History Notes

प्राचीन इतिहास को जानने के स्त्रोत -सम्पूर्ण जानकारी ( Sources of Ancient Indian History in Hindi )

Written by Abhishek Dubey

प्राचीन इतिहास को जानने के स्त्रोत -सम्पूर्ण जानकारी ( Sources of Ancient Indian History in Hindi )

नमस्कार दोस्तो , मैं अभिषेक दुबे ( ABHISHEK DUBEY ) एक बार फिर से OnlineGkTrick.com  पर आपका स्वागत करता हूँ , दोस्तों इस पोस्ट मे  हम आपको की जानकारी उपलब्ध करा रहे है ! जो आपके आगामी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए बहुत Important है , तो दोस्तों उम्मीद है यह जानकारी आपके आने वाले लगभग सभी Compatitive Exams लिए काफी Helfull साबित होगा .

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प्राचीन इतिहास को जानने के लिए सभी स्त्रोतों को मुख्य तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है |
1. साहित्यिक
2. पुरातात्विक

साहित्यिक स्रोत (Literary Sources)

साहित्यिक स्रोतों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

(i) धार्मिक साहित्य (Religious Literature)

वेद– इसका अर्थ होता है- महत् ज्ञान, अर्थात् पवित्र एवं आध्यात्मिक ज्ञान, संपूर्ण वैदिक इतिहास की जानकारी के स्रोत वेद ही हैं. इनकी संख्या चार है- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद.

वेदांग– इनसे वेदों के अर्थ को सरल ढंग से समझा जा सकता है. इनकी संख्या 6 है- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द तथा ज्योतिष.

ब्राह्मण ग्रंथ-वेदों की गद्य रूप में की गई सरल व्याख्या को ब्राह्मण ग्रंथ कहा जाता है.

आरण्यक– इसकी रचना जंगलों में की गई. इसे ब्राह्मण ग्रंथ का । अंतिम हिस्सा माना जाता है, जिसमें ज्ञान एवं चिंतन की प्रधानता है,

उपनिषद् – ब्रह्म विद्या प्राप्त करने के लिए गुरु के समीप बैठना, इन्हें वेदांत भी कहा जाता है

  • इनकी कुल संख्या 108 है, भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्यसत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद् से लिया गया है.
  • इसी उपनिषद् में यज्ञ की तुलना टूटी नाव से की गई है.
  • श्रीकृष्ण का सर्वप्रथम उल्लेख छांदोग्यपनिषद् में हुआ है |
  • उपनिषदों से तत्कालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती है.

महाकाव्य– रामायण एवं महाभारत भारत के दो प्राचीनतम महाकाव्य हैं. उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इनका रचनाकाल चौथी शताब्दी ई०पू० से चौथी शताब्दी ई० के बीच माना जाता है.

  • रामायण– इसके रचनाकार महर्षि बाल्मीकि हैं. संस्कृत भाषा में लिखे इस महाकाव्य में कुल 24000 श्लोक हैं. इससे तत्कालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थितियों की जानकारी मिलती है.
  • महाभारत– आरंभ में इसका नाम जयसंहिता था. इसके रचनाकार महर्षि वेदव्यास हैं. इसमें श्लोकों की मूल संख्या 8800 थी, लेकिन वर्तमान में कुल संख्या 1,00000 है. इसमें कुल 18 पर्व हैं.
  • श्रीमद्भागवतगीता भीष्मपर्व से संबंधित है. महाभारत का युद्ध 950 ई० पू० में लड़ा गया था, जो 18 दिनों तक चला, यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है. इसे पाँचवें वेद के रूप में मान्यता मिली है.

पुराण– इसे पंचमवेद भी कहा जाता है|

  • लोमहर्ष तथा उनके पुत्र उग्रश्रवा पुराणों के संकलनकर्ता माने जाते हैं. इनकी संख्या 18 है. इनमें मुख्य रूप से प्राचीन शासकों की वंशावली का विवरण है.
  • पुराणों में सर्वाधिक प्राचीन एवं प्रामाणिक मत्स्यपुराण है. यह सातवाहन वंश से संबंधित है.
  • विष्णु पुराण से मौर्य वंश तथा वायु पुराण से गुप्त वंश के विषय में जानकारी मिलती है.

बौद्ध साहित्य– यह मूल रूप से चार भागों में विभाजित है-जातक, त्रिपिटक, पालि एवं संस्कृत

  • जात

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Abhishek Dubey

नमस्कार दोस्तों , मैं अभिषेक दुबे, Onlinegktrick.com पर आप सभी का स्वागत करता हूँ । मै उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का रहने वाला हूँ ,मैं एक upsc Aspirant हूँ और मै पिछले दो साल से upsc की तैयारी कर रहा हूँ ।

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