मुगलकालीन संगीत एवं चित्रकला नोट्स
*मुगल चित्रों में युद्ध-दृश्य, पशु-पक्षी और प्राकृतिक दृश्य दरबारी चित्रण विषयों से संबंधित चित्रों का अंकन किया गया है।
*चित्रकला के क्षेत्र में मुगल शैली का प्रारंभ हुमायूं ने किया था। *मुगल चित्रकला की नींव हुमायूं के शासनकाल में ही पड़ी। *अपने फारस एवं अफगानिस्तान में निर्वासन काल में उसने मीर सैयद अली
और ख्वाजा अब्दुस्समद नामक दो फारसी चित्रकारों की सेवाएं प्राप्त की, जिनके द्वारा ही मुगल चित्रकला की शुरुआत की गई थी।
__ *अकबर ने अनेक ग्रंथों को चित्रित करवाया था। *इसमें सर्वप्रथम ‘दास्तान-ए-अमीर हम्जा’ है। पहले सैयद अली तथा बाद में अब्दुस्समद की देखरेख में प्राय: 50 चित्रकारों ने इसे तैयार करने में हिस्सा लिया। *इसमें करीब 1400 चित्र हैं। *यह ग्रंथ फारसी नायक अमीर हम्जा (मुहम्मद साहब के चाचा) के वीरतापूर्ण कारनामों का उल्लेख करता है।
_*मुगल चित्रकला जहांगीर के काल में अपने शिखर पर पहुंच गई थी। *जहांगीर चित्रकला का बड़ा कुशल पारखी था।
*जहांगीर के दरबार के सुप्रसिद्ध चित्रकारों में अबुल हसन (नादिरउज-जमां की उपाधि), उस्ताद मंसूर (नादिर-उल-अस्त्र), फार्रुख बेग, बिशनदास, अका रिजा, मोहम्मद नादिर, मोहम्मद मुराद, मनोहर, माधव, गोवर्धन इत्यादि उल्लेखनीय हैं। *अबुल हसन ने जहांगीर के सिंहासनारोहण का एक चित्र बनाया था, जिसे जहांगीर की आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहांगीरी’ के मुख्य पृष्ठ पर लगा दिया गया। *इस प्रकार जहांगीर के काल को ‘मुगल चित्रकला का स्वर्णयुग’ कहा जाता है।
*पहाड़ी स्कूल, राजपूत स्कूल, मुगल स्कूल और कांगड़ा स्कूल मध्यकालीन चित्रकला की विभिन्न शैलियां हैं। ___ *औरंगजेब ने संगीत को इस्लाम विरोधी मानकर उस पर पाबंदी लगा दी, परंतु उसी के काल में फारसी भाषा में भारतीय शास्त्रीय संगीत पर सर्वाधिक पुस्तकें लिखी गई। *औरंगजेय संगीत विरोधी होने के बावजूद स्वयं एक कुशल वीणावादक था।
* तोड़ी’ राग प्रातःकालीन गाया जाने वाला राग है। *यह राजदरबारों में भाटों एवं चारणों द्वारा गाया जाता था।
*हरिदास संप्रदाय के संगीत अर्चना केंद्रों की संख्या 5 थी। *इन्होंने ब्रज भाषा में अनेक ध्रुपद की रचना की। वे गायन और वादन दोनों कलाओं में प्रवीण थे। इनके अनेक शिष्य थे, जिनमें से तानसेन, बैजू बावरा, गोपाल नायक, मदन लाल का नाम उल्लेखनीय हैं।
*अकबर के शासनकाल के दौरान तानसेन और स्वामी हरिदास प्रमुख ध्रपद गायक थे। *तानसेन अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतज्ञ था। *तानसेन का मूल नाम रामतनु पांडेय था। *वह अकबर के नवरत्नों में से एक था। *अकबर के दरबार में आने से पहले तानसेन रीवा के राजा रामचंद्र के दरबार में था, जहां से अकबर ने उसे अपने दरबार में बुलवाया और बहुत उच्च स्थान प्रदान किया। *अकबर ने तानसेन को ‘कंठाभरणवाणीविलास’ की उपाधि प्रदान की थी। *विलास खां जहांगीर के दरबार का प्रमुख संगीतज्ञ था। *शाहजहां के दरबार के प्रमुख गायक थे- जगन्नाथ, रामदास, सुखसेन, सूरसेन, लाल खां, दुरंग खां आदि। *मुहम्मदशाह ‘रंगीला’ के समय ‘ख्याल’ गायन लोकप्रिय हुआ।
*राजस्थान की प्रसिद्ध शैली ‘किशनगढ’ शैली चित्रकला से संबंधित है। *यह शैली अपनी शृंगारिक चित्रों के लिए संपूर्ण भारत में जानी जाती है। *किशनगढ़ के राजा सामंत सिंह शृंगार प्रिय व अच्छे साहित्यकार थे, जो नागरीदास के नाम से प्रसिद्ध हुए। *इनकी प्रेमिका ‘बनी-ठनी (राधा) का सौन्दर्य इनके काव्य का आधार है। *इस शैली के प्रमुख कलाकार अमीरचंद, छोट, भवानीदास, निहालचंद, सीताराम आदि हैं। *बनी-ठनी का प्रसिद्ध चित्र निहालचंद ने बनाया था, जो किशनगढ़ शैली में है।