जीवन-परिचय हिन्दी साहित्याकाश के देदीप्यमान नक्षत्र आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी युग-प्रवर्तक साहित्यकार, भाषा के परिष्कारक, समालोचना के सूत्रधार एवं यशस्वी सम्पादक थे। द्विवेदी जी का जन्म रायबरेली जिले के दौलतपुर ग्राम में सन 1864 ई० में हुआ था। इनके पिता पं० रामसहाय द्विवेदी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सेना में साधारण सिपाही थे। द्विवेदी जी ने घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण स्कूली शिक्षा समाप्त करके रेलवे में नौकरी कर ली तथा घर पर ही संस्कृत, मराठी, बंगला, अंग्रेजी और हिन्दी भाषाओं का अध्ययन किया।
सन् 1903 ई० में द्विवेदी जी ने रेलवे की नौकरी छोड़कर ‘सरस्वती’ पत्रिका का सम्पादन प्रारम्भ किया और हिन्दी भाषा की सेवा के लिए अपना शेष जीवन अर्पित कर दिया। इनकी हिन्दी सेवाओं से प्रभावित होकर इनको काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने ‘आचार्य’ की उपाधि से तथा हिन्दी-साहित्य सम्मेलन ने ‘साहित्य-वाचस्पति’ की उपाधि से सम्मानित किया।
सन् 1938 ई० में सरस्वती का यह वरद-पुत्र स्वर्ग सिधार गया। साहित्यिक योगदान आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी हिन्दी-साहित्य के युग-प्रवर्तक साहित्यकार हैं। इनकी साहित्य-साधना का विधिवत् शुभारम्भ । ‘सरस्वती’ पत्रिका के सम्पादन अर्थात् सन् 1903 ई० से ही होता है। ‘सरस्वती’
का सफलतापूर्वक सम्पादन करते हुए इन्होंने भारतेन्दु युग के हिन्दी गद्य में फैली अनियमितताओं, व्याकरण सम्बन्धी अशुद्धियों, विराम-चिह्नों के प्रयोग की त्रुटियों, पण्डिताऊपन और अप्रचलित शब्दों के प्रयोग को दूर कर हिन्दी गद्य को व्याकरण के अनुशासन में बाँधा और उसे नवजीवन प्रदान किया।
द्विवेदी जी भाषा परिष्कारक के अतिरिक्त समर्थ समालोचक भी थे। इन्होंने अपने लेखन में प्राचीन साहित्य एवं संस्कृति से लेकर आधुनिक काल तक के अनेक विषयों का समावेश करके साहित्य को समृद्ध किया। द्विवेदी जी ने वैज्ञानिक आविष्कारों, भारत के इतिहास, महापुरुषों के जीवन, पुरातत्त्व, राजनीति, धर्म आदि विविध विषयों पर साहित्य-रचना की। द्विवेदी जी की अभूतपूर्व साहित्यिक सेवाओं के कारण ही इनके रचना-काल को हिन्दी-साहित्य में ‘द्विवेदी युग’ कहा जाता है। कृतियाँ द्विवेदी जी की प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं
1. कविता संग्रह काव्य-मंजूषा।
2. निबन्य सरस्वती एवं अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित निबन्ध
3. आलोचना रसज-रंजन, नैषधचरित चर्चा, हिन्दी नवरत्न, नाट्यशास्त्र, कालिदास की निरंकुशता, कालिदास और उनकी कविता, विचार-विमर्श आदि।
4. अनूदित रघुवंश, कुमारसम्भव, किरातार्जुनीय, हिन्दी महाभारत, बेकन विचारमाला, शिक्षा, स्वाधीनता आदि।
5. सम्पादन ‘सरस्वती’ पत्रिका।
अन्य रचनाएँ साहित्य-सीकर, हिन्दी भाषा की उत्पत्ति, सम्पत्तिशास्त्र, अद्भुत आलाप, संकलन, अतीत-स्मृति, वाग्विलास, जल-चिकित्सा आदि।
साहित्य में स्थान द्विवेदी जी हिन्दी गद्य के उन निर्माताओं में से हैं, जिनकी प्रेरणा और प्रयत्नों से हिन्दी भाषा को सम्बल प्राप्त हुआ है। इन्होंने और इनकी ‘सरस्वती’ ने अपने युग के साहित्यकारों का मार्गदर्शन कर अपनी प्रतिभा से पूरे युग को प्रभावित किया।
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