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पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अधिनियम नोट्स (Related to Environmental Protection Act Notes)

पर्यावरण की सुरक्षा के संदर्भ में विभिन्न प्रकार के अधिनियम पारित किए गए हैं । पर्यावरण ( संरक्षण ) अधिनियम [ The Environment ( Protection ) Act , 1986 ] भारत में वर्ष 1986 में पारित हुआ था । यह संपूर्ण भारत में लागू है । भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम , 1986 को ‘ छाता विधान ‘ ( Umbrella Legislation ) के रूप में जाना जाता है ।

वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के प्रथम मानव पर्यावरण सम्मेलन के निर्णयों को कार्यान्वित करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम , 1986 पारित किया । यह अधिनियम केंद्र सरकार को शक्ति देता है कि वह अधिनियम के उपबंधों के अंतर्गत पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार लाने तथा संरक्षण के लिए और पर्यावरणीय प्रदूषण के निवारण , नियंत्रण , उपशमन के उपाय करे ।

उल्लेखनीय है कि भोपाल गैस त्रासदी के बाद भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत पर्यावरण ( संरक्षण ) अधिनियम , 1986 को पारित किया । इस अधिनियम ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बनाए गए अन्य कानूनों में समन्वय बनाने व उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।

जेनेटिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति का गठन पर्यावरण संरक्षण अधिनियम , 1986 के अधीन किया गया है । ध्यातव्य है कि 22 जुलाई , 2010 को गज़ट नोटिफिकेशन के द्वारा जेनेटिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति ( Genetic Engineering Approval Committee ) का नाम बदल दिया गया है ।

इसके अनुसार , परिसंकटमय सूक्ष्म जीवों / आनुवंशिक निर्मित जीवों या कोशिकाओं के विनिर्माण , उपयोग , आयात – निर्यात और भंडारण नियम , 1989 में ‘ आनुवंशिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति ‘ शब्दों के स्थान पर , जहां कहीं वे आते हैं , ‘आनुवंशिक इंजीनियरिंग आकलन समिति ‘ ( Genetic Engineering Appraisal Committee ) शब्द रखे जाएंगे ।

पर्यावरण संतुलन के संरक्षण से प्रत्यक्षतः संबंध वन नीति और पर्यावरण ( सुरक्षा ) अधिनियम , 1986 का है , जबकि औद्योगिक नीति और शिक्षा नीति में भी पर्यावरणीय दृष्टिकोण को सम्मिलित किया गया है । राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम , 2010 भारतीय संविधान के अंतर्गत दिए गए नागरिकों को स्वच्छ पर्यावरण में रहने के अधिकार , जो जीवन के अधिकार ( अनुच्छेद 21 ) में अंतर्निहित है , के अनुरूप है ।

इस अधिनियम के द्वारा देश में एक राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ( National Green Tribunal ) का गठन किया गया है । वर्तमान में इसके अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल हैं । राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की स्थापना राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम , 2010 के तहत 18 अक्टूबर , 2010 को की गई थी ।

इसकी स्थापना पर्यावरण बचाव एवं वन संरक्षण और अन्य प्राकृतिक संसाधन सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन , पीड़ित व्यक्ति अथवा क्षतिग्रस्त संपत्ति के लिए क्षतिपूर्ति प्रदान करने और इससे जुड़े मामलों का प्रभावशाली और तीव्र गति से निपटारा करने के लिए की गई है । उल्लेखनीय है कि न्यायाधिकरण पर्यावरण के मामलों में द्रुत गति से पर्यावरणीय न्याय देंगे और उच्च न्यायालयों के मुकदमों के भार को कम करने में मदद करेंगे ।

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Abhishek Dubey

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