के पद और अधिकारों एवं कर्तव्यों की व्याख्या, उसका प्रांतीय शासन, उसकी लगान व्यवस्था, उसकी मुद्रा व्यवस्था, उसकी मनसबदारी व्यवस्था आदि सभी को उसके समय में सफलता प्राप्त हुई और वह उसके उत्तराधिकारियों के लिए आधार-स्वरूप बनीं।

*अकबर एक महान शासक था, जिसका साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर गोदावरी नदी के किनारे तक विस्तृत था। *वह एक धर्मनिरपेक्ष शासक था। *संपूर्ण सत्ता उसी में निहित थी, अतएव वह प्रशा के फ्रेडरिक महान और इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ की तरह प्रबुद्ध निरंकुश शासक कहा जाता है, जिसके शासनकाल में कानून की दृष्टि में सभी समान थे।

*अकबर के शासनकाल न केंद्रीय प्रशासन तंत्र के अंतर्गत ‘मीर वख्शी’ मुख्यतः सैन्य विभाग का प्रमुख था। *उसका कार्य सैनिकों का वेतन और सैनिक संगठन से संबंधित था। *अकबर ने 1573 ई. में घोड़ों को दागने की प्रथा का पुनः प्रचलन किया, जिससे सेनापति अपने घोड़े न बदल सकें अथवा एक घोड़े को दो बार न प्रस्तुत कर सकें। *1574-75 ई. में अकबर ने मनसबदारी व्यवस्था के आधार पर सैनिक संगठित किया। *’मनसव’ शब्द का अर्थ श्रेणी या पद है तथा ‘मनसबदार’ का अर्थ उस अधिकारी से था. जिसे शाही सेना में एक पद या श्रेणी प्राप्त थी। अकबर की मनसबदारी व्यवस्था दशमलव प्रणाली पर आधारित थी।

__ *’दीवान’ शब्द फारसी भाषा का है और खलीफा उमर के काल में मुसलमानों ने इसे अपनाया था। *वे इसका प्रयोग खजाना विभाग के लिए करते थे। *अकबर के शासनकाल के 9वें वर्ष से लेकर 30वें वर्ष तक दीवान पद मुजफ्फर खां तुरबती, राजा टोडरमल एवं ख्वाजा शाह मंसूर के हाथों आता-जाता रहा। *’दीवान’ आर्थिक मामलों एवं राजस्व का सर्वोच्च अधिकारी होता था।

*मुगल मनसबदारी प्रणाली मध्य एशिया (मंगोलिया) से ली गई थी। *इस प्रकार का सैन्य विभाजन चंगेज खान के नेतृत्व में मंगोल सेना में किया गया था।

*मुगल बादशाह अकबर ने मनसबदारी व्यवस्था अपने शासनकाल के 11वें वर्ष (1566-67) में प्रारंभ किया था। *मनसब प्राप्तकर्ता तीन वर्गों में विभक्त थे-10 से 500 से कम मनसबदार, 500 से 2500 तक अमीर तथा 2500 से ऊपर अमीर-ए-आजम कहलाते थे। *इसके अलावा जात और सवार की दृष्टि से भी तीन श्रेणियों में बांटा गया था। ___ *अकबर के शासनकाल में भू-राजस्व वसूली के लिए जाती प्रणाली का प्रचलन हुआ, जो भूमि सर्वेक्षण, भू-राजस्व निर्धारण के लिए दस्तूरउल-अमल तथा जाब्ती खसरे की तैयारी पर आधारित थी। *टोडरमल ने भू-राजस्व के क्षेत्र में ख्याति अर्जित की थी। *अकबर ने अपने शासन के 24वें वर्ष (1580 ई.) में आइने-दहसाला (टोडरमल बंदोवस्त) नामक नई कर प्रणाली को शुरू करके मुगलकालीन व्यवस्था को स्थायी स्वरूप प्रदान किया। *इस प्रणाली का वास्तविक प्रणेता टोडरमल था। *इसी कारण इसे टोडरमल बंदोबस्त भी कहते हैं। *उस समय टोडरमल अर्थ मंत्री था और उसका मुख्य सहायक ख्वाजा शाह मंसूर था। *इस प्रणाली के अंतर्गत अलग-अलग फसलों के पिछले दस वर्ष के उत्पादन और उसी समय के उनके प्रचलित मूल्यों का औसत निकाल कर उस औसत का एक-तिहाई हिस्सा राजस्व के रूप में वसूला जाता था। *अकबर कालीन भू-राजस्व व्यवस्था की दहसाला पद्धति को बंदोबस्त व्यवस्था के नाम से भी जाना जाता है।

*जहांगीर के समकालीन मोहसिन फानी ने अपनी रचना ‘दविस्तानए-मजाहिब’ में पहली बार दीन-ए-इलाही को एक स्वतंत्र धर्म के रूप में उल्लेख किया था।

*अकबर ने आगरा से लगभग 36 किमी. दूर फतेहपुर सीकरी में 1568-69 ई. में एक राजमहल-सह-किले का निर्माण आरंभ किया। *इनमें जोधाबाई महल, पंच महल, स्वर्ण महल अथवा सुनहला मकान, दीवाने आम, दीवाने खास, मरियम की कोठी, तुर्की सुल्तान की कोठी, बीरबल कोठी आदि प्रमुख हैं। *तुर्की सुल्तान का महल इतना सुंदर है कि पर्सी ब्राउन ने उसे ‘स्थापत्य कला का मोती’ कहा है। *पंच महल पिरामिड के आकार का पांच महलों का भवन था और भारतीय बौद्ध विहारों के अनुरूप था।

*अकबर ने गुजरात विजय 1572-73 ई. में की थी और इसके पश्चात सीकरी को फतेहपुर सीकरी कहा जाने लगा। *एक वर्ग के इतिहासकारों का मत है कि गुजरात विजय के उपलक्ष्य में सम्राट अकबर ने सीकरी के बुलंद दरवाजा का निर्माण विजय स्तंभ के रूप में कराया था. जबकि पर्सी ब्राउन ने इसका निर्माण दक्षिण विजय (1601 ई.) के उपलक्ष्य में बताया है। ___*अकबर ने 1582 ई. में ‘तौहीद-ए-इलाही’ या ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की। *इसके अंतर्गत अकबर ने सभी धर्मों के मूल सिद्धांतों को सम्मिलित कर इसे सर्वमान्य बनाने का प्रयास किया। *दीन-ए-इलाही

वास्तव में सूफी सर्वेश्वरवाद पर आधारित एक विचार पद्धति थी। *इस नवीन संप्रदाय का प्रधान पुरोहित अबुल फजल था। *हिंदुओं में केवल वीरबल (महेश दास) ने इसे स्वीकार किया था।

*अकबर का मकबरा सिकंदरा नामक गांव में स्थित है, जिसे सुल्तान सिकंदर लोदी ने अपने नाम पर बसाया था। *अकबर ने इसका नाम ‘बहिश्ताबाद’ रखा था। *इसके निर्माण की योजना अकबर ने बनवाई थी, किंतु निर्माण जहांगीर ने 1613 ई. में करवाया था। *यह मकबरा पांच मंजिला है। *इसकी प्रमुख विशेषता गुंबद-विहीन होना है।

*अकबर ने अपने राजकवि फैजी की अध्यक्षता में एक अनुवाद विभाग की स्थापना की थी। *अकबर के आदेश से महाभारत के विभिन्न भागों का ‘रज्मनामा’ नाम से फारसी में अनुवाद-नकीब खां, बदायूंनी तथा फैजी आदि विभिन्न विद्वानों के सम्मिलित प्रयत्नों से किया गया। *इसके अतिरिक्त बदायूनी ने ‘रामायण’ का, फैजी ने ‘लीलावती’ का तथा अवल फजल ने ‘कालियादमन’ का फारसी में अनुवाद किया।

*अकबर के दरबार के प्रसिद्ध ग्रंथकर्ताओं में सबसे प्रमुख कश्मीर का ‘मुहम्मद हुसैन’ था, जिसे अकबर ने ‘जरी कलम’ की उपाधि प्रदान की थी। *हरिविजय सरि वह जैन साध था. जो अकबर के दरबार में कुछ वर्ष तक रहा एवं जिसे ‘जगद्गुरु’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। *मुगल दरबार में एक अन्य विद्वान जिन चंद्र सूरी भी रहते थे, जिन्हें ‘युग प्रधान’ की उपाधि प्रदान की गई थी।

*इंग्लैंड की रानी एलिजावेथ I का समकालीन भारतीय राजा अकबर था। *दिसंबर, 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के समय इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ थीं। *भारत में उस समय अकबर (1556-1605 ई.) का शासन था। *एलिजाबेथ I का शासनकाल 1558-1603 ई. था।

*मुगल कालीन विद्वान अबुल फजल ने अमेरिका की खोज का उल्लेख किया है।

*रॉल्फ फिंच (1583-86ई.) फतेहपुर सीकरी और आगरा पहुंचने वाला पहला अंग्रेज व्यापारी था।

*अकबर ने फतेहपुर सीकरी में 1575 ई. में इबादतखाने की स्थापना की, जिसका उद्देश्य दार्शनिक एवं धार्मिक विषयों पर वाद-विवाद करना था। *1578 ई. में इसने सभी धर्मावलंबियों के लिए इबादतखाना का द्वार खोल दिया। अकबर ने समस्त धार्मिक मामलों को अपने हाथों में लेने के लिए 1579 ई. में ‘महजरनामा’ की घोषणा की। *यह महजरनामा अबुल फजल के पिता शेख मुबारक ने तैयार किया था। *मजहर को स्मिथ और वूल्जले हेग ने अचूक आज्ञा पत्र कहा है। *मजहर जारी करने के बाद अकबर ने ‘सुल्तान-ए-आदिल’ या ‘इमाम-ए-आदिल की उपाधि धारण की।

*अकबर स्वयं बसंत, होली, दीवाली जैसे त्योहारों/उत्सवों में भाग लेता था। *उसने तुलादान, झरोखा दर्शन आदि हिंदू त्योहारों को भी स्वीकार कर लिया था। *लेनपूल के अनुसार, हिंदू राजाओं को एकजुट

कर लेना अकबर के समय की सबसे स्पष्ट विशेषता थी। *डॉ. आर.पी. त्रिपाठी के अनुसार, अकबर अपने युग की संतान और पिता दोनों था।

About the author

Abhishek Dubey

नमस्कार दोस्तों , मैं अभिषेक दुबे, Onlinegktrick.com पर आप सभी का स्वागत करता हूँ । मै उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का रहने वाला हूँ ,मैं एक upsc Aspirant हूँ और मै पिछले दो साल से upsc की तैयारी कर रहा हूँ ।

यह website उन सभी students को समर्पित है, जो Students गाव , देहात या पिछड़े क्षेत्र से है या आर्थिक व सामाजिक रूप से फिछड़े है

Thankyou

Leave a Comment