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प्रांतीय राजवंश नोट्स (Provincial Dynasty Notes)

प्रांतीय राजवंश नोट्स

*जौनपुर की स्थापना फिरोज तुगलक ने अपने चचेरे भाई जौना खां (मुहम्मद बिन तुगलक) की स्मृति में की थी। *सुल्तान महमूद शाह द्वितीय के शासनकाल (1394 ई.) में जौनपुर एक स्वतंत्र राज्य बना। *इसका संस्थापक मलिक सरवर था, जिसने स्वतंत्र शर्की राज्य की स्थापना की। *मलिक सरवर मुहम्मद शाह द्वितीय का दास था। *सुल्तान ने उसे मलिक-उश-शर्क (पूर्व का स्वामी) तथा ख्वाजा-ए-जहां की उपाधि प्रदान की थी। *शर्की शासकों ने लगभग 85 वर्षों तक जौनपुर की स्वतंत्रता को स्थापित रखा, किंतु 1479 ई. में बहलोल लोदी ने इसके अंतिम शासक हसैन शाह शर्की को पराजित कर जौनपुर को पुनः दिल्ली सल्तनत का अंग बना लिया।

*इब्राहिम शाह शर्की (1402-1440 ई. गजेटियर ऑफ इंडिया के अनुसार, 1401 ई., जबकि जौनपुर डिस्ट्रिक्ट गजेटियर के अनुसार, 1402 ई.) जौनपुर के शर्की वंश का सबसे महान शासक था। *उसके शासनकाल में एक नवीन प्रकार की शैली, जिसे ‘शर्की शैली’ कहते हैं, का उदय हुआ। *उसने स्वयं “सिराज-ए-हिंद’ की उपाधि धारण की। *उसके समय में जौनपुर की सांस्कृतिक ख्याति चारों तरफ फैल गई और जौनपुर ‘भारत का शिराज’ नाम से विख्यात हो गया। *विद्यापति ने ‘कीर्तिलता काव्य’ में जौनपुर और इब्राहिम शाह का सुंदर वर्णन किया है।

*1420 ई. में अलीशाह का भाई शाही खां ‘जैन-उल-आवेदीन’ के नाम से कश्मीर के सिंहासन पर बैठा। *वह कश्मीर का सबसे महान शासक हुआ। *उसकी धार्मिक उदारता के कारण उसकी तुलना मुगल बादशाह अकबर से की जाती है। *उसने जजिया कर हटा दिया तथा गोहत्या को निषिद्ध कर दिया। उसने ‘महाभारत और राजतरंगिणी’ का पारसी में अनुवाद कराया। *”वूलर झील’ में ‘जैना लंका’ नामक द्वीप का निर्माण जैन-उल आवेदीन ने ही करवाया था। *जैन-उल-आवेदीन (1420-70 ई.) को धार्मिक सहिष्णुता तथा अच्छे कार्यों के कारण ‘कश्मीर का अकबर’ कहा जाता है। ___ *1407 ई. में ‘सुल्तान मुजफ्फरशाह के नाम से जफर खां ने स्वयं को गुजरात का सुल्तान घोषित किया। *इसने मालवा के शासक हुसंगशाह को पराजित कर उसकी राजधानी धार पर अधिकार कर लिया, किंतु बाद में उसने उसका राज्य वापस कर दिया। *1458 ई. में फतह खां सिंहासन पर बैठा। * उसने ‘अबुल फतह महमूद’ की उपाधि ग्रहण की, परंतु इतिहास में वह महमूद बेगड़ा के नाम से विख्यात हुआ। *इसकी मुख्य विजयें चम्पानेर और गिरनार के दृढ़ किलों की थीं।

*दक्कन के अमीरान-ए-सादाह के विद्रोह के परिणामस्वरूप मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल के अंतिम दिनों में बहमनी साम्राज्य की स्थापना हुई। *जफर खां (हसन गंगू , 1347-1358 ई.) नामक एक

सरदार ‘अलाउद्दीन हसन बहमन शाह’ की उपाधि धारण करके 1347 ई. में सिंहासनारूढ़ हुआ और बहमनी साम्राज्य की नींव डाली। * उसने गुलबर्गा को अपने नव-संस्थापित साम्राज्य की राजधानी बनाया तथा उसका नाम ‘अहसानाबाद’ रखा। *अपने साम्राज्य के शासन के लिए उसने इसे चार तरफों अथवा प्रांतों में विभाजित किया-गुलबर्गा, दौलतावाद, बरार और बीदर

*बहमनी राज्य से स्वतंत्र हुए राज्य हैंराज्य

संस्थापक बरार

फतेहउल्ला इमादशाह बीजापुर

यूसुफ आदिलशाह अहमदनगर मलिक अहमद गोलकुंडा कुली कुतुबशाह बीदर | अमीर अली बरीद

राजवंश इमादशाही वंश आदिलशाही वंश निजामशाही वंश कुतुबशाही वंश बरीदशाही वंश

_ *बीजापुर का शासक इब्राहिम आदिलशाह द्वितीय एक महान विद्या प्रेमी तथा विद्या का संरक्षक था। *उसकी प्रजा उसके उदार दृष्टिकोण के कारण उसे ‘जगतगुरु’ की उपाधि से संबोधित करती थी। *गरीबों की सहायता करने के कारण उसे ‘अबलाबाबा’ या “निर्धनों का मित्र’ भी कहा जाता था। *इब्राहिम आदिलशाह द्वितीय ने हिंदी संगीत संग्रह ‘किताब-ए-नौरस’ की रचना की। *उसी के काल में फरिश्ता ने तारीखए-फरिश्ता नामक प्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्रंथ की रचना पूरी की। *इब्राहिम ने नौरसपुर नगर की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाया।

*बीजापुर के मोहम्मद आदिलशाह का मकबरा ‘गोल गुंबद’ के नाम से विख्यात है। *यह भारत के विशालतम ऐतिहासिक भवनों में शामिल है तथा विश्व के विशालतम गंवदों में से एक है।

*गुजरी महल राजा मानसिंह तोमर ने 1510 ई. में बनवाया था। *वर्तमान में गूजरी महल को संग्रहालय का रूप दे दिया गया है।

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Abhishek Dubey

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