जैव भू-रासायनिक चक्र एवं जैविकअनुक्रमण
पारिस्थितिक तंत्र में अजैविक तत्वों के जैविक प्रावस्था में परिवर्तन तथा इन जैविक तत्वों के अजैविक रूप में पुनरागमन के प्रारूप को जैव भू-रासायनिक चक्र कहते हैं। प्रकृति में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, कार्बन इत्यादि तत्वों के जैव भू-रासायनिक चक्र (Bio Geochemical Cycle) पाए जाते हैं। यह मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं।
ध्यातव्य है कि जल चक्र को ओडम (Odum) ने गैसीय चक्र में सम्मिलित किया है। भौतिक वातावरण में किसी समुदाय का समय के साथ रूपांतरण ही ‘पारिस्थितिक अनुक्रमण’ कहलाता है। उदाहरणतया घास स्थलों में घास, वर्षा के अधिकतर जल को पौधों की जड़ों तक पहुंचने से पूर्व ही अवशोषित कर लेती है। साथ ही आग लगने आदि कारणों से घास स्थलों की भूमि पथरीली और बंजर हो जाती है।
ऐसी भूमि लाइकेनों के उगने के लिए आदर्श वातावरण उपलब्ध कराती है। एफ. क्लिमेंट (E. Clement) ने वर्ष 1916 में पौधों की विभिन्न प्रजातियों का अध्ययन किया तथा अनुक्रमण (Succession) की सर्वमान्य परिभाषा दी। उनके अनुसार, अनुक्रमण वह प्राकृतिक विधि है, जिसके अंतर्गत एक ही निहित तथा निश्चित स्थान पर एक विशेष समूह, दूसरे समूह द्वारा विस्थापित हो जाता है। ओडम (Odum) नामक वैज्ञानिक ने अनुक्रमण को एक क्रमागत विधि बताया। जैविक अनुक्रमण का सही क्रम निम्नलिखित है
‘पारिस्थितिकी संक्रमण’ अवधारणा का सर्वप्रथम प्रयोग जॉन डब्ल्यू. बेनेट (John W. Bennett)द्वारा किया गया। इन्होंने यह अवधारणा वर्ष 1976 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “दी इकोलॉजिकल ट्रांजिशन : कल्चरल एंथ्रोपोलॉजी एंड ह्यूमन एडाप्टेशन” में प्रस्तुत किया था। समुदायों का पूर्णक्रम जो क्रमशः एक निश्चित स्थान पर बदलता है, उसे सीयर (Sere) कहते हैं।
पारिस्थितिक आंदोलन
पारिस्थितिक तंत्र को साम्यावस्था में रखने हेतु जागरूक व्यक्तियों द्वारा समय-समय पर विभिन्न आंदोलन चलाए गए हैं। उनमें से एक प्रमुख आंदोलन चिपको आंदोलन है। “चिपको आंदोलन’ पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए किया गया एक महत्वपूर्ण आंदोलन था।
वनों की कटाई को रोकने के लिए 26 मार्च, 1974 को गौरा देवी के नेतृत्व में महिलाएं वृक्षों से चिपककर खड़ी हो गईं और पेड़ों को नहीं काटने दिया। 70 के दशक का यही आंदोलन पादप संरक्षण की मिसाल बन गया। नर्मदा बचाओ आंदोलन नर्मदा नदी के ऊपर बनाई जा रही बहुउद्देशीय बांध परियोजना को रोकने के लिए चलाया गया आंदोलन है। एपिको आंदोलन दक्षिण भारत का पर्यावरण संरक्षण से संबंधित आंदोलन है। यह आंदोलन कर्नाटक में आरंभ हुआ था।