श्री रामवृक्ष बेनीपुरी जी का जन्म सन् 1902 ई० में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता फूलवन्त सिंह एक साधारण कृषक थे। बचपन में ही इनके माता-पिता का स्वर्गवास हो जाने के कारण इनका लालन-पालन मौसी की देख-रेख में हुआ। मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने से पूर्व ही इनका शिक्षाक्रम टूट गया और सन् 1920 ई० में ये गांधी जी के नेतृत्व में, असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित हो गये।
बाद में इन्होंने हिन्दी साहित्य सम्मेलन से विशारद की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया और देशवासियों में देशभक्ति की भावना जाग्रत की। ये अंग्रेजी शासन के दौरान देशभक्ति की ज्वाला भड़काने के आरोप में अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया और देशवासियों में देशभक्ति की
भावना जाग्रत की। ये अंग्रेजी शासन के दौरान देशभक्ति की ज्वाला भड़काने के __ आरोप में अनेक बार जेल गये। श्रीरामचरितमानस’ के अध्ययन से इनकी रुचि साहित्य-रचना की ओर जाग्रत हुई। राष्ट्रमाता के साथ-साथ इन्होंने माता सरस्वती की भी आराधना की। इन्होंने अधिकांश ग्रन्थों की रचना जेल में रहकर ही की थी। ये आजीवन साहित्य-साधना करते रहे और सन् 1968 ई० में इस नश्वर संसार से अमरलोक के लिए प्रस्थान कर गये।
साहित्यिक योगदान बेनीपुरी जी छात्र-जीवन से ही पत्र-पत्रिकाओं में लिखने लगे थे। पत्रकारिता से ही उनकी साहित्य-साधना का प्रारम्भ हुआ। इन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन करके पत्रकारिता में विशेष सम्मान प्राप्त किया। इन्हे ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संस्थापकों में भी माना जाता है। बेनीपुरा जी ने नाटक, कहानी, उपन्यास, आलोचना, रेखाचित्र, संस्मरण, जीवना
सावन आदि विभिन्न साहित्यिक विधाओं पर अपनी लेखनी चलाकर हिन्दी साहित्य के भण्डार में विपुल वृद्धि की। नाटकों में इन्होंने अपने युग की झलक कर अपनी राष्ट्रीय भावना का परिचय दिया है। इनके उपन्यासों और कहानियों में देशभक्ति और लोक-कल्याण की भावना पायी जाती है। बेनीपुरोजी राष्ट्रको आकाक्षाओं के अनुरूप साहित्य-सृजन करने वाले उत्कृष्ट कोटि के साहित्यकार
रचनाएँ बेनीपुरी जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। इन्होंने साहित्य की विविध विधाओं में ग्रन्थ-रचना की। इनको रचनाओं के विवरण निम्नलिखित है
1. उपन्यास पतितो के देश में।
2. कहानी-संग्रह ‘चिता के फूल
3. नाटक ‘अम्बपाली’, सीता की माँ, ‘रामराज्य।
4. निबन्य-संग्रह गहँ और गुलाब’, वन्दे वाणी विनायको, मशाल, रेखाचित्र और संस्मरण माटोको मरते, लाल तारा, जंजीरे और दीवारे, मील के पत्थर, जीवनी – ‘महाराणा प्रताप सिंह, कार्ल मार्क्स’, जयप्रकाश नारायण।
7. यात्रावृत्त पैरों में पंख बाँधकर’, ‘उड़ते चले।
8. आलोचना विद्यापति पदावली’, बिहारी-सतसई की सुबोधटोका।
9. पत्र-पत्रिकाएँ बालक, तरुण भारती’, ‘युवक, किसान मित्र ‘जनता’, हिमालय’, नयी धारा’, ‘चुन-मुने, योगी आदि।
साहित्य में स्थान बेनीपुरी जी ने हिन्दी को विविध विधाओं में साहित्य-सृजन किया है। फिर भी वे ललित निबन्धकार, रेखाचित्रकार, संस्मरण-लेखक तथा पत्रकार के रूप में विशेष उभरकर आये हैं। ये शब्दों के जादूगर, भाषा के सम्राट और व्यंग्यप्रधान चित्रात्मक शैलो के समर्थ लेखक है। इन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से हिन्दी-साहित्य को मात्रा और गुण दोनो दृष्टियों से समृद्ध किया है।
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