मुगल काल : विविध नोट्स
*मध्यकाल में प्रचलित पाठयक्रम को ध्यान में रखते हुए मुल्ला निजामुद्दीन ने 18वीं शताब्दी में ‘दर्स-ए-निजामी’ निश्चित किया तथा उनके अनुसार यह पाठ्यक्रम भारत में मुसलमानों के शासन के आरंभ से प्रचलित था। *इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत ग्यारह विषय थे तथा प्रत्येक विषय के लिए अलग-अलग पुस्तकें थीं। *मुगलकाल में शाह वली उल्ला के मदरसा में हदीस (परंपराओं) तथा तफसीर (टीकाओं) पर और लखनऊ के फिरंगीमहल में फ़िक (न्याय शास्त्र) के अध्ययन पर विशेष बल दिया जाता था। *धर्मशास्त्र के विशेषज्ञ को ‘आलिम तथा साहित्य के विशेषज्ञ को ‘काबिल’ की उपाधियों से विभूषित किया जाता था।
*हेमू अथवा हेमराज मध्य-युग के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है। *तत्कालीन स्रोतों में हेमू को बक्काल कहा गया है। मध्यकाल में भारत में सभी व्यापारियों को बक्काल कहा जाता था। कुछ स्रोतों के अनुसार हेम् वैश्य था, जबकि कुछ के अनसार हेम् जाति का धसर या भार्गव था, जो अपने को गौड़ ब्राह्मण कहते थे। उसने अपना जीवन रेवाड़ी में शोरे के व्यापारी के रूप में आरंभ किया। उसके बाद इस्लामशाह ने उसे अपनी सेवा में लिया था और आदिलशाह के समय में उसका सम्मान और पद बढ़ा। *आदिलशाह ने उसकी सैनिक प्रतिभा से संतुष्ट होकर उसे अपना वजीर और सेनापति बना लिया। *आदिलशाह के विरोधियों के विरुद्ध उसने 22 युद्धों में सफलता प्राप्त की। *दिल्ली में तरदी बेग के विरुद्ध विजय प्राप्त करने के पश्चात उसने ‘विक्रमादित्य’ या विक्रमजीत’ की उपाधि धारण की। बदायूनी एवं निजामुद्दीन अहमद के अनुसार, हेमू ने विक्रमजीत की उपाधि धारण की थी।
*विजयनगर में नायकों को राजा वेतन के बदले या उनकी अधीनस्थ सेना के रख-रखाव के लिए विशेष भूखंड देता था, जो ‘अमरम’ कहलाते
थे। *मराठा शासन में चौथ की आय का 66 प्रतिशत मराठा सरदारों को घुडसवार रखने के लिए दिया जाता था. जिसे मोकासा कहते थे। ___*मुगल काल में गुजरात स्थित सूरत बंदरगाह से होकर ही हज यात्री मक्का के लिए प्रस्थान करते थे, इसीलिए सूरत बंदरगाह को ‘बाबुल मक्का’ या ‘मक्का द्वार’ कहा जाता था।
*नवरोज का त्योहार ईरान (फारस) से लिया गया था। *यह एक राष्ट्रीय त्योहार था। *यह उन्नीस दिनों तक मनाया जाता था।
*भारतीय व्यापारिक जहाजों पर ‘मौल्लिम’ Navigator) एक कर्मचारी था। *मौल्लिम जहाज पर एक गोलाकार यंत्र के साथ बैठता था। *इस यंत्र की सहायता से वह तारों तथा सूर्य की स्थिति का पता लगाता था तथा इससे उसे अपने जहाज की सही स्थिति में होने का पता चलता था।
*फ्रांसीसी यात्री ट्रेवर्नियर ने शाहजहां के शासनकाल में अपनी यात्रा प्रारंभ की। *यह पेशे से जौहरी था। *1638-1663 ई. के बीच इसने छ: बार भारत की यात्रा की। *अपनी यात्रा का विवरण इसने ‘ट्रेवेल्स इन इंडिया’ नामक पुस्तक में प्रस्तुत किया है।
*मनूची इतालवी यात्री था। *14 वर्ष की अल्पायु में ही अपने गृह नगर वेनिस से भागकर एशिया माइनर और फारस की यात्रा करते हुए भारत पहुंचा। *इसने शहजादा दारा शिकोह की सेवा में तोपची के रूप में नौकरी की। *बाद में चिकित्सक का पेशा अपना लिया। * स्टोरियो दो मोगोर’ या ‘मुगल इंडिया’ नामक संस्मरण (1653-1708 ई.), लिखा जिसे 17वीं शताब्दी के भारत का दर्पण कहा जाता है।