क्षेत्रीय राज्य : पंजाब एवं मैसूर नोट्स (Regional State : Punjab & Mysore Notes)
*रणजीत सिंह का जन्म 13 नवंबर, 1780 को सुकरचकिया मिसल के मुखिया महासिंह के घर हुआ था। *महाराजा रणजीत सिंह और अंग्रेजों के बीच 25 अप्रैल, 1809 को अमृतसर की संधि हुई। *उसने 1818 ई.में मुल्तान, 1819 ई. में कश्मीर और 1834 ई. में पेशावर को जीत लिया। *1798 ई. में अफगानिस्तान के शासक जमान शाह ने पंजाब पर आक्रमण किया।
वापस जाते समय उसकी तोपें चिनाब नदी में गिर गई। *रणजीत सिंह ने उन्हें निकलवा कर वापस भिजवा दिया। *उस सेवा के बदले जमान शाह ने उसे लाहौर पर अधिकार करने की अनमति दे दी। *1799 ई. में रणजीत सिंह ने तत्काल लाहौर पर अधिकार कर लिया तथा उसे अपनी राजधानी बनाया; जमान शाह ने उन्हें राजा की उपाधि दी और लाहौर का अपना सूबेदार मान लिया।।
उसने 1805 ई. में अमृतसर को भी भंगी मिसल से छीन लिया। तत्पश्चात पंजाब की राजनैतिक राजधानी लाहौर और धार्मिक राजधानी अमतसर दोनों ही उसके अधीन आ गईं। रणजीत सिंह एक योग्य शासक था। *उन्होंने कहा था “ईश्वर की इच्छा थी कि मैं सब धर्मों को एक निगाह से देखू, इसीलिए उसने दूसरी आंख की रोशनी ले ली।” अफगान अमीर शाहशुजा ने रणजीत सिंह को कोहिनूर हीरा प्रदान किया था।
1839 ई. में रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनका पुत्र खड़ग सिंह सिंहासन पर बैठा। *इसे अफीम खाने की आदत थी। *इसके शासनकाल के दौरान शीघ्र ही दरबार में दो विरोधी दलों संधाबालिया सरदार-चैतसिंह, अतर सिंह, लहना सिंह तथा उनके भतीजे अजीत सिंह और डोगरा बंधुओं-ध्यान सिंह, गुलाब सिंह और सुचेत सिंह की प्रतिद्वंद्विता के कारण पंजाब में अराजकता फैल गई। *चिलियांवाला का युद्ध 13 जनवरी, 1849 को लड़ा गया। *इस युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व लॉर्ड गफ ने किया तथा सिख सेना शेरसिंह के नेतृत्व में लड़ी। *यह युद्ध अनिर्णीत समाप्त हुआ। *इस युद्ध के समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी था।
*महाराजा दलीप सिंह सिख साम्राज्य के अंतिम शासक थे। * उन्होंने 1843 से 1849 ई. तक शासन किया।*दलीप सिंह ने सिख धर्म छोड़कर ईसाई धर्म को अपनाया था, इन्होंने रूस की यात्रा भी की थी। *इनका निधन अक्टूबर, 1893 में पेरिस (फ्रांस) में हो गया था। *इनकी अंत्येष्टि इंग्लैंड में हई थी। *1849 ई. में द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध की समाप्ति पर अंग्रेजों द्वारा पंजाब का विलय कर लिया गया तथा दलीप सिंह को पेंशन देकर बाद में ब्रिटेन भेज दिया गया। * पंजाब के ब्रिटिश साम्राज्य में विलय के बाद लॉर्ड डलहौजी ने 1849 ई. में पंजाब पर शासन करने के लिए तीन लोगों की एक परिषद का गठन किया था, जिसमें सर हेनरी लॉरेंस को अध्यक्ष तथा जॉन लॉरेंस और चार्ल्स ग्रेनविले मानसेले को सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था।
*प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध 1767-69 ई. में हुआ। इस युद्ध में हैदर अली विजयी हुआ। *इस दौरान अंग्रेज गवर्नर वेरेल्स्ट था। *युद्ध 4 अप्रैल, 1769 को मद्रास की संधि द्वारा समाप्त हुआ।
__*द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1780-84 ई.) के दौरान, हैदर अली ने निजाम तथा मराठों के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध एक मोर्चा बनाया। *जुलाई, 1780 में हैदर अली ने कर्नाटक पर आक्रमण कर दिया तथा कर्नल बेली (Col. Baillie) के अधीन अंग्रेजी सेना को हराकर अर्काट पर अधिकार कर लिया। इसी दौरान टीपू ने हेक्टर मुनरो की सेना को पोल्लीलुर नामक स्थान पर हरा दिया। *1781 ई. में हैदर अली का सामना अंग्रेज जनरल आयरकूट से हुआ, जिसने पोर्टो नोवो (1 जुलाई, 1781), पोल्लीलुर तथा शोलिंगुर में हैदर अली को परास्त किया। दिसंबर, 1782 ई. में हैदर अली की मृत्यु के बाद टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा तथा अंततः मंगलौर की संधि (1784 ई.) से द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध का समापन हुआ। *टीपू सुल्तान ने श्रीरंगपट्टनम को अपनी राजधानी बनाया एवं यहां जैकोबिन क्लब की स्थापना की और उसका सदस्य बना, साथ ही उसने अपनी राजधानी में फ्रांस और मैसूर की मैत्री का प्रतीक स्वतंत्रता का वृक्ष रोपा। *टीपू सुल्तान ने अपने समकालीन विदेशी राज्यों से मैत्री संबंध बनाने तथा अंग्रेजों के विरुद्ध उनकी सहायता प्राप्त करने के लिए ईरान, कुस्तुंतुनिया/ (आधुनिक इस्तांबुल), अफगानिस्तान और फ्रांस आदि को दूतमंडल भेजे
और आधुनिक रीति पर दूतावासों की स्थापना की। __*तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1790-92 ई.) का अवसान श्रीरंगपट्टनम की संधि (मार्च, 1792) द्वारा हुआ। *इस संधि में अंग्रेजों की ओर से कार्नवालिस तथा मैसूर से टीपू सुल्तान शामिल थे। * टीपू सुल्तान चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध (1799 ई.) के दौरान अंग्रेजों से लड़ते हुए मारे गये। *इसके कुल के सदस्यों को वेल्लौर में कैद कर दिया गया। *इस युद्ध के समय अंग्रेजी सेना को वेलेजली और स्टुअर्ट ने अपना नेतृत्व प्रदान किया। *मैसूर को जीतने की खुशी में आयरलैंड के लॉर्ड समाज ने वेलेजली को ‘माचिस’ की उपाधि प्रदान की। *युद्ध के बाद अंग्रेजों ने मैसूर की गद्दी पर पुनः अड्यार वंश के एक बालक कृष्णराज को बिठा दिया तथा कनारा, कोयंबटूर और श्रीरंगपट्टनम को अपने राज्य में मिला लिया।
*बेगम समरु (1750-1836 ई.) ने एक अति प्रसिद्ध चर्च का निर्माण मेरठ के निकट सरधना में कराया था। * बेगम समरु के पति एक यूरोपीय वाल्टर रेनहार्ट साम्ब्रे थे, जिन्होंने कई रियासतों को सैन्य सेवाएं प्रदान की थी। *साम्ने को बंगाल के नवाब नजब खां ने सहारनपुर के रूहेला सरदार जाब्ता खां को हराने में प्रमुख भूमिका के कारण सरधना की जागीर प्रदान की थी। अपने पति की मृत्यु के बाद बेगम समरु सरधना की शासिका बनी थीं।