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यूरोपीय कंपनियों का आगमन (Arrival of European companies)

यूरोपीय कंपनियों का आगमन (Arrival of European companies)

*वास्कोडिगामा गुजराती पथ-प्रदर्शक अहमद इन्न मजीद की सहायता से भारत के पश्चिमी तट पर स्थित बंदरगाह कालीकट पर 20 मई, 1498 को पहुंचा। *उसने यहां पहुंचकर भारत के नए समद्री मार्ग की खोज की। *कालीकट के तत्कालीन शासक जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया। *वास्कोडिगामा के भारत आगमन से पुर्तगालियों एवं भारत के मध्य व्यापार के क्षेत्र में एक नए युग का शुभारंभ हुआ।

वास्कोडिगामा ने काली मिर्च के व्यापार से 60 गुना अधिक मुनाफा कमाया, जिससे अन्य पुर्तगाली व्यापारियों को भी प्रोत्साहन मिला। *1505 ई. में फ्रांसिस्को द अल्मीडा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय एवं गवर्नर बनकर आया। व्यापारिक हितों के परिप्रेक्ष्य में हिंद महासागर में प्रभुत्व स्थापित करने के लिए अल्मीडा ने ‘ब्लू वाटर पॉलिसी’ (Blue Water Policy) अर्थात ‘नीला जल की नीति’ का प्रतिपादन किया।

अल्मीडा के बाद अल्फांसो द अल्बुकर्क 1509 ई. में गवर्नर बनकर आया। * उसने 1510 ई. में बीजापुर के शासक यूसुफ आदिलशाह से गोवा छीनकर अपने अधिकार में कर लिया। इसे भारत में पुर्तगीज शक्ति का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। अल्बुकर्क ने 1511 ई. में दक्षिण-पूर्वी एशिया की महत्वपूर्ण मंडी मलक्का एवं 1515 ई. में फारस की खाड़ी के मुहाने पर स्थित हरमज पर अधिकार कर लिया।

अल्बुकर्क के बाद प्रमुख गवर्नरों में से एक नीनो डी कुन्हा था। यह 1529 से 1538 ई. तक गवर्नर रहा। *पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा ने भारत के मार्ग की, स्पेनी यात्री कोलंबस ने अमेरिका की, ब्रिटेन के कैप्टन कुक ने ऑस्ट्रेलिया की तथा हॉलैंड के तस्मान ने वान डीमंस लैंड (वर्तमान तस्मानिया) तथा न्यूजीलैंड की खोज की थी। *पुर्तगालियों के भारत में प्रथम दुर्ग (भारत में प्रथम यूरोपीय दुर्ग भी) का निर्माण अल्फांसो द अल्बुकर्क (इस समय वह गवर्नर नहीं था) द्वारा 1503 ई. में कोचीन में कराया गया था। *अजीदीव एवं कन्नानोर में पुर्तगाली दुर्गों का निर्माण फ्रांसिस्को द अल्मीडा द्वारा 1505 ई. में कराया गया था। *मध्यकाल में सर्वप्रथम भारत से व्यापार संबंध स्थापित करने वाले पुर्तगाली थे। * भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों के आगमन का क्रम है-पुर्तगीज, डच, अंग्रेज, डेन, फ्रांसीसी। * भारत में पुर्तगाली सबसे पहले 1498 ई. में आए तथा सबसे अंत में वर्ष 1961 में वापस गए। वर्ष 1961 में गोवा का पुर्तगाली गवर्नर जनरल मैनुएल एंटोनिओ वस्सालो ए सिल्वा (19581961 ई.) था। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के दौरान गोवा का गवर्नर जनरल जोसे फेरेइरा बोस्सा (Jose Ferreira Bossa) था। *यूरोपीय शक्तियों में सर्वप्रथम पुर्तगाली व्यापारियों ने भारत में सामुद्रिक व्यापारिक केंद्र स्थापित किए। पुर्तगालियों ने 1503 ई. में कोचीन में पहली फैक्ट्री

तथा 1505 ई. में कन्नूर में अपनी दूसरी फैक्ट्री स्थापित की। *1534 ई. में पुर्तगालियों ने बंगाल के शासक गियासुद्दीन महमूदशाह से सतगांव और चटगांव में अपनी फैक्ट्रियां स्थापित करने की अनुमति प्राप्त कर ली। *पुर्तगालियों द्वारा हगली को बंगाल की खाड़ी में समुद्री लूटपाट के लिए अड्डे के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। *1632 ई. में मुगल बादशाह शाहजहां ने हुगली में पुर्तगाली बस्तियों को पूरी तरह नष्ट कर दिया और एक हजार से अधिक पुर्तगाली निवासियों को बंदी बना लिया।

*कासिम बाजार की फैक्ट्री के प्रमुख जॉब चारनॉक ने अंग्रेजों के व्यापार केंद्र के लिए हगली के स्थान पर सतानती अथवा सतनौती (कलकत्ता का स्थल) को चुना। *कोच्चि, 1814 ई. में ब्रिटिश उपनिवेश के तहत शामिल हुआ। *1599 ई. में इंग्लैंड में एक मर्चेट एडवेंचर्स नामक दल ने अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी अथवा ‘दि गवर्नर एंड कंपनी ऑफ मर्चेट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडीज’ की स्थापना की। *दिसंबर, 1600 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने इसे पूर्व के साथ व्यापार हेतु 15 वर्षों के लिए अधिकार-पत्र प्रदान किया था। इस दौरान भारत का बादशाह अकबर (1556-1605 ई.) था। *लीवेंट कंपनी को 1593 ई. में स्थल मार्ग से भारत में व्यापार करने का अधिकार-पत्र प्राप्त हुआ था। *जहांगीर के शासनकाल में इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सर्वप्रथम 1611 ई. में मसूलीपट्टनम अथवा मछलीपट्टनम में एक अस्थायी कारखाना स्थापित किया था। *1613 ई. में सूरत में स्थापित कारखाना अंग्रेजों का प्रथम स्थायी कारखाना था। *सूरत में डचों द्वारा फैक्ट्री 1616 ई. में, जबकि फ्रांसीसियों द्वारा 1668 ई. में स्थापित की गई थी। *थॉमस बेस्ट नामक अंग्रेज अधिकारी ने पुर्तगालियों को स्वाल्ली (Sowlley) के स्थान पर हराया था। *1661 ई. में इंग्लैंड के सम्राट चार्ल्स द्वितीय का विवाह पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन से होने पर चार्ल्स को बंबई उपहार के रूप में प्राप्त हुआ था, जिसे उन्होंने 1668 ई. में 10 पौंड वार्षिक किराए पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया था। *बंबई के अंग्रेज गवर्नर जॉन चाइल्ड ने 1688 ई. में बंबई और पश्चिमी समुद्र तट के मुगल बंदरगाहों का घेरा डाला तथा मक्का जाने वाले हज यात्रियों को बंदी बनाने का प्रयास किया। *फलस्वरूप उसे औरंगजेब ने भारत से निष्कासित करने का आदेश दिया था। *कर्नाटक का प्रथम युद्ध (1746-48 ई.) ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध, जो 1740 ई. में आरंभ हुआ था, का विस्तार मात्र था। *गृह सरकारों की आज्ञा के विरुद्ध ही दोनों दलों (अंग्रेज एवं फ्रांसीसी) में 1746 ई. में युद्ध प्रारंभ हो गया। *अंग्रेज कैप्टन बर्नेट के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों पर अधिकार कर लेना युद्ध का तात्कालिक कारण था। *प्रथम कर्नाटक युद्ध के समय ही कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन ने महफूज खां के नेतृत्व में 10,000 की भारतीय सेना को फ्रांसीसियों पर आक्रमण करने

के लिए भेजा। *कैप्टन पैराडाइज के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना ने अडयार नदी पर स्थित सेंटथॉमे नामक स्थान पर नवाब की सेना को पराजित किया। *यूरोप में युद्ध बंद होते ही कर्नाटक का प्रथम युद्ध समाप्त हो गया। *एक्स ला-शापेल की संधि (Treaty of Aix-la-chapelle; 1748 ई.) से ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार का युद्ध समाप्त हो गया तथा मद्रास अंग्रेजों को पुनः प्राप्त हो गया।

*डूप्ले ने पहली बार वे हथकंडे प्रयोग किए जो भारत को जीतने के लिए अंग्रेजों के मार्गदर्शक बने। *यह डप्ले ही था. जिसने पहली बार यूरोपीय सेना को भारतीय राजदरबारों में भारतीय व्यय पर नियुक्त करवाया तथा जिसने पहली बार यूरोपीय हितों के लिए भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप किया तथा भारत में यूरोपीय साम्राज्य की नींव रखी। * लई चौदहवें के मंत्री कॉल्बर्ट द्वारा 1664 ई. में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई, जिसे ‘कंपनी देस इंदेस ओरियंटलेस’ कहा गया। *फ्रांसीसी कंपनी का निर्माण राज्य द्वारा हुआ और राज्य ही इसका सारा खर्च देता था। *1667 ई. में फ्रांसिस कैरो के नेतृत्व में एक अभियान दल भारत के लिए रवाना हुआ, जिसने 1668 ई. में सूरत में अपने पहले व्यापारिक कारखाने की स्थापना की। *मैर्कारा, गोलकुंडा के सुल्तान से एक अधिकार-पत्र प्राप्त कर, 1669 ई. में मसूलीपट्टनम में दूसरी फ्रांसीसी कोठी स्थापित की गई। डचों ने अपनी प्रथम फैक्ट्री की स्थापना मसूलीपट्टनम में की थी। *डचों की बंगाल में पहली कंपनी पीपली में 1627 ई. में स्थापित हुई। *इसके कुछ ही दिनों बाद डच पीपली से बालासोर चले आए, परंतु बंगाल में डचों का व्यापार सही ढंग से 1653 ई. में शुरू हुआ, जब उन्होंने चिनसुरा में अपनी कंपनी स्थापित की। चिनसुरा के डच किले को गुस्तावुस फोर्ट के नाम से जानते थे। *यूरोपवासियों को सर्वोत्तम शोरा और अफीम बिहार से प्राप्त होता था। *अंग्रेजी शासनकाल में बिहार अफीम उत्पादन हेतु प्रसिद्ध था।

*भारत में यूरोपीय शक्तियों के आगमन का क्रम इस प्रकार है -पुर्तगीज-डच-अंग्रेज-डेन-फ्रांसीसी, जबकि इनकी कंपनियों की स्थापना के वर्ष निम्नानुसार हैं

1498

कंपनी

स्थापना वर्ष 1. एस्तादो द इंडिया (पुर्तगीज कंपनी) 2. वेरिंग दे ओस्ट इंडिशे कंपनी (डच ईस्ट इंडिया कंपनी) 162 3. दि गवर्नर एंड कंपनी ऑफ मर्चेट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग 1600

इन टू द ईस्ट इंडीज (अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी) 4. डेन ईस्ट इंडिया कंपनी

1616 5. कंपनी देस इंदेस ओरियंटलेस

1664

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Abhishek Dubey

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