जीवन परिचय – डॉ० सम्पूर्णानन्द का जन्म सन् 1890 ई० में काशी के एक सम्भ्रान्त कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम विजयानन्द था। इन्होंने वाराणसी से बी०एस-सी० तथा इलाहाबाद से एल० टी० की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। इन्होंने सर्वप्रथम प्रेम विद्यालय, वृन्दावन में अध्यापक तथा बाद में डूंगर कॉलेज, डूंगर में प्रिंसिपल के पद पर कार्य किया।
सन् 1921 ई० में वे राष्ट्रीय आन्दोलन से प्रेरित होकर काशी में ‘ज्ञानमण्डल’ में कार्य करने लगे। इन्होंने हिन्दी की ‘मर्यादा’ मासिक पत्रिका तथा ‘टुडे’ अंग्रेजी दैनिक का सम्पादन किया और ‘काशी नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष तथा संरक्षक भी रहे। वाराणसी में स्थित सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय इनकी ही देन है।
डॉ० सम्पूर्णानन्द सन् 1937 ई० में कांग्रेस मन्त्रिमण्डल में शिक्षामन्त्री, सन् 1955 ई० में उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री तथा सन् 1962 ई० में राजस्थान के राज्यपाल नियुक्त हुए। राज्यपाल के पद से सेवामुक्त होकर आप काशी विद्यापीठ के कुलपति बने और अन्तिम समय तक इसी पद पर कार्यरत रहे। 10 जनवरी, 1969 ई० को काशी में इनका स्वर्गवास हो गया।
साहित्यिक योगदान डॉ० सम्पूर्णानन्द भारतीय दर्शन और संस्कृति के प्रकाण्ट विद्वान एवं हिन्दी व संस्कृत के महान् ज्ञाता थे। इनका हिन्दी से विशेष प्रेम था। इन्होंने भारतीय दर्शन एवं धर्म के गूढ़ तत्त्वों को समझकर सुबोध शैली में उच्चकोटि के लेख लिखे। ये समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे।
इन्होंने भारतीय दर्शन, धर्म, संस्कृति, राजनीति, इतिहास, ज्योतिष आदि विविध विषयों पर उच्च कोटि के निबन्ध लिखे और उत्कृष्ट साहित्य का सृजन किया। इनकी रचनाओं में इनके प्रकाण्ड पाण्डित्य के दर्शन होते हैं। इन्होंने दर्शन की गढ़ गस्थियों को सुलझाते हुए ‘चिद्विलास’ नामक ग्रन्थ की रचना की। इनकी कृतियों में शिक्षा सम्बन्धी मौलिक चिन्तन तथा शिक्षा-जगत् की गम्भीर समस्याओं का समाधान पाया जाता है।
रचनाएँ डॉ० सम्पूर्णानन्द ने साहित्य, दर्शन, राजनीति, इतिहास तथा अन्य विषयों पर उच्चकोटि के ग्रन्थों की रचना की। इनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित
1.निबन्ध-संग्रह भाषा की शक्ति तथा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित अनेक फुटकर निबन्ध
2. दर्शन चिद्विलास, जीवन और दर्शन।
3. जीवनी देशबन्धु चितरंजनदास, महात्मा गांधी आदि।
4. राजनीति और इतिहास चीन की राज्यक्रान्ति, अन्तर्राष्ट्रीय विधान, मिस्र की राज्यक्रान्ति, समाजवाद, आर्यों का आदिदेश, सम्राट हर्षवर्धन भारत के देशी राज्य आदि।
5. धर्म गणेश, नासदीय सूक्त की टीका, पुरुष-सूक्त, ब्राह्मण सावधान।
6.ज्योतिष पृथ्वी से सप्तर्षि मण्डल।
7. सम्पादन मर्यादा मासिक, टुडे अंग्रेजी दैनिक।
8. अन्य प्रमुख रचनाएँ इन रचनाओं के अतिरिक्त व्रात्यकाण्ड, भारतीय सृष्टि-क्रम विचार, हिन्दू देव परिवार का विकास, वेदार्थ प्रवेशिका, अन्तरिक्ष यात्रा, स्फुट विचार, ज्योतिर्विनोद, अधूरी क्रान्ति आदि इनकी । अन्य प्रमुख रचनाएँ हैं।
इस प्रकार इन्होंने विविध विषयों पर लगभग 25 ग्रन्थों की तथा अनेक स्वतन्त्र लेखों की रचना की। इनकी ‘समाजवाद’ नामक कृति पर इन्हें हिन्दी-साहित्य सम्मेलन द्वारा मंगलाप्रसाद पारितोषिक प्रदान किया गया। साहित्य में स्थान डॉ० सम्पूर्णानन्द ने हिन्दी में गम्भीर विषयों पर निबन्ध और ग्रन्थों की रचना की। इनकी रचनाओं में मौलिक चिन्तन, गम्भीरता और उच्च स्तर का पाण्डित्य पाया जाता है। सम्पादन के क्षेत्र में भी इन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है। एक मनीषी साहित्यकार के रूप में हिन्दी-साहित्य में इनक महत्त्वपूर्ण स्थान सदा बना रहेगा।
Read More Related biographies :-
- हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai Biography)
- प्रोफेसर जी सुन्दर रेड्डी (Professor Ji Sundar Reddy Biography)
- वासुदेवशरण अग्रवाल (vasudev sharan agrawal Biography)
- रामवृक्ष बेनीपुरी जीवन-परिचय (Rambriksh Benipuri Biography)
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी – जीवनी (Aacharya Hazari Prasad Dwivedi Biography in Hindi)
- सच्चिदानन्द हीरानंद वात्स्यायन (Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Biography)
- महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma Biography)
- जयशकर प्रसाद (Jaishankar Prasad Biography)
- गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsi Das Biography)
- कविवर बिहारी (Kaviwar Bihari Biography)
- जगन्नाथदास ‘रत्नाकर (Jagannath Ratnakar Biography)
- कबीरदासस जीवन-परिचय (Kabir Das Biography)